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मारा गया आतंकी आसिम उमर, फिर सुर्खियों में आया दारुल उलूम देवबंद - अलकायदा का आतंकी मारा गया

सबसे खूंखार माना जाने वाला आतंकी संगठन अल कायदा का आतंकी आसिम उमर मारा गया है. अमेरिकी और अफगानी सेना के हाथों मारे गये आतंकी आसिम उमर का यूपी से कनेक्शन था. उसने दारुल उलूम देवबंद से ही पढ़ाई की थी.

दारुल उलूम की तालीम
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Published : Oct 10, 2019, 11:56 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए अलकायदा के कमांडर मौलाना आसिम उमर के पास से दारुल उलूम में पढ़ाई के दस्तावेज मिलने के बाद सवाल उठने शुरू हो गए हैं. बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने साल 1990-91 में दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल की थी. वहीं उलेमाओं का कहना है कि दारुल उलूम विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान है, जहां मजहबी और अमन चैन की तालीम दी जाती है. उनका कहना है कि आतंकी एवं आतंकवाद से दारुल उलूम का कोई ताल्लुक नहीं है.

सवालों के घेरे में दारुल उलूम की तालीम.

बता दें कि अफगानिस्तान में हुई अमेरिकी एयर स्ट्राइक में आसिम उमर मारा गया था, जो कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला था. 1990 के आखिरी दशक में वह पाकिस्तान चला गया. बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से 1991 में दीनी तालीम हासिल की थी. पाकिस्तान में जाकर उसने अपनी दीनी और असकारी ट्रेनिंग ली. बाद में उमर आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन का हिस्सा बन गया और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ गया. अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक जवाहिरी ने आसिम उमर को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए कमांडर बना कर आतंकवाद फैलाने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ में होटल मालिक पर फायरिंग, पुलिस को चुनौती देते हुए अपराधी फरार

खबरें आ रही है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल करने के बाद आतंकवाद की दुनिया में कदम रखा था. इससे विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान पर एक बार फिर सवाल उठने लगे. आतंकी आसिम उमर की पढ़ाई को लेकर देवबंदी उलेमाओं ने न सिर्फ खबरों का खंडन किया है, बल्कि आतंकवाद का विरोध किया है. उन्होंने बताया कि दारुल उलूम देवबंद मजहबी दीनी तालीम इदारा है. यहां पर अमन शांति और भाईचारे की तालीम दी जाती है. मजहबी तालीम देने के साथ-साथ ये भी तालीम दी जाती है कि आप जहां चाहे रहें, शांति से रहें.

उलेमाओं ने किया इनकार

दारुल उलूम के उलेमा काजी इसहाक गौरा ने ने बताया कि आसिम उमर ने 1991 में दारुल उलूम से तालीम हासिल की थी. यह दारुल उलूम को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश है और शुरू से दारुल उलूम को बदनाम करने की साजिशें चली आ रही हैं. हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक इस नाम का कोई शख्स दारुल उलूम में नहीं पढ़ा है और अगर उसने एक फीसदी देवबंद दारुल उलूम से तालीम हासिल की भी है तो हजारों की तादाद में लाखों की तादाद में यहां से छात्र तालीम हासिल कर जाते हैं.

उन्होंने कहा कि एक आधा शख्स मंदबुद्धि वाला जो कि अमन परस्ती की तालीम को नहीं समझ पाता या नहीं समझा, तो इसको किसी इदारे से जोड़ना या किसी शिक्षा स्थान से जोड़ना सरासर गलत है. निंदा के लायक है हम इसका खुला विरोध करते हैं. जो लोग दारुल उलूम देवबंद की शिक्षा से परेशान हैं या दारुल उलूम से परेशान है, मैं उनको दावत देता हूं कि वो दारूल उलूम में आएं, तालीम हासिल करें, यहां पर रहें. उनको खुद मालूम हो जाएगा कि दारुल उलूम देवबंद किस चीज की तालीम देता है और दारुल उलूम क्या है. वहीं दारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों ने भी यहां होने वाली पढ़ाई की तारीफ करते हुए आतंकवाद का विरोध किया है.

