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शाहजहांपुर जिला प्रशासन का अनोखा कारनामा, बच्चों को बना डाला 100 साल से अधिक का बूढ़ा

यूपी के शाहजहांपुर जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां सेक्रेटरी ने रिश्वत न मिलने पर बच्चों को 100 से ज्यादा साल का बूढ़ा बना दिया.

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रिश्वत न मिलने पर सेक्रेटरी ने बच्चे का बनाया 104 साल का बर्थ सर्टिफिकेट
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Published : Jan 22, 2020, 9:55 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST

शाहजहांपुर: जिला प्रशासन का एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसे सुनकर आप चौक जाएंगे. यहां 500 रुपये की रिश्वत न देने पर नाराज सेक्रेटरी ने दो मासूम बच्चों को 102 और 104 साल की उम्र का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर उन्हें बुजुर्ग साबित कर दिया. फिलहाल मामले में भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने ग्राम सेक्रेटरी और ग्राम प्रधान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. मामले में जिला प्रशासन ने भी जांच शुरू कर दी है.

परेशानी में परिजन
गोद में अपने दो बच्चों को लिए यह परिवार बेहद सकते में है. इन दोनों बच्चों की उम्र वैसे तो 2 साल और 4 साल है लेकिन ग्राम सेक्रेटरी ने जन्म प्रमाण पत्र में इनकी उम्र 102 साल और 104 साल दर्शा कर इस परिवार के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी है. जन्म प्रमाण पत्र के हिसाब से अब यह दोनों बच्चे पूरे तहसील में सबसे उम्रदराज बच्चे हैं.

जिला प्रशासन ने शुरू की जांच.

सेक्रेटरी पर रिश्वत मांगने का आरोप
दरअसल थाना खुटार के बेला गांव के रहने वाले नन्हे लाल ने अपने 2 साल के बेटे शुभ और 4 साल के बेटे संकेत का जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए 2 महीने पहले प्रधान और सेक्रेटरी को आवेदन दिया था. प्रमाण पत्र बनाने के लिए सेक्रेटरी सुशील चंद्र अग्निहोत्री ने नन्हे लाल से रिश्वत के तौर पर 500 रुपये मांगे थे. नन्हे लाल का कहना है कि जब उसने रिश्वत देने से इनकार कर दिया तो सेक्रेटरी ने भी उसे सबक सिखाने की धमकी दी थी.

...और बना दिया 102 और 104 साल का जन्म प्रमाण पत्र
सेक्रेटरी ने 2 साल के शुभ की जन्मतिथि 13 जून 1916 लिख दी, जबकि उसकी जन्मतिथि 13 जून 2016 थी. वहीं 4 साल के संकेत, जिसकी जन्म तिथि 6 जनवरी 1918 लिख दी, जबकि उसकी असली जन्म तिथि 6 जनवरी 2018 थी. सर्टिफिकेट मिलने के बाद नन्हे लाल और उसके परिवार के होश उड़ गए, क्योंकि इन्हीं सर्टिफिकेट के आधार पर उन्हें अपने बच्चों का दाखिला किसी अच्छे स्कूल में करवाना था. 500 रुपये रिश्वत न देने की सजा अब इस परिवार को भुगतनी पड़ रही है.

भ्रष्टाचार निवारण अदालत में की शिकायत
जब परिवार वालों ने सेक्रेटरी सुशील चंद्र गनोत्री और प्रधान प्रवीण मिश्रा से इसकी शिकायत की तो उसे धमका कर भगा दिया गया. नाराज परिवार ने पुलिस और प्रशासन में भी शिकायत की लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद बच्चों के चाचा पवन ने बरेली के भ्रष्टाचार निवारण की विशेष अदालत में अपनी शिकायत दर्ज कराई.

