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हनुमान मंदिर निर्माण पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल, जानिए पूरा मामला - इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में आज हनुमान मंदिर के निर्माण पर रोक (Demand for ban on Construction of Hanuman Temple) लगाने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 9, 2023, 10:56 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को हनुमान मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने की मांग में जनहित याचिका दाखिल की गई है. अधिवक्ता सुनीता शर्मा व प्रियंका श्रीवास्तव और समाजसेवी योगेंद्र प्रताप पांडेय की जनहित याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, पूजा मिश्रा और यादवेंद्र नाथ पांडेय के अनुसार याचिका में निर्माणाधीन मंदिर को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग भी की गई है, ताकि सड़क पर हो रहे अवरोध को हटाया जाए और उच्च न्यायालय में प्रवेश करने में अधिवक्ताओं एवं वादकारियों को कोई कठिनाई न हो.

याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में हो रहे हनुमान मंदिर का निर्माण राज्य सरकार, कमिश्नर, डीएम, उपाध्यक्ष पीडीए, नगर आयुक्त और रजिस्ट्रार हाईकोर्ट की अनुमति से किया जा रहा है. निर्माणाधीन स्थल पर पुराने हरे पेड़ को भी काट दिया गया है. याचिका में राज्य सरकार द्वारा प्रमुख सचिव, प्रयागराज के कमिश्नर, डीएम, नगर आयुक्त, पीडीए उपाध्यक्ष, रजिस्ट्रार इलाहाबाद हाईकोर्ट आदि को विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है.

न्यायविद हनुमान मंदिर प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट 1971 से संरक्षित है. ऐसे में वर्तमान नवनिर्माण कराने का कोई औचित्य नहीं है. कहा गया है कि न्यायविद हनुमान मंदिर 1936 से स्थित है, जिसे विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2020 में रात में उठाकर नाले के बगल चबूतरे पर सुलभ शौचालय के बगल रखने की कोशिश की थी. इस पर एडवोकेट लक्ष्मीकांत मिश्र के नेतृत्व में हनुमान मंदिर संघर्ष समिति का गठन कर विरोध किया गया. साथ ही एक जनहित याचिका सुनीता शर्मा व अन्य की ओर से दाखिल की गई, जो अब भी विचाराधीन है.

यह भी पढ़ें: अयोध्या में योगी कैबिनेट की बैठक: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ विकास परिषद के गठन समेत 14 प्रस्ताव मंजूर

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को हनुमान मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने की मांग में जनहित याचिका दाखिल की गई है. अधिवक्ता सुनीता शर्मा व प्रियंका श्रीवास्तव और समाजसेवी योगेंद्र प्रताप पांडेय की जनहित याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, पूजा मिश्रा और यादवेंद्र नाथ पांडेय के अनुसार याचिका में निर्माणाधीन मंदिर को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग भी की गई है, ताकि सड़क पर हो रहे अवरोध को हटाया जाए और उच्च न्यायालय में प्रवेश करने में अधिवक्ताओं एवं वादकारियों को कोई कठिनाई न हो.

याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में हो रहे हनुमान मंदिर का निर्माण राज्य सरकार, कमिश्नर, डीएम, उपाध्यक्ष पीडीए, नगर आयुक्त और रजिस्ट्रार हाईकोर्ट की अनुमति से किया जा रहा है. निर्माणाधीन स्थल पर पुराने हरे पेड़ को भी काट दिया गया है. याचिका में राज्य सरकार द्वारा प्रमुख सचिव, प्रयागराज के कमिश्नर, डीएम, नगर आयुक्त, पीडीए उपाध्यक्ष, रजिस्ट्रार इलाहाबाद हाईकोर्ट आदि को विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है.

न्यायविद हनुमान मंदिर प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट 1971 से संरक्षित है. ऐसे में वर्तमान नवनिर्माण कराने का कोई औचित्य नहीं है. कहा गया है कि न्यायविद हनुमान मंदिर 1936 से स्थित है, जिसे विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2020 में रात में उठाकर नाले के बगल चबूतरे पर सुलभ शौचालय के बगल रखने की कोशिश की थी. इस पर एडवोकेट लक्ष्मीकांत मिश्र के नेतृत्व में हनुमान मंदिर संघर्ष समिति का गठन कर विरोध किया गया. साथ ही एक जनहित याचिका सुनीता शर्मा व अन्य की ओर से दाखिल की गई, जो अब भी विचाराधीन है.

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