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प्रधानाचार्यों के चयन परिणाम घोषित करने की मांग में याचिका, कोर्ट ने चयन बोर्ड के रवैये पर जताई नाराजगी - prayagraj hindi news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों की 2011 की भर्ती साक्षात्कार के चयन परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर चयन बोर्ड के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Sep 23, 2020, 3:01 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों की 2011 की भर्ती साक्षात्कार के चयन परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर चयन बोर्ड के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 21 जनवरी 2014 से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार को विधि सम्मत माना है. सचिव और उप सचिव उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का 6 मार्च 2020 का आदेश कोर्ट की अवहेलना करने वाला है. कोर्ट ने राज्य सरकार व बोर्ड को आदेश संशोधित करने का समय दिया है. साथ ही चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो अवमानना कार्यवाही की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दीपक भाटिया व अन्य की याचिका पर दिया है.

कोर्ट ने सरकार को आदेश संशोधित करने का दिया समय

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना है कि सरकार ने स्वयं ही हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार सही है. 2 जून से 3 जुलाई 2014 तक हुए साक्षात्कार 26 जून 2014 के शासनादेश से निरस्त हो चुके हैं. 27 अप्रैल 2015 से 6 मई 2015 तक हुए साक्षात्कार बोर्ड के चेयरमैन के इस्तीफे के कारण स्थगित हैं. 18 मई 2015 से 26 जून 2015 तक साक्षात्कार लिए गए हैं. कोर्ट के आदेश पर कानपुर का स्थगित है.

याची अधिवक्ता का कहना है कि जब खंडपीठ ने कहा है कि 21 जनवरी 2014 से 26 फरवरी 2014 के बीच हुए साक्षात्कार पर विवाद नहीं है और याची इसी श्रेणी के अभ्यर्थी है, तो परिणाम न घोषित करना कोर्ट की अवहेलना है. याचिका में मेरठ, मुरादाबाद व फैजाबाद परिक्षेत्र के इस साक्षात्कारों के परिणाम घोषित करने की मांग की गई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों की 2011 की भर्ती साक्षात्कार के चयन परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर चयन बोर्ड के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 21 जनवरी 2014 से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार को विधि सम्मत माना है. सचिव और उप सचिव उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का 6 मार्च 2020 का आदेश कोर्ट की अवहेलना करने वाला है. कोर्ट ने राज्य सरकार व बोर्ड को आदेश संशोधित करने का समय दिया है. साथ ही चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो अवमानना कार्यवाही की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दीपक भाटिया व अन्य की याचिका पर दिया है.

कोर्ट ने सरकार को आदेश संशोधित करने का दिया समय

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना है कि सरकार ने स्वयं ही हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार सही है. 2 जून से 3 जुलाई 2014 तक हुए साक्षात्कार 26 जून 2014 के शासनादेश से निरस्त हो चुके हैं. 27 अप्रैल 2015 से 6 मई 2015 तक हुए साक्षात्कार बोर्ड के चेयरमैन के इस्तीफे के कारण स्थगित हैं. 18 मई 2015 से 26 जून 2015 तक साक्षात्कार लिए गए हैं. कोर्ट के आदेश पर कानपुर का स्थगित है.

याची अधिवक्ता का कहना है कि जब खंडपीठ ने कहा है कि 21 जनवरी 2014 से 26 फरवरी 2014 के बीच हुए साक्षात्कार पर विवाद नहीं है और याची इसी श्रेणी के अभ्यर्थी है, तो परिणाम न घोषित करना कोर्ट की अवहेलना है. याचिका में मेरठ, मुरादाबाद व फैजाबाद परिक्षेत्र के इस साक्षात्कारों के परिणाम घोषित करने की मांग की गई है.

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