प्रयागराज: श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के वयोवृद्व संत और पूर्व अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत सोहन गिरि ब्रह्मलीन हो गए. इसकी खबर लगते ही समस्त संत समाज में शोक की लहर दौड़ गयी है. 105 वर्षीय श्रीमहंत सोहन गिरि पूरे संत समाज में अत्यंत लोकप्रिय थे.
संगम नगरी प्रयागराज के साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने उन्हें श्रद्वांजलि देते हुए कहा ब्रह्मलीन श्रीमहंत सोहन गिरि जूना अखाड़े की नींव के पत्थर थे. उनके जीवनकाल में अखाड़ा निरन्तर प्रगति और उन्नति के नए कीर्तिमान स्थापित करता रहा.
महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि आज अखाड़े का जो विशाल स्वरूप दिखाई पड़ रहा है. यह उनकी दूरदर्शिता तथा सोच का परिणाम है . वह अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक सक्रिय रहे तथा अखाड़े के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते रहे. नरेंद्र गिरी ने कहा कि उनका जाना एक युग का अवसान है. अपने पूरे जीवन काल में वह अखाड़े के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना से कार्य करते रहे.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने बताया ब्रह्मलीन श्रीमहंत सोहन गिरि को गढ़मुक्तेश्वर स्थित ब्रजघाट स्थित सूरजगिरि आश्रम में भू-समाधि दी जाएगी. उनके अन्तिम संस्कार में भाग लेने के लिए पूरे देश से साधु संत तथा विभिन्न अखाड़ों के नागा संन्यासी महामण्डलेश्वर व अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी बृजघाट पहुंच रहे हैं.