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सहारनपुर: बालिका ने ब्रह्म मुहूर्त में किया शिव तांडव स्तोत्र का पाठ

आज सावन का तीसरा सोमवार है. श्रद्धालु शिवालयों में पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं. इस अवसर पर एक बालिका ने रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया.

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शिव भक्तों ने की शिवालयों में आराधना.
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Published : Jul 20, 2020, 10:45 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: सावन माह के तीसरे सोमवार को शिव भक्तों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया. एक 14 वर्षीय बालिका ने ग्यारहमुखी महादेव मंदिर को सजाकर ब्रह्म मुहूर्त में रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कर भगवान भोलेनाथ की आराधना की. बालिका ने मंदिर में स्थित शिवलिंग को अद्भुत तरीके से सजाया था.

सावन मास में जहां सभी शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर प्रसन्न करते हैं. वहीं देवबंद में रहने वाली एक 14 वर्षीय बालिका ने 11 मुखी महादेव मंदिर पहुंचकर ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर को फूलों से सजाया और रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया.

सावन का तीसरा सोमवार आज.

शिव तांडव स्तोत्र वह स्तोत्र है, जिसे रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लिखा था. रावण ने इसका पाठ करके भगवान भोलेनाथ से अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त की थी. यह पाठ संस्कृत में रचित है.

स्मृति ने बताया कि यह पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करने से विशेष फलदाई होता है. इसीलिए उसने भी पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करने की ठानी और आज सावन के तीसरे सोमवार को उसने यह पाठ का किया.

सहारनपुर: सावन माह के तीसरे सोमवार को शिव भक्तों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया. एक 14 वर्षीय बालिका ने ग्यारहमुखी महादेव मंदिर को सजाकर ब्रह्म मुहूर्त में रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कर भगवान भोलेनाथ की आराधना की. बालिका ने मंदिर में स्थित शिवलिंग को अद्भुत तरीके से सजाया था.

सावन मास में जहां सभी शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर प्रसन्न करते हैं. वहीं देवबंद में रहने वाली एक 14 वर्षीय बालिका ने 11 मुखी महादेव मंदिर पहुंचकर ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर को फूलों से सजाया और रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया.

सावन का तीसरा सोमवार आज.

शिव तांडव स्तोत्र वह स्तोत्र है, जिसे रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लिखा था. रावण ने इसका पाठ करके भगवान भोलेनाथ से अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त की थी. यह पाठ संस्कृत में रचित है.

स्मृति ने बताया कि यह पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करने से विशेष फलदाई होता है. इसीलिए उसने भी पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करने की ठानी और आज सावन के तीसरे सोमवार को उसने यह पाठ का किया.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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