शाहजहांपुर : पूरा देश अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित है. राम मंदिर के लिए कार सेवकों और रामभक्तों ने लंबा संघर्ष किया. कुछ लोगों ने अपने जान भी न्यौछावर कर दिए. आज भी लोगों ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी यादें संभाल कर रखी हैं. राम मंदिर आंदोलन के दौरान एक एक नारा 'सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे' काफी चर्चित रहा था. जोश भरने वाली ये पंक्तियां शाहजहांपुर के एक कवि ने लिखी थी. उन्होंने इसे गीत में भी पिरोया था. कवि का देहांत हो चुका है लेकिन परिवार राम मंदिर बनने से काफी खुश है. परिवार का मानना है कि 6 दिसंबर 1992 के उनके पिता द्वारा ली गई सौगंध अब पूरी हो चुकी है.
कवि की पंक्तियों ने भर दिए थे जोश : शाहजहांपुर की तहसील जलालाबाद के रहने वाले अजय गुप्ता का कहना है कि 6 दिसम्बर 1992 को जलालाबाद में एक काव्य गोष्ठी हुई थी. उनके पिता कवि विष्णु गुप्त वीर रस के कवि थे. इसमें वह काव्य पाठ कर रहे थे. इस दौरान सूचना आई कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा दिया गया है. कार्यक्रम में मौजूद मुख्य अतिथि एसडीएम तुरंत अपने वाहन की ओर बढ़ गए. इस बीच पिता ने मंच से कहा 'सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे'. इसके बाद उनकी यह पंक्तियां राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बन गई. उन्होंने इस पर एक गीत भी लिखा. यह उनकी पुस्तक सौगंध में संकलित है.
प्राण प्रतिष्ठा से काफी खुश है परिवार : साल 2014 में कवि विष्णु गुप्ता का निधन हो गया, लेकिन अब उनका सपना पूरा होता देख परिवार काफी खुश है. स्व. कवि विष्णु गुप्ता की बहू संगीता गुप्ता ससुर का सपना पूरा होने पर भावुक हो गईं. कहा कि हम लोग बहुत खुश हैं. ससुरजी का सपना अब पूरा हो रहा है. इस खुशी को शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है. पूरा परिवार बहुत खुश है. वहीं अजय गुप्ता ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से बड़ी खुशी उनके परिवार के लिए और कुछ हो नहीं सकती है. वे 22 जनवरी को परिवार समेत अयोध्या जाएंगे.
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