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रायबरेली: दिनेश सिंह को टिकट देने से नाराज भाजपा नेता ने किया नामांकन

भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिनेश सिंह को टिकट दिए जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में जमकर रोष देखा जा रहा है. रायबरेली से भाजपा नेता सुरेंद्र बहादुर सिंह ने दिनेश सिंह का विरोध करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया.

सुरेंद्र बहादुर सिंह से बात करते ईटीवी संवाददाता.
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Published : Apr 17, 2019, 3:16 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: भाजपा की और से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी में विरोध का दौर शुरू हो गया है. सरेनी विधानसभा से पूर्व विधायक रहे सुरेंद्र बहादुर सिंह का ने दिनेश सिंह का विरोध करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने दिनेश सिंह पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

सुरेंद्र बहादुर सिंह ने लगाए आरोप

  • धन-बल के आधार पर दिनेश सिंह को टिकट दिया गया.
  • दिनेश सिंह ने पिछले दस सालों में रायबरेली की जनता को लूटा है.
  • इस लूट का पर्दाफाश करने के लिए मैं चुनाव में उतरा हूं.
  • रायबरेली में गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर.
    सुरेंद्र बहादुर सिंह से बात करते ईटीवी संवाददाता.

सामाजिक कार्यों की बदौलत स्थानीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाने का दावा करने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह ने चुनावों में अपनी एंट्री को बेहद रोमांचक करार देते हुए कहा कि अब रायबरेली के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा. सुरेंद्र बहादुर सिंह ने दिनेश प्रताप सिंह के अलावा यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस की उम्मीदवार सोनिया गांधी पर भी हमला करते हुए कहा कि रायबरेली की जनता के लिए अब गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर हो गई है.

वर्ष 1985 में कांग्रेस की बड़ी नेता और तत्कालीन मंत्री रहीं सुनीता सिंह चौहान को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त देने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह अटल-आडवाणी युग के दौर से भाजपा समर्थक माने जाते रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर रायबरेली में श्रद्धांजलि सभा के आयोजनकर्ता भी रहे. साथ ही वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री के रुप मे नरेंद्र मोदी को ही सबसे उपयुक्त व्यक्ति करार दिया.

पार्टी की ओर से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिए जाने से बेहद आहत हूं. यही कारण है कि विवश होकर मैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ रहा हूं. पार्टी की ओर से लोकसभा चुनावों में टिकट की दावेदारी में शामिल नहीं था और न ही पार्टी के विरोध में जाने की कोई मंशा थी, लेकिन दिनेश प्रताप सिंह को कैंडिडेट घोषित करके पार्टी से छल किया है.
-सुरेंद्र बहादुर सिंह, निर्दल प्रत्याशी

रायबरेली: भाजपा की और से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी में विरोध का दौर शुरू हो गया है. सरेनी विधानसभा से पूर्व विधायक रहे सुरेंद्र बहादुर सिंह का ने दिनेश सिंह का विरोध करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने दिनेश सिंह पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

सुरेंद्र बहादुर सिंह ने लगाए आरोप

  • धन-बल के आधार पर दिनेश सिंह को टिकट दिया गया.
  • दिनेश सिंह ने पिछले दस सालों में रायबरेली की जनता को लूटा है.
  • इस लूट का पर्दाफाश करने के लिए मैं चुनाव में उतरा हूं.
  • रायबरेली में गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर.
    सुरेंद्र बहादुर सिंह से बात करते ईटीवी संवाददाता.

सामाजिक कार्यों की बदौलत स्थानीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाने का दावा करने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह ने चुनावों में अपनी एंट्री को बेहद रोमांचक करार देते हुए कहा कि अब रायबरेली के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा. सुरेंद्र बहादुर सिंह ने दिनेश प्रताप सिंह के अलावा यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस की उम्मीदवार सोनिया गांधी पर भी हमला करते हुए कहा कि रायबरेली की जनता के लिए अब गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर हो गई है.

