प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नगर निगम के चुनाव में वार्डों की मतदाता सूची पर आपत्ति तभी स्वीकार की जा सकती है जब यह आपत्ति निर्धारित समय सीमा के भीतर और तय किए गए प्रोफार्मा पर की गई हो. आपत्ति करने की समय सीमा बीत जाने के बाद और बिना प्रोफार्मा के की गई आपत्ति पर विचार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम के पार्षद फैजल खान द्वारा मतदाता सूची में संशोधन की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया है. याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने सुनवाई की.
याची का कहना था कि वह वार्ड संख्या 78 करेलाबाग 2 से पार्षद है. वार्ड संख्या 96 शम्स नगर की मतदाता सूची में कुछ नामों को जोड़ने और कुछ को बाहर करने की मांग की थी ताकि मतदाता सूची को 28 सितंबर 2022 को जारी परिसीमन की अधिसूचना के मुताबिक किया जा सके. इस संबंध में याची ने अपर आयुक्त नगर निगम और एडीएम वित्त को 15 नवंबर 22 और 21 नवंबर 22 को लिखित आपत्ति दी थी मगर उसका निस्तारण नहीं किया गया.
याचिका का विरोध करते हुए नगर निगम के अधिवक्ता विभु राय का कहना था कि चुनाव आयोग द्वारा यूपी म्युनिसिपल कारपोरेशन एक्ट के तहत जारी अधिसूचना के अनुसार मतदाता सूची के निरीक्षण व आपत्ति दाखिल करने के लिए 1 से 7 नवंबर तक का समय उपलब्ध कराया गया था मगर याची द्वारा निर्धारित समय अवधि के बाद अपनी आपत्ति प्रस्तुत की गई. अधिवक्ता का यह भी कहना था कि याची द्वारा प्रस्तुत आपत्ति निर्धारित प्रोफार्मा पर नहीं थी इसलिए उसकी आपत्ति स्वीकारी योग्य नहीं है.
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यूपी म्युनिसिपल कारपोरेशन( मतदाता सूची तैयार करने व संशोधन) रूल्स के मुताबिक जैसे ही मतदाता सूची तैयार हो जाती है उसे निरीक्षण व आपत्ति दाखिल करने के लिए उपलब्ध करा दिया जाता है। मतदाता सूची में नाम जोड़ने और आपत्तियां दर्ज कराने का तरीका रूल 8( बी) में दिया गया है. इसके मुताबिक फार्म 2( ए ) पर ही आपत्ति दर्ज कराई जानी चाहिए. आपत्ति दर्ज कराने का कार्य निर्धारित समय सीमा और तय प्रोफार्मा पर ही किया जाना चाहिए अन्यथा आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी. उपरोक्त निष्कर्ष के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.