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संत रविदास नगर: 5 सालों से बंद पड़ी है लाइब्रेरी, दीमक खा रहे किताबें - केएनपीजी डिग्री कॉलेज

यूपी के संत रविदास नगर के केएनपीजी डिग्री कॉलेज की लाइब्रेरी पिछले कई सालों से बंद है. लाइब्रेरी पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. इसको लेकर कॉलेज प्रशासन ने सरकार को कई बार पत्र लिखे, लेकिन उसका आज तक जवाब नहीं मिला.

सालों से बंद पड़ी है लाइब्रेरी.
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Published : Aug 31, 2019, 3:15 PM IST

संत रविदास नगर: जिले के एक मात्र महाविद्यालय के लाइब्रेरी में बंद पुस्तकें रखी-रखी सड़ रही हैं. पिछले कई वर्षों से लाइब्रेरियन की नियुक्ति न होने के कारण लाइब्रेरी बंद पड़ा है. केएनपीजी डिग्री कॉलेज काशी नरेश की दान की हुई बिल्डिंग में सन 1951 से चल रहा है.

सालों से बंद पड़ी है लाइब्रेरी.

कई सालों से बंद पड़ी है लाइब्रेरी-

  • लाइब्रेरी में गजेटियर संपादन के हिंदू धर्म की कई महत्वपूर्ण पुस्तकें रखी-रखी सड़ गई हैं.
  • इसका देखभाल करने वाला कोई नहीं है.
  • लाइब्रेरी पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुकी है.
  • पिछले पांच सालों से लाइब्रेरी बंद पड़ी है.
  • वहां पिछले कई सालों से सिर्फ एक कर्मचारी फॉर्मेलिटी के तौर पर काम करता है.

इस स्थिति को लेकर कॉलेज प्रशासन ने सरकार को कई बार पत्र लिखे, लेकिन उसका आज तक जवाब नहीं मिला. ऐसी स्थिति में लाइब्रेरी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. विद्यार्थी बाहर से पुस्तक खरीदने को मजबूर हैं.

इसे भी पढ़ें:- सहारनपुर: दारुल उलूम देवबंद में DM-SSP का निरीक्षण, लाइब्रेरी को लेकर पाई गई खामियां

विद्यार्थियों का कहना है कि अगर किसी क्लास में टीचर मौजूद नहीं रहता है तो किसी भी विद्यार्थी के पास घूमने के अलावा कोई चारा नहीं है. अगर लाइब्रेरी सही रहती तो बाहर से किताबें नहीं खरीदनी पड़ती और न ही किताबों के लिए भटकना पड़ता. साइबर लाइब्रेरी का निर्माण दो वर्ष पहले हुआ, लेकिन आज तक साइबर लाइब्रेरी में विद्यार्थियों की बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है.


प्रशासन को पिछले चार साल से लगातार पत्र लिख रहे हैं कि यहां नियुक्ति कराई जाए, ताकि लाइब्रेरी सही तरीके से चलाया जा सके. अब तक प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिल पाया है.
-पीएन डोंगरे, प्रिंसिपल

संत रविदास नगर: जिले के एक मात्र महाविद्यालय के लाइब्रेरी में बंद पुस्तकें रखी-रखी सड़ रही हैं. पिछले कई वर्षों से लाइब्रेरियन की नियुक्ति न होने के कारण लाइब्रेरी बंद पड़ा है. केएनपीजी डिग्री कॉलेज काशी नरेश की दान की हुई बिल्डिंग में सन 1951 से चल रहा है.

सालों से बंद पड़ी है लाइब्रेरी.

कई सालों से बंद पड़ी है लाइब्रेरी-

  • लाइब्रेरी में गजेटियर संपादन के हिंदू धर्म की कई महत्वपूर्ण पुस्तकें रखी-रखी सड़ गई हैं.
  • इसका देखभाल करने वाला कोई नहीं है.
  • लाइब्रेरी पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुकी है.
  • पिछले पांच सालों से लाइब्रेरी बंद पड़ी है.
  • वहां पिछले कई सालों से सिर्फ एक कर्मचारी फॉर्मेलिटी के तौर पर काम करता है.

इस स्थिति को लेकर कॉलेज प्रशासन ने सरकार को कई बार पत्र लिखे, लेकिन उसका आज तक जवाब नहीं मिला. ऐसी स्थिति में लाइब्रेरी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. विद्यार्थी बाहर से पुस्तक खरीदने को मजबूर हैं.

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विद्यार्थियों का कहना है कि अगर किसी क्लास में टीचर मौजूद नहीं रहता है तो किसी भी विद्यार्थी के पास घूमने के अलावा कोई चारा नहीं है. अगर लाइब्रेरी सही रहती तो बाहर से किताबें नहीं खरीदनी पड़ती और न ही किताबों के लिए भटकना पड़ता. साइबर लाइब्रेरी का निर्माण दो वर्ष पहले हुआ, लेकिन आज तक साइबर लाइब्रेरी में विद्यार्थियों की बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है.