वर्ष 1985 में कांग्रेस की बड़ी नेता और तत्कालीन मंत्री रहीं सुनीता सिंह चौहान को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त देने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह अटल-आडवाणी युग के दौर से भाजपा समर्थक माने जाते रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर रायबरेली में श्रद्धांजलि सभा के आयोजनकर्ता भी रहे. साथ ही वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री के रुप मे नरेंद्र मोदी को ही सबसे उपयुक्त व्यक्ति करार दिया.

पार्टी की ओर से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिए जाने से बेहद आहत हूं. यही कारण है कि विवश होकर मैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ रहा हूं. पार्टी की ओर से लोकसभा चुनावों में टिकट की दावेदारी में शामिल नहीं था और न ही पार्टी के विरोध में जाने की कोई मंशा थी, लेकिन दिनेश प्रताप सिंह को कैंडिडेट घोषित करके पार्टी से छल किया है.
-सुरेंद्र बहादुर सिंह, निर्दल प्रत्याशी

Intro:रायबरेली: दिनेश सिंह को भाजपा से टिकट दिए जाने से नाराज़ पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह ने दाख़िल किया अपना नामांकन

LOKSABHA CHUNAV 2019 SPECIAL: BJP NETA FROM RAEBARELI FILES NOMINATION AS INDEPENDENT CANDIDATE

16 अप्रैल 2019 - रायबरेली

रायबरेली में सोनिया गांधी के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी में भारी गतिरोध देखने को मिल रहा है।जहां एक ओर 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्यासी के रुप मे रायबरेली से चुनाव लड़ चुके अजय अग्रवाल ने पार्टी हाईकमान के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है और दिनेश प्रताप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं व वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर भी कुछ नेताओं ने इस डिसीजन का खुल कर विरोध करने का मन बनाया है।इन्हीं में से एक नाम रायबरेली के सरेनी विधानसभा के पूर्व विधायक रहे सुरेंद्र बहादुर सिंह का भी है,जिन्होंने आज निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया।

ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत में सुरेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि वह पार्टी द्वारा कांग्रेस के बागी एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिए जाने से बेहद आहत है और यही कारण है कि उन्हें विवश होकर निर्दलीय प्रत्याशी की रूप में मैदान में आना पड़ रहा है।एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह पर भ्रष्टाचार व अन्य अनियमितताएं बरतने के गंभीर इल्जाम लगाते हुए सुरेंद्र सिंह दावा करते हैं कि वह पार्टी की ओर से न ही लोकसभा चुनावों में टिकट की दावेदारी में शामिल थे और न ही उन्हें पार्टी के विरोध में जाने की कोई मंशा थी पर दिनेश प्रताप सिंह को पार्टी ने अपना कैंडिडेट घोषित करके उनके जैसे कार्यकर्ताओं के साथ छल करने का काम किया है।


Body:सामाजिक कार्यों की बदौलत स्थानीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाने का दावा करने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह ने चुनावों में अपनी एंट्री को बेहद रोमांचक करार देते हुए कहां कि अब रायबरेली के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा। हालांकि सुरेंद्र बहादुर सिंह ने दिनेश प्रताप सिंह के अलावा यूपीए चेयरपर्सन व कांग्रेस के उम्मीदवार सोनिया गांधी पर भी हमलावर रहे और रायबरेली की जनता के लिए अब गांधी परिवार की उपयोगिता न के बराबर होने की बात कही।

वर्ष 1985 में कांग्रेस की बड़ी नेता व तत्कालीन मंत्री रही सुनीता सिंह चौहान को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त देने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह अटल-आडवाणी युग के दौर से भाजपा समर्थक माने जाते रहे और बीते वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर रायबरेली में बड़ी श्रद्धांजलि सभा के आयोजनकर्ता भी रहे,साथ ही वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री के रुप मे नरेंद्र मोदी को ही सबसे उपयुक्त व्यक्ति करार दिया पर रायबरेली से अपनी भारी मतों से जीत के दावे भी किए।




बाइट : सुरेंद्र बहादुर सिंह - पूर्व विधायक - रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034



Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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