जिला प्रशासन ने दी सफाई
परिवार की शिकायत को कोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए स्थानीय पुलिस को मामले में मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. फिलहाल इस मामले में जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है. जिला प्रशासन का कहना है कि सेक्रेटरी ने सही जन्म प्रमाण पत्र जारी किया था लेकिन परिवार के लोगों ने कोई फर्जी प्रमाण पत्र बना कर शिकायत की है. जिला प्रशासन का यह भी कहना है कि जांच में अगर सेक्रेटरी और प्रधान का दोष पाया गया तो मामले में कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में शिक्षकों का धरना प्रदर्शन, प्रेरणा एप को वापस लेने की मांग

शाहजहांपुर: जिला प्रशासन का एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसे सुनकर आप चौक जाएंगे. यहां 500 रुपये की रिश्वत न देने पर नाराज सेक्रेटरी ने दो मासूम बच्चों को 102 और 104 साल की उम्र का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर उन्हें बुजुर्ग साबित कर दिया. फिलहाल मामले में भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने ग्राम सेक्रेटरी और ग्राम प्रधान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. मामले में जिला प्रशासन ने भी जांच शुरू कर दी है.

परेशानी में परिजन
गोद में अपने दो बच्चों को लिए यह परिवार बेहद सकते में है. इन दोनों बच्चों की उम्र वैसे तो 2 साल और 4 साल है लेकिन ग्राम सेक्रेटरी ने जन्म प्रमाण पत्र में इनकी उम्र 102 साल और 104 साल दर्शा कर इस परिवार के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी है. जन्म प्रमाण पत्र के हिसाब से अब यह दोनों बच्चे पूरे तहसील में सबसे उम्रदराज बच्चे हैं.

जिला प्रशासन ने शुरू की जांच.

सेक्रेटरी पर रिश्वत मांगने का आरोप
दरअसल थाना खुटार के बेला गांव के रहने वाले नन्हे लाल ने अपने 2 साल के बेटे शुभ और 4 साल के बेटे संकेत का जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए 2 महीने पहले प्रधान और सेक्रेटरी को आवेदन दिया था. प्रमाण पत्र बनाने के लिए सेक्रेटरी सुशील चंद्र अग्निहोत्री ने नन्हे लाल से रिश्वत के तौर पर 500 रुपये मांगे थे. नन्हे लाल का कहना है कि जब उसने रिश्वत देने से इनकार कर दिया तो सेक्रेटरी ने भी उसे सबक सिखाने की धमकी दी थी.

...और बना दिया 102 और 104 साल का जन्म प्रमाण पत्र
सेक्रेटरी ने 2 साल के शुभ की जन्मतिथि 13 जून 1916 लिख दी, जबकि उसकी जन्मतिथि 13 जून 2016 थी. वहीं 4 साल के संकेत, जिसकी जन्म तिथि 6 जनवरी 1918 लिख दी, जबकि उसकी असली जन्म तिथि 6 जनवरी 2018 थी. सर्टिफिकेट मिलने के बाद नन्हे लाल और उसके परिवार के होश उड़ गए, क्योंकि इन्हीं सर्टिफिकेट के आधार पर उन्हें अपने बच्चों का दाखिला किसी अच्छे स्कूल में करवाना था. 500 रुपये रिश्वत न देने की सजा अब इस परिवार को भुगतनी पड़ रही है.

भ्रष्टाचार निवारण अदालत में की शिकायत
जब परिवार वालों ने सेक्रेटरी सुशील चंद्र गनोत्री और प्रधान प्रवीण मिश्रा से इसकी शिकायत की तो उसे धमका कर भगा दिया गया. नाराज परिवार ने पुलिस और प्रशासन में भी शिकायत की लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद बच्चों के चाचा पवन ने बरेली के भ्रष्टाचार निवारण की विशेष अदालत में अपनी शिकायत दर्ज कराई.

जिला प्रशासन ने दी सफाई
परिवार की शिकायत को कोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए स्थानीय पुलिस को मामले में मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. फिलहाल इस मामले में जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है. जिला प्रशासन का कहना है कि सेक्रेटरी ने सही जन्म प्रमाण पत्र जारी किया था लेकिन परिवार के लोगों ने कोई फर्जी प्रमाण पत्र बना कर शिकायत की है. जिला प्रशासन का यह भी कहना है कि जांच में अगर सेक्रेटरी और प्रधान का दोष पाया गया तो मामले में कार्रवाई की जाएगी.

