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24 फरवरी से शुरू होगी 84 कोसी परिक्रमा, जानिए हर पड़ाव और परिक्रमा का महत्व

उत्तर भारत का सबसे प्राचीन और धार्मिक महत्व का 84 कोसी परिक्रमा 24 फरवरी को प्रातः नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ से प्रारंभ होगा. इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए साधु, सन्यासियों और महंतों के साथ गृहस्थों ने नैमिषारण्य पहुंचना शुरू कर दिया है.

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24 फरवरी को शुरू होगी 84 कोसीय परिक्रमा
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Published : Feb 22, 2020, 8:53 PM IST

सीतापुर: उत्तर भारत का सबसे प्राचीन और धार्मिक महत्व का 84 कोसी परिक्रमा 24 फरवरी को प्रातः नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ से प्रारंभ होगा. इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए साधु, सन्यासियों और महंतों के साथ गृहस्थों ने नैमिषारण्य पहुंचना शुरू कर दिया है. आश्रमों में हाथी, घोड़ा और पालकी को संवारने का काम किया जा रहा है. वहीं प्रशासन ने भी इस बार परिक्रमा के लिए रथ और परिक्रमार्थियों पर पुष्पवर्षा कराने का इंतजाम किया है.

24 फरवरी को शुरू होगी 84 कोसी परिक्रमा.

महर्षि दधीचि की स्मृति में यह 84 कोसी परिक्रमा सतयुग काल से होता चला आ रहा है. कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने स्वयं यह परिक्रमा की थी, जिसके चलते परिक्रमार्थियों को रामादल के नाम से भी पुकारा जाता है.

फाल्गुन मास की प्रतिपदा से यह परिक्रमा प्रारंभ होती है और 11 पड़ाव पूरे करने के बाद मिश्रित तीर्थ पहुंचकर पंचकोसीय परिक्रमा में परिवर्तित हो जाता है. होलिका दहन के साथ ही इस परिक्रमा का समापन हो जाता है.

परिक्रमा का पहला पड़ाव कोरौना है. यहां पर परिक्रमार्थी राधाकुंड में स्नान कर शिवमन्दिर और द्वारिकाधीश मंदिर में दर्शन करते हैं. इसके बाद कैलाश आश्रम होते हुए हरैया पहुंचते हैं. इसके बाद परिक्रमा हत्या हरण पहुंचता है, जहां पर द्रोणाचार्य द्वारा स्थापित शंकर जी का मंदिर है उसका दर्शन किया जाता है.

इसके बाद अगला पड़ाव नगवां कोथावां है. तदुपरांत गिरधरपुर उमरारी पड़ाव पर सूर्य देवता का मंदिर है, जहां दर्शन पूजन किया जाता है. अगला पड़ाव साक्षी गोपालपुर है, जिसे अब साकिन गोपालपुर कहा जाता है. इसके बाद परिक्रमा फिर नैमिषारण्य होते हुए मंडरुआ पहुंचता है और वहां से मिश्रित तीर्थ पहुंचता है.

मिश्रित तीर्थ में पंचकोसीय परिक्रमा होती है. इस परिक्रमा को करने से 84 लाख योनियों से छुटकारा मिलता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है.

ये भी पढ़ें- सीतापुर: 200 साल पुराना है बाबा श्याम नाथ मंदिर, शिवभक्तों की उमड़ी भीड़

प्रशासन ने इस 84 कोसीय परिक्रमा के लिए व्यापक तैयारियां की है. सभी पड़ाव स्थलों पर अस्थायी रैन बसेरे, टॉयलेट, प्रकाश व्यवस्था के अलावा सुरक्षा व्यवस्था भी की है. मेलाधिकारी एसडीएम ने बताया कि इस बार परिक्रमा शुरू होने पर एक रथ आगे चलेगा और पुष्पवर्षा की जाएगी.

सीतापुर: उत्तर भारत का सबसे प्राचीन और धार्मिक महत्व का 84 कोसी परिक्रमा 24 फरवरी को प्रातः नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ से प्रारंभ होगा. इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए साधु, सन्यासियों और महंतों के साथ गृहस्थों ने नैमिषारण्य पहुंचना शुरू कर दिया है. आश्रमों में हाथी, घोड़ा और पालकी को संवारने का काम किया जा रहा है. वहीं प्रशासन ने भी इस बार परिक्रमा के लिए रथ और परिक्रमार्थियों पर पुष्पवर्षा कराने का इंतजाम किया है.

24 फरवरी को शुरू होगी 84 कोसी परिक्रमा.

महर्षि दधीचि की स्मृति में यह 84 कोसी परिक्रमा सतयुग काल से होता चला आ रहा है. कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने स्वयं यह परिक्रमा की थी, जिसके चलते परिक्रमार्थियों को रामादल के नाम से भी पुकारा जाता है.

फाल्गुन मास की प्रतिपदा से यह परिक्रमा प्रारंभ होती है और 11 पड़ाव पूरे करने के बाद मिश्रित तीर्थ पहुंचकर पंचकोसीय परिक्रमा में परिवर्तित हो जाता है. होलिका दहन के साथ ही इस परिक्रमा का समापन हो जाता है.

परिक्रमा का पहला पड़ाव कोरौना है. यहां पर परिक्रमार्थी राधाकुंड में स्नान कर शिवमन्दिर और द्वारिकाधीश मंदिर में दर्शन करते हैं. इसके बाद कैलाश आश्रम होते हुए हरैया पहुंचते हैं. इसके बाद परिक्रमा हत्या हरण पहुंचता है, जहां पर द्रोणाचार्य द्वारा स्थापित शंकर जी का मंदिर है उसका दर्शन किया जाता है.

इसके बाद अगला पड़ाव नगवां कोथावां है. तदुपरांत गिरधरपुर उमरारी पड़ाव पर सूर्य देवता का मंदिर है, जहां दर्शन पूजन किया जाता है. अगला पड़ाव साक्षी गोपालपुर है, जिसे अब साकिन गोपालपुर कहा जाता है. इसके बाद परिक्रमा फिर नैमिषारण्य होते हुए मंडरुआ पहुंचता है और वहां से मिश्रित तीर्थ पहुंचता है.

मिश्रित तीर्थ में पंचकोसीय परिक्रमा होती है. इस परिक्रमा को करने से 84 लाख योनियों से छुटकारा मिलता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है.

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प्रशासन ने इस 84 कोसीय परिक्रमा के लिए व्यापक तैयारियां की है. सभी पड़ाव स्थलों पर अस्थायी रैन बसेरे, टॉयलेट, प्रकाश व्यवस्था के अलावा सुरक्षा व्यवस्था भी की है. मेलाधिकारी एसडीएम ने बताया कि इस बार परिक्रमा शुरू होने पर एक रथ आगे चलेगा और पुष्पवर्षा की जाएगी.

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