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पुलिस उप निरीक्षक पद पर सीधी भर्ती में चयनित कांस्टेबलों को प्रशिक्षण काल में अवकाश वेतन पाने का हकः हाईकोर्ट - prayagraj

कोर्ट ने कहा है कि  16 सितंबर 1965 के शासनादेश एवं 3 नवंबर 1979 के सर्कुलर के मुताबिक सीधी भर्ती में उप निरीक्षक बने आरक्षियों को प्रशिक्षण काल में छुट्टी मनाकर कर वेतन पाने का अधिकार है. पुलिस विभाग ने सीधी भर्ती में चयनित होने के कारण प्रशिक्षण काल का वेतन देने से इनकार कर दिया था.

सीधी भर्ती में चयनित कांस्टेबलों को प्रशिक्षण काल में अवकाश वेतन पाने का हक
सीधी भर्ती में चयनित कांस्टेबलों को प्रशिक्षण काल में अवकाश वेतन पाने का हक
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Published : Sep 16, 2021, 10:40 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक पद पर चयनित आरक्षियों को स्टाइपेंड के साथ अवकाश कालीन वेतन पाने का हकदार करार दिया है. साथ ही कोर्ट ने उन्हें शासनादेश का लाभ देने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि 16 सितंबर 1965 के शासनादेश एवं 3 नवंबर 1979 के सर्कुलर के मुताबिक सीधी भर्ती में उप निरीक्षक बने आरक्षियों को प्रशिक्षण काल में छुट्टी मनाकर कर वेतन पाने का अधिकार है. ऐसा इसलिए किया गया कि उप निरीक्षक पद पर चयन के बाद आरक्षी इस्तीफा दे देते थे, प्रशिक्षण पूरा होने के बाद नियुक्त होते थे. शासनादेश से इस्तीफा न स्वीकार कर प्रशिक्षण के लिए कार्यमुक्त करने की व्यवस्था की गई और कहा गया कि प्रशिक्षण अवधि को छुट्टी माना जाय.

विभाग ने इस अवधि का वेतन देने से इनकार कर दिया, जिसे चुनौती दी गई और एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी. इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने एकलपीठ के 15 नवंबर 19 के फैसले को रद्द कर दिया है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने आलोक कुमार सिंह व अन्य की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.

याची का कहना था कि आरक्षी रहते हुए उप निरीक्षक भर्ती में अर्जी दी और सफल घोषित किया गया. उसे प्रशिक्षण पर भेजा गया, लेकिन स्टाइपेंड का ही भुगतान किया गया. याची ने 1965 के शासनादेश व 1979 के सर्कुलर के आधार पर प्रशिक्षण अवधि को छुट्टी मानते हुए इस अवधि का वेतन देने की मांग की. इसे नियम 157ए(4) के तहत असामान्य अवकाश माना जायेगा. पुलिस विभाग ने सीधी भर्ती में चयनित होने के कारण प्रशिक्षण काल का वेतन देने से इनकार कर दिया था. जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना था.

तहसीलदार शाहगंज को गांव सभा की जमीन से एक माह में अतिक्रमण हटाने का निर्देश

एक दूसरे मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तहसीलदार शाहगंज अभिषेक कुमार राय को गांव सभा की जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने के 28 सितंबर 20 को दिए आदेश का एक माह में पालन करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने जौनपुर की शाहगंज तहसील के डोमनपुर गांव के निवासी अरुण कुमार यादव की अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक यादव ने बहस की. इनका कहना था कि जनहित याचिका पर कोर्ट ने सहायक कलेक्टर को राजस्व संहिता की धारा 67के तहत कार्रवाई करने और अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था. जिसकी जानकारी के बावजूद आदेश पर अमल नहीं किया गया. गांव के एक दर्जन से अधिक लोगों पर खेल मैदान, भीटा, पंचायत भवन, स्कूल की जमीन हथियाने का आरोप है, जिसे कानूनी कार्रवाई कर हटाया जाना है. कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है लेकिन आदेश पालन करने का एक अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए.

पढ़ें- मैनपुरी रेप केसः कोर्ट की डीजीपी को नसीहत, स्वर्ग कहीं और नहीं, अपने कर्मों का फल सभी को यहीं भोगना पड़ता है

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक पद पर चयनित आरक्षियों को स्टाइपेंड के साथ अवकाश कालीन वेतन पाने का हकदार करार दिया है. साथ ही कोर्ट ने उन्हें शासनादेश का लाभ देने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि 16 सितंबर 1965 के शासनादेश एवं 3 नवंबर 1979 के सर्कुलर के मुताबिक सीधी भर्ती में उप निरीक्षक बने आरक्षियों को प्रशिक्षण काल में छुट्टी मनाकर कर वेतन पाने का अधिकार है. ऐसा इसलिए किया गया कि उप निरीक्षक पद पर चयन के बाद आरक्षी इस्तीफा दे देते थे, प्रशिक्षण पूरा होने के बाद नियुक्त होते थे. शासनादेश से इस्तीफा न स्वीकार कर प्रशिक्षण के लिए कार्यमुक्त करने की व्यवस्था की गई और कहा गया कि प्रशिक्षण अवधि को छुट्टी माना जाय.

विभाग ने इस अवधि का वेतन देने से इनकार कर दिया, जिसे चुनौती दी गई और एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी. इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने एकलपीठ के 15 नवंबर 19 के फैसले को रद्द कर दिया है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने आलोक कुमार सिंह व अन्य की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.

याची का कहना था कि आरक्षी रहते हुए उप निरीक्षक भर्ती में अर्जी दी और सफल घोषित किया गया. उसे प्रशिक्षण पर भेजा गया, लेकिन स्टाइपेंड का ही भुगतान किया गया. याची ने 1965 के शासनादेश व 1979 के सर्कुलर के आधार पर प्रशिक्षण अवधि को छुट्टी मानते हुए इस अवधि का वेतन देने की मांग की. इसे नियम 157ए(4) के तहत असामान्य अवकाश माना जायेगा. पुलिस विभाग ने सीधी भर्ती में चयनित होने के कारण प्रशिक्षण काल का वेतन देने से इनकार कर दिया था. जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना था.

तहसीलदार शाहगंज को गांव सभा की जमीन से एक माह में अतिक्रमण हटाने का निर्देश

एक दूसरे मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तहसीलदार शाहगंज अभिषेक कुमार राय को गांव सभा की जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने के 28 सितंबर 20 को दिए आदेश का एक माह में पालन करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने जौनपुर की शाहगंज तहसील के डोमनपुर गांव के निवासी अरुण कुमार यादव की अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक यादव ने बहस की. इनका कहना था कि जनहित याचिका पर कोर्ट ने सहायक कलेक्टर को राजस्व संहिता की धारा 67के तहत कार्रवाई करने और अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था. जिसकी जानकारी के बावजूद आदेश पर अमल नहीं किया गया. गांव के एक दर्जन से अधिक लोगों पर खेल मैदान, भीटा, पंचायत भवन, स्कूल की जमीन हथियाने का आरोप है, जिसे कानूनी कार्रवाई कर हटाया जाना है. कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है लेकिन आदेश पालन करने का एक अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए.

पढ़ें- मैनपुरी रेप केसः कोर्ट की डीजीपी को नसीहत, स्वर्ग कहीं और नहीं, अपने कर्मों का फल सभी को यहीं भोगना पड़ता है

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