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Intro:स्लग-104 साल का बच्चा।
एंकर- शाहजहांपुर में जिला प्रशासन का एक ऐसा कारनामा सामने आया है जिसे सुनकर आप चौक जायेंगे। यहां 500 की रिश्वत ना देने पर नाराज सेक्रेटरी ने दो मासूम बच्चों को 102 साल और 104 साल की उम्र का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर करके उन्हें बुजुर्ग साबित कर दिया। फिलहाल मामले में भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने ग्राम सेक्रेटरी और ग्राम प्रधान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। मामले में जिला प्रशासन ने भी जांच शुरू कर दी है।Body:गोद में अपने दो बच्चों को लिए यह परिवार बेहद सकते में है। इन दोनों बच्चों की उम्र वैसे तो 2 साल और 4 साल है लेकिन ग्राम सेक्रेटरी ने जन्म प्रमाण पत्र में इनकी उम्र 102 साल और 104 साल दशा कर इस परिवार के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी है। जन्म प्रमाण पत्र के हिसाब से अब यह दोनों बच्चे पूरे तहसील में सबसे उम्रदराज बच्चे हैं। दरअसल थाना खुटार के बेला गांव के रहने वाले नन्हे लाल ने अपने 2 साल के बेटे शुभ और 4 साल के बेटे संकेत का जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए 2 महीने पहले प्रधान और सेक्रेटरी को आवेदन दिया था। प्रमाण पत्र बनाने के लिए सेक्रेटरी सुशील चंद्र अग्निहोत्री ने नन्हे लाल से रिश्वत के तौर पर पांच-पांच रुपये रिश्वत के तौर पर मांगे थे। नन्हे लाल का कहना है कि जब उसने रिश्वत देने से इनकार कर दिया तो सेक्रेटरी ने भी उसे सबक सिखाने की धमकी दी थी। सेक्रेटरी ने 2 साल के शुभ की जन्मतिथि 13 जून 1916 लिख दी जबकि उसकी जन्मतिथि 13 जून 2016 थी। वहीं 4 साल के संकेत जिस की जन्म तिथि 6 जनवरी 1918 लिख दी। जबकि उसकी असली जन्म तिथि 6 जनवरी 2018 थी। सर्टिफिकेट मिलने के बाद नन्हे लाल उसके परिवार के होश उड़ गए। क्योंकि इन्हीं सर्टिफिकेट के आधार पर उन्हें अपने बच्चों का दाखिला किसी अच्छे स्कूल में करवाना था। 500 रुपये रिश्वत न देने कि सजा अब इस परिवार को भुगतनी पड़ रही है।

बाईट-पवन, शिकायतकर्ता, बच्चों का चाचा।
बाईट- महेंद्र सिंह तंवर, मुख्य विकास अधिकारी।

Conclusion:जब परिवार वालों ने सेक्रेटरी सुशील चंद्र गनोत्री और प्रधान प्रवीण मिश्रा से इसकी शिकायत की तो उसे धमका कर भगा दिया गया। नाराज परिवार ने पुलिस और प्रशासन में भी शिकायत की लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद बच्चों के चाचा पवन ने बरेली के भ्रष्टाचार निवारण की विशेष अदालत में अपनी शिकायत दर्ज कराई। परिवार की शिकायत को कोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए स्थानीय पुलिस को मामले में मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। फिलहाल इस मामले में जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है।जिला प्रशासन का कहना है कि सेक्रेटरी ने सही जन्म प्रमाण पत्र जारी किया था। लेकिन परिवार के लोगों ने कोई फर्जी प्रमाण पत्र बना कर शिकायत की है। जिला प्रशासन का यह भी कहना है कि जांच में अगर सेक्रेटरी और प्रधान का दोष पाया गया तो मामले में कार्रवाई की जाएगी।
संजय श्रीवास्तव ईटीवी भारत शाहजहांपुर 94 15 15 2485
Last Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST
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