सहारनपुर: तीन तलाक पर कानून पास होने के बाद भी मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. जिले में तीन तलाक का एक मामला सामने आया है. पीड़िता ने बताया कि नौ साल पहले उसकी शादी हुई थी. बीते दो महीने पहले पति ने उसके घर जाकर महिला को तलाक दे दिया. पीड़िता ने गुरुवार को एसएसपी ऑफिस पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई. पीड़ित महिला का कहना है कि ससुराल पक्ष द्वारा उसे दहेज के लिए परेशान किया जाता है.
सहारनपुर में लॉकडाउन खुलने के बाद तीन तलाक का यह दूसरा मामला है. इस मामले में पीड़ित महिला ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई है. पीड़ित महिला ने एसएसपी ऑफिस पहुंचकर बताया कि उसकी शादी 2012 में नौशाद पुत्र अब्दुल कयूम निवासी कूटेसरा थाना चरथावल जिला मुजफ्फरनगर के साथ हुई थी. शादी मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार हुई थी. शादी के बाद उसका पति व ससुराल पक्ष के लोग शारीरिक व मानसिक रूप से उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे. इसके बाद महिला के पति नौशाद ने दो महीने पहले महिला के घर जाकर उसको तीन बार तलाक तलाक तलाक बोलकर तीन तलाक दे दिया. पीड़ित महिला का कहना है कि वह अपने पति के घर वापस जाना चाहती है, जिसको लेकर वह एसएसपी से मिली और न्याय की मांग की है.
क्या है तीन तलाक ?
2018 में राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा गया था. इस बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े. उसके बाद इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा गया. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में तीन तलाक कानून 19 सितबंर, 2018 से लागू कर दिया गया.
फिलहाल इस कानून के बाद भी आए दिन देश में तीन तलाक के नए मामले सामने आते रहते हैं. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है.
तीन तलाक के प्रावधान
- एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.
- मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
- तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
- महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है.
- मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.
- तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.
- तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखवाली मां के पास रहेगी.
- नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. हालांकि पत्नी के पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मजिस्ट्रेट की ओर से उचित शर्तों के साथ.