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महिला दिवस विशेषः भौजी की केतली में पकती है अपनेपन की चाय - प्रयागराज खबर

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की रहने वाली उषा देवी के हाथों की बनी चाय का लुत्फ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर देश के कई प्रधानमंत्री तक उठा चुके हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्थित उनकी यह चाय की दुकान कई होनहार छात्रों के नेता से लेकर अफसर बनने तक की साक्षी है.

चाय वाली भौजी के हाथों की चाय
चाय वाली भौजी के हाथों की चाय
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Published : Mar 8, 2020, 4:52 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में वर्षों से चाय की दुकान चला रहीं उषा देवी चाय वाली भौजी के नाम से प्रसिद्ध हैं. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र, भौजी के दुकान पर आते हैं और चाय पीने के साथ ही पढ़ाई शुरू करते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए चाय वाली भौजी ने कहा कि घर का खर्च पूरा करने के लिए 1 अप्रैल 2004 से चाय की दुकान की जिम्मेदारी उठाई है. हमारे यहां चाय के दुकान पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री सहित कई बड़े दिग्गज नेता, सांसद, विधायक आ चुके हैं. पढ़ाई के दौरान यहीं की चाय पीते हुए कई छात्र आईएएस, पीसीएस अधिकारी तक बने हैं. विश्वविद्यालय में 16 साल से अधिक हो गए मुझे चाय की दुकान संभाले हुए.

देखे स्पेशल रिपोर्ट.
बच्चों का पेट भरने के लिए संभाला चाय की दुकानचाय वाली भौजी उषा देवी का कहना है कि कई पीढ़ी से परिवार के लोग चाय की दुकान चला रहे थे. ससुर जी के देहांत होने के बाद कुछ दिन मेरे पति ने चाय की दुकान को संभाला. इसके बाद उनकी सेहत खराब रहने लगी तो, 2004 से मैंने 30 साल की उम्र से चाय दुकान चलाना शुरू किया. शुरुआत में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए चाय बेचना शुरू किया. चाय बेचकर अपने बच्चों का पालन-पोषण किया.महिलाओं को आना चाहिए आगेउषा देवी ने कहा कि बहुत सी ऐसी महिलाएं जो समाज के डर से आगे नहीं आना चाहती है. मैं उन महिलाओं को यह कहना चाहती हूं कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं है. जिस तरह मैंने अपने बच्चों और परिवार का पेट भरने के लिए चाय बेचा तो, महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा दमदारी के साथ काम करना चाहिए. महिला आगे आएंगी तो समाज और देश तेजी के साथ आगे बढ़ेगा.विश्वविद्यालय प्रशासन ने किया था सम्मानितउषा देवी ने बताया कि विश्वविद्यालय में महिला होकर चाय बेचती हूं. इसके विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा सम्मानित भी किया गया था. विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के बहुत सहयोग मिला.

शासन और प्रशासन से मदद की उम्मीद
चाय वाली भौजी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी किसी तरह से मदद नहीं किया और न ही शासन-प्रशासन द्वारा किसी भी तरह से मदद नहीं मिली. मैं सरकार से यही उम्मीद करती हूं कि मुझे सरकारी आवास दिला दिया जाए, जिससे बच्चों को छत मिल सके.

भौजी के हाथों चाय की चुस्की का हर कोई है मुरीद
चाय वाली भौजी ने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ ही पूरा प्रयागराज चाय वाली भौजी के नाम से जनता है. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला हर छात्र चाय पीता है. इसके साथ ही बहुत छात्र ऐसे भी है जो पढ़ाई कर आईएस,पीसीएस और बड़े-बड़े अधिकारी बन गए हैं, लेकिन आज भी जब वह विश्वविद्यालय आते हैं तो चाय जरूर पीते हैं.

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में वर्षों से चाय की दुकान चला रहीं उषा देवी चाय वाली भौजी के नाम से प्रसिद्ध हैं. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र, भौजी के दुकान पर आते हैं और चाय पीने के साथ ही पढ़ाई शुरू करते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए चाय वाली भौजी ने कहा कि घर का खर्च पूरा करने के लिए 1 अप्रैल 2004 से चाय की दुकान की जिम्मेदारी उठाई है. हमारे यहां चाय के दुकान पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री सहित कई बड़े दिग्गज नेता, सांसद, विधायक आ चुके हैं. पढ़ाई के दौरान यहीं की चाय पीते हुए कई छात्र आईएएस, पीसीएस अधिकारी तक बने हैं. विश्वविद्यालय में 16 साल से अधिक हो गए मुझे चाय की दुकान संभाले हुए.

देखे स्पेशल रिपोर्ट.
बच्चों का पेट भरने के लिए संभाला चाय की दुकानचाय वाली भौजी उषा देवी का कहना है कि कई पीढ़ी से परिवार के लोग चाय की दुकान चला रहे थे. ससुर जी के देहांत होने के बाद कुछ दिन मेरे पति ने चाय की दुकान को संभाला. इसके बाद उनकी सेहत खराब रहने लगी तो, 2004 से मैंने 30 साल की उम्र से चाय दुकान चलाना शुरू किया. शुरुआत में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए चाय बेचना शुरू किया. चाय बेचकर अपने बच्चों का पालन-पोषण किया.महिलाओं को आना चाहिए आगेउषा देवी ने कहा कि बहुत सी ऐसी महिलाएं जो समाज के डर से आगे नहीं आना चाहती है. मैं उन महिलाओं को यह कहना चाहती हूं कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं है. जिस तरह मैंने अपने बच्चों और परिवार का पेट भरने के लिए चाय बेचा तो, महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा दमदारी के साथ काम करना चाहिए. महिला आगे आएंगी तो समाज और देश तेजी के साथ आगे बढ़ेगा.विश्वविद्यालय प्रशासन ने किया था सम्मानितउषा देवी ने बताया कि विश्वविद्यालय में महिला होकर चाय बेचती हूं. इसके विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा सम्मानित भी किया गया था. विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के बहुत सहयोग मिला.

शासन और प्रशासन से मदद की उम्मीद
चाय वाली भौजी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी किसी तरह से मदद नहीं किया और न ही शासन-प्रशासन द्वारा किसी भी तरह से मदद नहीं मिली. मैं सरकार से यही उम्मीद करती हूं कि मुझे सरकारी आवास दिला दिया जाए, जिससे बच्चों को छत मिल सके.

भौजी के हाथों चाय की चुस्की का हर कोई है मुरीद
चाय वाली भौजी ने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ ही पूरा प्रयागराज चाय वाली भौजी के नाम से जनता है. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला हर छात्र चाय पीता है. इसके साथ ही बहुत छात्र ऐसे भी है जो पढ़ाई कर आईएस,पीसीएस और बड़े-बड़े अधिकारी बन गए हैं, लेकिन आज भी जब वह विश्वविद्यालय आते हैं तो चाय जरूर पीते हैं.

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