रायबरेली: जिले की पुलिस की ढीली कार्रवाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है. न्याय के लिए बने थाने अब सिर्फ नाम के बचे हैं. वहां पर गरीब की कोई सुनने वाला नहीं है, ऐसा कहना है पीड़ित परिवार का. जिले में शुक्रवार को यह मामला सामने आया. कुछ दिन पहले जुलाई माह में पीड़िता व उसके परिवार के साथ कुछ दबंगों ने मारपीट की थी. पीड़ित परिवार ने इसकी तहरीर दी थी, जिसमें अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. न्याय न मिलने से आहत परिवार शुक्रवार को जिलाधिकारी कार्यालय इच्छा मृत्यु की मांग करने पहुंच गया. मामले को तूल पकड़ता देख सिटी मजिस्ट्रेट ने पीड़िता का ज्ञापन तो ले लिया, लेकिन मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया.
दरअसल, जिले के ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के प्रताप का पुरवा मजरे मिर्जापुर ऐहारी गांव निवासी शिवकली का पुत्र दीपू 31 जुलाई को अपने मवेशियों को लेकर गांव से बाहर जा रहा था. रास्ते में गांव के ही दिलीप, नन्हे, अनिल व विनोद अपने साथियों के साथ खड़े थे, उसने उन्हें रास्ते से हटने को कहा, तो वो गाली-गलौज करने लगे. दबंग युवकों ने विरोध करने पर मारपीट शुरू कर दी. दीपू को बचाने आये उसके पिता, चाचा व मां को भी पीटा. इसी बीच ग्रामीणों को आता देख उन्हें धमकाते हुए, वहां से चलते बने.
पीड़िता ने मामले की शिकायत थाने में की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पीड़ित परिवार ने जिला मुख्यालय के भी कई चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने भी इनकी नहीं सुनी. थक-हारकर पीड़िता शुक्रवार परिजनों के साथ अपने गले में तख्ती लटकाकर डीएम कार्यालय पहुंचे. तख्ती पर लिखा था या तो हमें न्याय दो या इच्छा मृत्यु की अनुमति.
मामले को तूल पकड़ते देख सिटी मजिस्ट्रेट युगराज सिंह मौके पर पहुंचे और उनकी शिकायत सुनी और जांच की बात भी कही, लेकिन जब मीडिया ने उनसे सवाल करने चाहे तो वे कैमरे पर कुछ कहने से बचते दिखे.