ETV Bharat / state

तंत्रोक्त पद्धति से हुई थी जगमोहनेश्वर की स्थापना, अमरकंटक से लाया गया शिवलिंग - जगमोहनेश्वर महादेव मंदिर रायबरेली

रायबरेली के चंदापुर कोठी स्थित जगमोहनेश्वर महादेव की महिमा न्यारी है. इस मंदिर की स्थापना चंदापुर स्टेट के राजा जगमोहन ने की थी. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग अमरकंटक (मध्य प्रदेश) से लाया गया था.

प्राचीन जगमोहनेश्वर मंदिर
प्राचीन जगमोहनेश्वर मंदिर
author img

By

Published : Mar 14, 2021, 1:45 PM IST

रायबरेली: शहर के मध्य स्थापित चंदापुर कोठी परिसर में स्थापित जगमोहनेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिरों में सुमार है. यहां हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ की उपासना करते हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को अमरकंटक (मध्य प्रदेश) से लाया गया था. इस मंदिर की महत्ता महाशिवरात्रि के अवसर पर और बढ़ जाती है.

जगमोहनेश्वर महादेव मंदिर के संबंध में बातचीत.
प्राचीन जगमोहनेश्वर मंदिर का अद्भुत इतिहास
मंदिर की स्थापना चंदापुर स्टेट के राजा जगमोहन ने की थी. उनके वंशज राजा हर्षेन्द्र बताते कि अपने जीवन काल में उनके परबाबा ने कई मंदिरों की स्थापना की थी. ये उनके कर कमलों से स्थापित 108वां मंदिर है. मंदिर के लिए शिवलिंग अमरकंटक से लाया गया था. इसकी खोज को लेकर भी 6 महीने से ज्यादा समय लगा था और राजा को वहीं पर प्रवास करना पड़ा था. 6 माह बीतने के बाद भी जब राजा की खोज पूरी नहीं हुई तब राजा निराश हो गए. इस बीच एक रात स्वप्न में आकर महादेव ने ही आगे का रास्ता सुझाया. तब जाकर खोज पूरी हुई. इसके बाद काशी विद्वत परिषद के प्रकांड आचार्यों ने तंत्रोक्त पद्धति से इसकी स्थापना कराई और तभी से यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. भक्तों का मन इस स्थल में ही बसता है और महाशिवरात्रि के विशेष आयोजन पर लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है.

इसे भी पढ़ें-महाशिवरात्रि: काशी में धूमधाम से निकली शिव की बारात


शिवरात्रि के अगले दिन होता है एट होम यानी भव्य भंडारा
चंदापुर कोठी के जगमोहनेश्वर महादेव की महिमा न्यारी है. मंदिर समिति के प्रभारी राघव मुरारका कहते हैं कि महाशिवरात्रि महापर्व को लेकर हर भक्त साल भर इंतजार करता है. शिव विवाह के अगले दिन 'एट होम' यानी भंडारे का आयोजन होता है. भंडारे में लाखों की संख्या में भक्तगण प्रसाद ग्रहण करते हैं.

रायबरेली: शहर के मध्य स्थापित चंदापुर कोठी परिसर में स्थापित जगमोहनेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिरों में सुमार है. यहां हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ की उपासना करते हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को अमरकंटक (मध्य प्रदेश) से लाया गया था. इस मंदिर की महत्ता महाशिवरात्रि के अवसर पर और बढ़ जाती है.

जगमोहनेश्वर महादेव मंदिर के संबंध में बातचीत.
प्राचीन जगमोहनेश्वर मंदिर का अद्भुत इतिहास
मंदिर की स्थापना चंदापुर स्टेट के राजा जगमोहन ने की थी. उनके वंशज राजा हर्षेन्द्र बताते कि अपने जीवन काल में उनके परबाबा ने कई मंदिरों की स्थापना की थी. ये उनके कर कमलों से स्थापित 108वां मंदिर है. मंदिर के लिए शिवलिंग अमरकंटक से लाया गया था. इसकी खोज को लेकर भी 6 महीने से ज्यादा समय लगा था और राजा को वहीं पर प्रवास करना पड़ा था. 6 माह बीतने के बाद भी जब राजा की खोज पूरी नहीं हुई तब राजा निराश हो गए. इस बीच एक रात स्वप्न में आकर महादेव ने ही आगे का रास्ता सुझाया. तब जाकर खोज पूरी हुई. इसके बाद काशी विद्वत परिषद के प्रकांड आचार्यों ने तंत्रोक्त पद्धति से इसकी स्थापना कराई और तभी से यहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. भक्तों का मन इस स्थल में ही बसता है और महाशिवरात्रि के विशेष आयोजन पर लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है.

इसे भी पढ़ें-महाशिवरात्रि: काशी में धूमधाम से निकली शिव की बारात


शिवरात्रि के अगले दिन होता है एट होम यानी भव्य भंडारा
चंदापुर कोठी के जगमोहनेश्वर महादेव की महिमा न्यारी है. मंदिर समिति के प्रभारी राघव मुरारका कहते हैं कि महाशिवरात्रि महापर्व को लेकर हर भक्त साल भर इंतजार करता है. शिव विवाह के अगले दिन 'एट होम' यानी भंडारे का आयोजन होता है. भंडारे में लाखों की संख्या में भक्तगण प्रसाद ग्रहण करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.