सहारनपुर: अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए अलकायदा के कमांडर मौलाना आसिम उमर के पास से दारुल उलूम में पढ़ाई के दस्तावेज मिलने के बाद सवाल उठने शुरू हो गए हैं. बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने साल 1990-91 में दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल की थी. वहीं उलेमाओं का कहना है कि दारुल उलूम विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान है, जहां मजहबी और अमन चैन की तालीम दी जाती है. उनका कहना है कि आतंकी एवं आतंकवाद से दारुल उलूम का कोई ताल्लुक नहीं है.

सवालों के घेरे में दारुल उलूम की तालीम.

बता दें कि अफगानिस्तान में हुई अमेरिकी एयर स्ट्राइक में आसिम उमर मारा गया था, जो कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला था. 1990 के आखिरी दशक में वह पाकिस्तान चला गया. बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से 1991 में दीनी तालीम हासिल की थी. पाकिस्तान में जाकर उसने अपनी दीनी और असकारी ट्रेनिंग ली. बाद में उमर आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन का हिस्सा बन गया और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ गया. अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक जवाहिरी ने आसिम उमर को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए कमांडर बना कर आतंकवाद फैलाने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ में होटल मालिक पर फायरिंग, पुलिस को चुनौती देते हुए अपराधी फरार

खबरें आ रही है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल करने के बाद आतंकवाद की दुनिया में कदम रखा था. इससे विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान पर एक बार फिर सवाल उठने लगे. आतंकी आसिम उमर की पढ़ाई को लेकर देवबंदी उलेमाओं ने न सिर्फ खबरों का खंडन किया है, बल्कि आतंकवाद का विरोध किया है. उन्होंने बताया कि दारुल उलूम देवबंद मजहबी दीनी तालीम इदारा है. यहां पर अमन शांति और भाईचारे की तालीम दी जाती है. मजहबी तालीम देने के साथ-साथ ये भी तालीम दी जाती है कि आप जहां चाहे रहें, शांति से रहें.

उलेमाओं ने किया इनकार

दारुल उलूम के उलेमा काजी इसहाक गौरा ने ने बताया कि आसिम उमर ने 1991 में दारुल उलूम से तालीम हासिल की थी. यह दारुल उलूम को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश है और शुरू से दारुल उलूम को बदनाम करने की साजिशें चली आ रही हैं. हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक इस नाम का कोई शख्स दारुल उलूम में नहीं पढ़ा है और अगर उसने एक फीसदी देवबंद दारुल उलूम से तालीम हासिल की भी है तो हजारों की तादाद में लाखों की तादाद में यहां से छात्र तालीम हासिल कर जाते हैं.

उन्होंने कहा कि एक आधा शख्स मंदबुद्धि वाला जो कि अमन परस्ती की तालीम को नहीं समझ पाता या नहीं समझा, तो इसको किसी इदारे से जोड़ना या किसी शिक्षा स्थान से जोड़ना सरासर गलत है. निंदा के लायक है हम इसका खुला विरोध करते हैं. जो लोग दारुल उलूम देवबंद की शिक्षा से परेशान हैं या दारुल उलूम से परेशान है, मैं उनको दावत देता हूं कि वो दारूल उलूम में आएं, तालीम हासिल करें, यहां पर रहें. उनको खुद मालूम हो जाएगा कि दारुल उलूम देवबंद किस चीज की तालीम देता है और दारुल उलूम क्या है. वहीं दारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों ने भी यहां होने वाली पढ़ाई की तारीफ करते हुए आतंकवाद का विरोध किया है.

