प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) में गुरुवार को रोजगार अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया गया. यहां, बेरोजगारों ने सरकार से रोजगार मांगा. सम्मेलन में उत्तर प्रदेश में 25 लाख रिक्त सरकारी पदों पर नियुक्ति करने, रोजगार न देने तक 10 हजार रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने, नई शिक्षा नीति 2020 रद करने और रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की गई. ऐसा नहीं करने पर छात्रों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मौजूदा योगी सरकार का बहिस्कार करने का मन बनाया है.
संगमनगरी में अपनी मांगों को लेकर युवा छात्र रोजगार के लिए सरकार से आर पार के मूड में हैं. इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रोजगार अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख रुप से 25 लाख रिक्त पड़े पदों को भरने और निजीकरण को रोकने की मांग की जाए. इसके अतिरिक्त 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में घोटाले के आरोपों की जांच कराने की मांग की.
बेरोजगार युवा और छात्रों ने कहा कि वर्तमान की बीजेपी सरकार छात्र विरोधी है. विश्वविद्यालय से पास आउट और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. आरोप है कि सरकार ने अपने चुनावी वादों में युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था. सरकार ने वादाखिलाफी करते हुए बेरोजगारी और बढ़ा दी थी. मौजूदा वक्त में प्रदेश में 25 लाख रिक्त पद पड़े हुए हैं, लेकिन सरकार का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा है.
रोजगार अधिकार मंच के संयोजक सुनील मौर्य ने बताया कि छात्र प्रदेश भर में रोजगार अधिकार सम्मेलन चला रहे हैं. इसी क्रम में आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी बेरोजगारी, निजीकरण और 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती घोटालों के जांच की मांग की है. आरोप लगाया कि सरकार ने अपने अधिकार की मांग कर रहे बेरोजगारों पर पुलिस से बर्बरतापूर्वक लाठियां चलवाईं.
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सम्मेलन में आए बेरोजगारों ने सरकार से 10 हजार प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग की. चेतावनी दी कि अगर, सरकार उनकी इन मांगों पर ध्यान नहीं देगी तो विधानसभा चुनाव में युवा उनको वोट की चोट देंगे.