रायबरेली: भाजपा की और से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी में विरोध का दौर शुरू हो गया है. सरेनी विधानसभा से पूर्व विधायक रहे सुरेंद्र बहादुर सिंह का ने दिनेश सिंह का विरोध करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने दिनेश सिंह पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.
सुरेंद्र बहादुर सिंह ने लगाए आरोप
- धन-बल के आधार पर दिनेश सिंह को टिकट दिया गया.
- दिनेश सिंह ने पिछले दस सालों में रायबरेली की जनता को लूटा है.
- इस लूट का पर्दाफाश करने के लिए मैं चुनाव में उतरा हूं.
- रायबरेली में गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर.
सामाजिक कार्यों की बदौलत स्थानीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाने का दावा करने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह ने चुनावों में अपनी एंट्री को बेहद रोमांचक करार देते हुए कहा कि अब रायबरेली के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा. सुरेंद्र बहादुर सिंह ने दिनेश प्रताप सिंह के अलावा यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस की उम्मीदवार सोनिया गांधी पर भी हमला करते हुए कहा कि रायबरेली की जनता के लिए अब गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर हो गई है.
वर्ष 1985 में कांग्रेस की बड़ी नेता और तत्कालीन मंत्री रहीं सुनीता सिंह चौहान को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त देने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह अटल-आडवाणी युग के दौर से भाजपा समर्थक माने जाते रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर रायबरेली में श्रद्धांजलि सभा के आयोजनकर्ता भी रहे. साथ ही वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री के रुप मे नरेंद्र मोदी को ही सबसे उपयुक्त व्यक्ति करार दिया.
पार्टी की ओर से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिए जाने से बेहद आहत हूं. यही कारण है कि विवश होकर मैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ रहा हूं. पार्टी की ओर से लोकसभा चुनावों में टिकट की दावेदारी में शामिल नहीं था और न ही पार्टी के विरोध में जाने की कोई मंशा थी, लेकिन दिनेश प्रताप सिंह को कैंडिडेट घोषित करके पार्टी से छल किया है.
-सुरेंद्र बहादुर सिंह, निर्दल प्रत्याशी