Intro:सहारनपुर : फतवो की नगरी इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद एक बार फिर सुर्खियों में छाया हुआ है। अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए अलकायदा के कमांडर मौलाना आसिम उमर के पास से दारुल उलूम में पढ़ाई के दस्तावेज मिलने के बाद सवाल उठने लगे है। बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने साल 1990- 91 में दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल की थी। आतंकी के साथ दारुल उलूम देवबंद का नाम जुड़ने के बाद देवबंदी उलेमाओ में आक्रोश बना हुआ है। उलेमाओ का कहना है कि दारुल उलूम विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान है। जहां मजहबी एवं अमन चैन की तालीम दी जाती है। आतंकी एवं आतंकवाद से दारुल उलूम का कोई ताल्लुक नही है। अमेरिका में मारे गए आतंकी का दारुल उलूम में पढ़ने का कोई रिकार्ड नही है। मीडिया में आई खबरों की वे कड़ी निंदा करते है।Body:VO 1 - आपको बता दें सितंबर में अफगानिस्तान में हुई अमेरिकी एयर स्ट्राइक में आसिम उमर मारा गया था जो कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला था। 1990 के आखिरी दशक में वह पाकिस्तान चला गया। बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से 1991 में दीनी तालीम हासिल की थी। पाकिस्तान में जाकर उसने अपनी दीनी और असकारी ट्रेनिंग ली। बाद में उमर आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन का हिस्सा बन गया और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ गया। अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक जवाहिरी ने आसिम उमर को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए कमांडर के बना कर आतंकवाद फैलाने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी। खबरे आ रही है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल करने के बाद आतंकवाद की दुनिया मे कदम रखा था। जिससे विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान पर एक बार फिर सवाल उठने लगे। आतंकी आसिम उमर की पढ़ाई को लेकर देवबंदी उलेमाओं ने सिर्फ खबरों का खंडन किया है बल्कि आतंकवाद का विरोध किया है। उन्होंने बताया कि दारुल उलूम देवबंद मजहबी दीनी तालीम इदारा है। यहां पर अमन शांति व भाईचारे की तालीम दी जाती है, मजहबी तालीम देने के साथ-साथ के ये भी तालीम दी जाती है कि आप जहां चाहे रहे, शांति से रहे शांति की अर्जी दे अमन की तालीम दे। अभी हाल ही में किसी शख्स के मारे जाने की खबर मिली और उसका ताल्लुक अलकायदा से था उत्तर प्रदेश से था, उसको दारुल उलूम देवबंद का छात्र बता रहे हैं कि उसने 1991 में दारुल उलूम से तालीम हासिल की थी। ये दारुल उलूम को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश है और शुरू से दारुल उलूम को बदनाम करने की साजिशें चली आ रही है। हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक इस नाम का कोई शख्स दारुल उलूम में नही पढ़ा है। और अगर उसने एक फीसदी देवबंद दारुल उलूम से तालीम हासिल की भी है तो हजारों की तादाद में लाखों की तादाद में यहां से छात्र तालीम हासिल कर जाते हैं। उसमें एक आधा शख्स मंदबुद्धि वाला जो की अमन परस्ती की तालीम को नहीं समझ पाता या नहीं समझा, तो इसको किसी इदारे से जोड़ना या किसी शिक्षा स्थान से जोड़ना सरासर गलत है निंदा के लायक है हम इसका खुला विरोध करते हैं। जो लोग दारुल उलूम देवबंद की शिक्षा से परेशान हैं या दारुल उलूम से परेशान है। मैं उनको दावत देता हूं कि वो दारूल उलूम में आए, तालीम हासिल करें, यहां पर रहे, उनको खुद मालूम हो जाएगा कि दारुल उलूम देवबंद किस चीज की तालीम देता है और दारुल उलूम क्या है। वही दारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों ने भी यहां होने वाली पढ़ाई की तारीफ करते हुए आतंकवाद का विरोध किया है।

बाइट - काजी इसहाक गौरा (उलेमा)
बाइट - मौलाना तैयद बर्नी ( छात्र दारुल उलूम देवबंद )Conclusion:FVO - फतवो की नगरी देवबन्द से आतंकवाद से पुराना नाता रहा है। यही वजह है कि यहां से पूर्व में कई बार अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिक ही पकड़े गए बल्कि आतंकी संगठनों से जुड़े आतंकी भी पकड़े गए है। पकड़े गए सभी लोग खुद को दारुल उलूम का छात्र बताते रहे। लेकिन मदरसा संचालक ने उनके छात्र होने से इनकार ही किया है।

रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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