सहारनपुर: अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए अलकायदा के कमांडर मौलाना आसिम उमर के पास से दारुल उलूम में पढ़ाई के दस्तावेज मिलने के बाद सवाल उठने शुरू हो गए हैं. बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने साल 1990-91 में दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल की थी. वहीं उलेमाओं का कहना है कि दारुल उलूम विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान है, जहां मजहबी और अमन चैन की तालीम दी जाती है. उनका कहना है कि आतंकी एवं आतंकवाद से दारुल उलूम का कोई ताल्लुक नहीं है.
बता दें कि अफगानिस्तान में हुई अमेरिकी एयर स्ट्राइक में आसिम उमर मारा गया था, जो कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला था. 1990 के आखिरी दशक में वह पाकिस्तान चला गया. बताया जा रहा है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से 1991 में दीनी तालीम हासिल की थी. पाकिस्तान में जाकर उसने अपनी दीनी और असकारी ट्रेनिंग ली. बाद में उमर आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन का हिस्सा बन गया और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ गया. अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक जवाहिरी ने आसिम उमर को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए कमांडर बना कर आतंकवाद फैलाने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी.
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खबरें आ रही है कि आसिम उमर ने दारुल उलूम देवबंद से तालीम हासिल करने के बाद आतंकवाद की दुनिया में कदम रखा था. इससे विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान पर एक बार फिर सवाल उठने लगे. आतंकी आसिम उमर की पढ़ाई को लेकर देवबंदी उलेमाओं ने न सिर्फ खबरों का खंडन किया है, बल्कि आतंकवाद का विरोध किया है. उन्होंने बताया कि दारुल उलूम देवबंद मजहबी दीनी तालीम इदारा है. यहां पर अमन शांति और भाईचारे की तालीम दी जाती है. मजहबी तालीम देने के साथ-साथ ये भी तालीम दी जाती है कि आप जहां चाहे रहें, शांति से रहें.
उलेमाओं ने किया इनकार
दारुल उलूम के उलेमा काजी इसहाक गौरा ने ने बताया कि आसिम उमर ने 1991 में दारुल उलूम से तालीम हासिल की थी. यह दारुल उलूम को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश है और शुरू से दारुल उलूम को बदनाम करने की साजिशें चली आ रही हैं. हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक इस नाम का कोई शख्स दारुल उलूम में नहीं पढ़ा है और अगर उसने एक फीसदी देवबंद दारुल उलूम से तालीम हासिल की भी है तो हजारों की तादाद में लाखों की तादाद में यहां से छात्र तालीम हासिल कर जाते हैं.
उन्होंने कहा कि एक आधा शख्स मंदबुद्धि वाला जो कि अमन परस्ती की तालीम को नहीं समझ पाता या नहीं समझा, तो इसको किसी इदारे से जोड़ना या किसी शिक्षा स्थान से जोड़ना सरासर गलत है. निंदा के लायक है हम इसका खुला विरोध करते हैं. जो लोग दारुल उलूम देवबंद की शिक्षा से परेशान हैं या दारुल उलूम से परेशान है, मैं उनको दावत देता हूं कि वो दारूल उलूम में आएं, तालीम हासिल करें, यहां पर रहें. उनको खुद मालूम हो जाएगा कि दारुल उलूम देवबंद किस चीज की तालीम देता है और दारुल उलूम क्या है. वहीं दारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों ने भी यहां होने वाली पढ़ाई की तारीफ करते हुए आतंकवाद का विरोध किया है.