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भदोही: व्यापार मंडल और पुलिस ने वनवासियों की बस्तियों में बांटा खाना - व्यापार मंडल भदोही

उत्तर प्रदेश के भदोही में गरीबों की मदद के लिए काफी लोग आगे आ रहे हैं. इसी कड़ी में वनवासियों की बस्तियों में पुलिस और व्यापार मंडल के लोगों ने खाने के सामान वितरित किए. साथ ही फोन नंबर भी दिया कि मदद के लिए तुरंत फोन करें.

वनवासियों को बांटा खाना
वनवासियों की बस्तियों में बांटा खाना
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Published : Apr 3, 2020, 11:29 AM IST

भदोही: उद्योग व्यापार मंडल लॉकडाउन के दौरान गरीबों की मदद करने के लिए सामने आया है. व्यापार मंडल और पुलिस विभाग ने मुसहर बस्ती में भोजन और जरूरत की सामग्री 200 लोगों में वितरित किए. व्यापार मंडल में मुसहर बस्ती में अपना नंबर भी वितरित किया ताकि किसी को भी अगर भोजन से संबंधित परेशानी हो तो वह तुरंत फोन करके मदद मांग सकता है.

वनवासियों को बांटा गया खाना
जिले में कई जगह वनवासियों की बस्तियां है. जहां हजारों की संख्या में वनवासी निवास करते हैं. यह वनवासी प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह अपना पेट पालते हैं, इसलिए यह प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है कि किसी तरीके से वनवासियों तक भोजन पहुंचाया. हालांकि जब भोजन लेकर लोग उनके घर गए तो वह खाने का पैकेट पहले लेने के लिए टूट पड़े, जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का कॉन्सेप्ट का कोई मतलब ही नहीं बन पाया.

जिले में वनवासियों के साथ-साथ प्रदेश से आए हुए लोगों की भी लोकल लोग मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं. छोटे-मोटे संस्था मिलकर परदेस से आए क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों को आश्रय स्थलों पर खाना लेकर लोग पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से प्रशासन का काम आसान हो जा रहा है. प्रतिदिन जिले में 5000 से अधिक लोगों को विभिन्न छोटे बड़े संगठनों के सहयोग से भोजन का पैकेट बांटा जा रहा है.

भदोही: उद्योग व्यापार मंडल लॉकडाउन के दौरान गरीबों की मदद करने के लिए सामने आया है. व्यापार मंडल और पुलिस विभाग ने मुसहर बस्ती में भोजन और जरूरत की सामग्री 200 लोगों में वितरित किए. व्यापार मंडल में मुसहर बस्ती में अपना नंबर भी वितरित किया ताकि किसी को भी अगर भोजन से संबंधित परेशानी हो तो वह तुरंत फोन करके मदद मांग सकता है.

वनवासियों को बांटा गया खाना
जिले में कई जगह वनवासियों की बस्तियां है. जहां हजारों की संख्या में वनवासी निवास करते हैं. यह वनवासी प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह अपना पेट पालते हैं, इसलिए यह प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है कि किसी तरीके से वनवासियों तक भोजन पहुंचाया. हालांकि जब भोजन लेकर लोग उनके घर गए तो वह खाने का पैकेट पहले लेने के लिए टूट पड़े, जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का कॉन्सेप्ट का कोई मतलब ही नहीं बन पाया.

जिले में वनवासियों के साथ-साथ प्रदेश से आए हुए लोगों की भी लोकल लोग मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं. छोटे-मोटे संस्था मिलकर परदेस से आए क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों को आश्रय स्थलों पर खाना लेकर लोग पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से प्रशासन का काम आसान हो जा रहा है. प्रतिदिन जिले में 5000 से अधिक लोगों को विभिन्न छोटे बड़े संगठनों के सहयोग से भोजन का पैकेट बांटा जा रहा है.

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