शाहजहांपुर : सीमा पर दुश्मनों से लोहा लेने वाले शहीद नायक यदुनाथ सिंह ने देश का सर गर्व से ऊंचा किया है. मरणोपरांत देश का पहला और सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार परमवीर चक्र से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी गई है. बुधवार को यदुनाथ सिंह का बलिदान दिवस है. इस मौके पर जिले में सैनिक कल्याण और पुनर्वास केंद्र पर शहीद यदुनाथ सिंह को सैनिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की.
नायक यदुनाथ सिंह 6 फरवरी को वीरगति को प्राप्त हुए थे. वह कंधार की पोस्ट नंबर दो टिकट के साथ नौशेरा इलाके में चंद्र फौजियों के साथ मोर्चा संभाले हुए थे. उसी दिन दुश्मनों के सैनिकों ने चौकी पर हमला बोल दिया दोनों तरफ से बंदूकों ने गोलियां उगलना शुरू कर दी, लेकिन नायक यदुनाथ सिंह और उनके सैनिकों ने दुश्मनों को पीछे धकेल दिया.
दुश्मनों ने दोबारा और ताकत से दूसरा हमला कर दिया इस बार यदुनाथ ने मशीन गन से दुश्मनों के कई सैनिक मार गिराए साथ ही हिंदुस्तान के चार सैनिकों गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद दुश्मनों ने एक बड़ी संख्या में हमला बोल दिया. यदुनाथ खुद तो लड़ते ही रहे बल्कि अपने दूसरे सैनिकों को भी डटे रहने के लिए प्रेरित करते रहे.
हमला इतना जबरदस्त था कि यदुनाथ सिंह के सभी साथी शहीद हो गए, लेकिन यदुनाथ अकेले ही दुश्मनों से लोहा लेते रहे और कई दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया. इस लड़ाई में दुश्मनों की गोलियों ने उनके शरीर को छलनी कर दिया. लेकिन आखरी सांस तक उन्होंने अपनी चौकी नहीं छोड़ी और वीरगति को प्राप्त हो गए. उनकी वीरता और अदम साहस के लिए उनको मरणोपरांत देश का पहला सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया.
यह परम वीर चक्र आज भी उनके परिवार के पास एक धरोहर के रूप में मौजूद है. बुधवार को उनके शहीद दिवस पर जिला सैनिक और पुनर्वास केंद्र पर यदुनाथ सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस मौके पर राजपूत रेजीमेंट के कर्नल ने भी पुष्प भेंट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही जिले के जिलाधिकारी ने भी अमर शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
इस मौके पर राजपूत रेजीमेंट 31 के कर्नल एनके सिंह ने बताया कि परमवीर चक्र विजेता यदुनाथ सिंह राजपूत रेजीमेंट के सेनानायक थे. उन्होंने इसी दिन दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी. हम उनके इस बलिदान पर अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.