प्रशासन को पिछले चार साल से लगातार पत्र लिख रहे हैं कि यहां नियुक्ति कराई जाए, ताकि लाइब्रेरी सही तरीके से चलाया जा सके. अब तक प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिल पाया है.
-पीएन डोंगरे, प्रिंसिपल

Intro:जिले का एकमात्र महाविद्यालय में सालों पुरानी पुस्तकों को दीमक खा चुके हैं किताबे महाविद्यालय के लाइब्रेरी में रखी रखी सड़ रही है पिछले कई वर्षों से लाइब्रेरी में कई वर्षों से नियुक्ति ना होने के कारण बंद पड़ा है केएनपीजी डिग्री कॉलेज काशी नरेश की दान की हुई बिल्डिंग में सन 1951 से चल रहा है वहां सैकड़ों साल पुरानी पुस्तकें रखी गई थी कुछ गजेटियर हिंदू धर्म की कई महत्वपूर्ण पुस्तकें रखी रखी सड़ गई क्योंकि इसका देखभाल करने वाला कोई नहीं है लाइब्रेरी पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो चुकी है और पिछले 6 सालों से बंद पड़ी है ना ही बच्चे वहां किताबें ईशु करा सकते हैं और ना ही वहां पर बैठ कर पढ़ सकते हैं यहां लाखों पुस्तकें रखे रखे दीमक कहा गए हैं


Body:वहां पिछले कई सालों से सिर्फ एक कर्मचारी काम करता है जोकि फॉर्मेलिटी के लिए है सालों से वहां विद्यालय का लाइब्रेरी भवन खुला तक नहीं है सारी किताबें नष्ट हो चुकी है ना ही वहां बैठकर पढ़ने की व्यवस्था है और ना ही वहां कोई विद्यार्थी सालों से गया है इस स्थिति को लेकर कॉलेज प्रशासन ने सरकार को कई बार पत्र लिखे लेकिन उसका आज तक जवाब नहीं मिला ऐसी स्थिति में ना लाइब्रेरी का देखभाल करने वाला कोई है और ना ही महाविद्यालय में लाइब्रेरी से किसी को कोई लेना-देना है विद्यार्थी बाहर से पुस्तक खरीदने को मजबूर है


Conclusion:ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों का कहना है कि कोई भी विद्यार्थी अगर कृषि क्लास में किसी दिन टीचर मौजूद नहीं रहता है तो उनके पास घूमने के अलावा या महाविद्यालय के प्रांगण में पेड़ों के नीचे बैठने के सिवा कोई चारा नहीं है अगर लाइब्रेरी सही रहता तो हमें बाहर से किताबें नहीं खरीदनी पड़ती और ना ही हमें किताबों के लिए भटकना पड़ता महाविद्यालय में गरीब छात्रों की संख्या बहुत अधिक है और सारे छात्र लगभग ग्रामीण परिवेश से आते हैं ऐसी स्थिति में गरीब बच्चे भी बाहर से किताबें खरीदने को मजबूर हैं उनका कहना है कि विद्यालय में मैगजीन तक उपलब्ध नहीं है साइबर लाइब्रेरी का निर्माण 2 वर्ष पहले हुआ लेकिन आज तक साइबर लाइब्रेरी में विद्यार्थियों की बैठने की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है और ना ही कोई भी विद्यार्थी लाइब्रेरी या साइबर लाइब्रेरी का फायदा उठा पाता है किताबें रखी रखी सड़ गई उन्हें दिमाग खा गए हैं लेकिन उन किताबों का फायदा पिछले 5 वर्षों से किसी भी विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है ऐसी स्थिति में विद्यार्थी बाजार से किताबें खरीदने को मजबूर है और उनका कहना है कि बाहर जो किताबें मिलती हैं वह बहुत महंगी होती है जिसकी वजह से महाविद्यालय में पढ़ रहे 5000 से अधिक बच्चे बाजार में मिलने वाले मनमाने रेट की किताबों पर निर्भर है वहां के प्राचार्य का कहना है कि इसके बाबत व प्रशासन को पिछले 4 साल से लगातार पत्र लिख रहे हैं कि यहां नियुक्ति कराई जाए ताकि लाइब्रेरी सही तरीके से चलाया जा सके और उसको साफ सुथरा रखा जा सके लेकिन प्रशासन अभी तक उसका जवाब नहीं दे पा रहा है जिससे कि शिक्षा की स्थिति केएनपीजी कॉलेज की चरमरा चुकी है

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प्रिंसिपल बाइट - पी ए न डोंगरे
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