प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की जन्मस्थली भले ही कौशांबी जिले में है लेकिन प्रयागराज उनकी राजनैतिक कर्मभूमि रही है. यहां की जनता ने 2004 के विधानसभा उपचुनाव और 2007 के विधानसभा चुनाव में जीतनेभर का वोट न देकर उन्हें तीसरे स्थान पर भेज दिया था लेकिन 2014 के मोदी लहर वाले लोकसभा चुनाव में प्रयागराज की जनता ने फूलपुर लोकसभा सीट पर उन्हें सबसे बड़ी जीत का तोहफा भी दिया है.
उसके बावजूद डिप्टी सीएम प्रयागराज की किसी भी सीट से विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने की हिम्मत नहीं क्यों नहीं की. इसके पीछे एक वजह बदला हुआ चुनावी माहौल है तो वहीं दूसरी वजह शहर पश्चिमी सीट से दो बार मिली हार है. 2012 के चुनाव में प्रदेश में सपा की लहर के बावजूद उन्हें सिराथू की जनता ने अपना विधायक चुना था. इस कारण वो दस साल बाद फिर उसी सीट से विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को प्रयागराज के फूलपुर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बनने का मौका मिला. वहीं आज़ादी के बाद पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू की इस सीट पर केशव प्रसाद मौर्य ने कमल का फूल खिलाकर भाजपा को रिकार्ड मतों से जीत दिलवायी. उन्हें जहां 52 फीसदी से अधिक वोट मिले, वहीं सपा-बसपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को कुल मिलाकर 43 फीसदी तक वोट ही मिल सके.
भाजपा के केशव मौर्य को जहां 5 लाख 3 हजार 564 वोट मिले थे. वहीं, दूसरे नंबर पर रहे सपा प्रत्याशी धर्मराज सिंह पटेल को 1 लाख 95 हजार 256 वोट से ही संतोष करना पड़ा. तीन लाख से अधिक वोट से मिली जीत इस लोकसभा सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड मानी जाती है. 2014 के लोकसभा के इलेक्शन में भले ही केशव प्रसाद मौर्य को भारी मतों से जीत मिली लेकिन इसी लोकसभा की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से दो बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा.
2004 के उप चुनाव और 2007 के विधानसभा चुनाव में शहर पश्चिमी की जनता ने उन्हें तीसरे स्थान पर भेज दिया था. शायद यही वजह है कि यूपी के बदले हुए माहौल में डिप्टी सीएम ने सिराथू सीट से चुनाव लड़ना बेहतर समझा.
2012 में सिराथू से बने थे विधायक
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी जन्मभूमि कौशांबी जिले की सिराथू सीट से मैदान में उतरेंगे. सिराथू सीट पर 2012 के चुनाव में उन्हें 57 हजार 926 वोट मिले थे जबकि बसपा के आनंद मोहन 48 हजार 63 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे. 2017 के चुनाव में केशव मौर्य के करीबी शीतला प्रसाद 78 हजार 621 वोट पाकर चुनाव जीते थे जबकि सपा के संतोष सिंह पटेल 55 हजार 18 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.
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अब दस साल बाद सूबे के उप मुख्यमंत्री एक बार फिर विधानसभा चुनाव के मैदान में हैं. डिप्टी सीएम ने अपने गृह जनपद कौशांबी से ही चुनाव जीतकर विधानसभा जाने का फैसला किया है. अब देखना होगा कि उन्हें कौशांबी की इस सीट पर कितने वोट मिलते हैं. 2012 चुनाव के दस साल बाद 2022 के चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू की जनता का कितना प्रेम मिलता है.
सपा और कांग्रेस ने कहा, हार के डर से छोड़ा प्रयागराज
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के प्रयागराज जिले की किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव न लड़ने को लेकर सपा और कांग्रेस नेताओं ने उन पर कटाक्ष किया है. दोनों ही दलों के नेताओं ने कहा कि प्रयागराज के किसी भी सीट पर चुनाव लड़कर जितना उनके लिए आसान नहीं था. इसी वजह से उन्होंने कौशांबी में अपने गृह जनपद वाली सीट से चुनाव मैदान में ताल ठोंकने की ठानी है.
विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि प्रयागराज की शहर उत्तरी की जनता पढ़ी लिखी है. यहां से जातीय आंकड़े डिप्टी सीएम के पक्ष में नहीं थे. वहीं कोरोना काल में हुई मौतें और तबाही भी डिप्टी सीएम की जीत में रोड़ा बन सकती थी. इसके अलावा पांच साल में बढ़ी बेरोजगारी और मंहगाई ऐसे मुद्दे हैं जिनकी वजह से प्रयागराज की सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. इसी वजह से डिप्टी सीएम ने फूलपुर की किसी भी विधानसभा चुनाव से मैदान में उतरने का खतरा मोल नहीं लिया.
भाजपा नेता ने कहा, डिप्टी सीएम हर सीट से जीत सकते हैं चुनाव
वहीं, भाजपा नेता का कहना है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इतना काम किया है कि वो किसी भी सीट से चुनाव जीत सकते हैं. सिराथू से उनके चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी ने लिया है. इसकी वजह से वो वहां से चुनाव लड़ने गए हैं. रही विपक्ष की बात तो उनका काम तो सिर्फ अफवाह फैलाना है. उन्होंने कहाकि पूरा विपक्ष डरा हुआ है. यही वजह है कि अभी तक विपक्षी दलों के बड़े नेताओं ने चुनाव मैदान में उतरने तक का फैसला नहीं लिया है.