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OMG! इलाहाबाद हाईकोर्ट में दस लाख से ज्यादा केस पेंडिंग

एशिया का सबसे बड़ा हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा मुकदमे लंबित है. यहां 1 जून 2022 तक 10 लाख 27 हजार 483 मुकदमे लंबित हैं. जबकि लखनऊ बेंच में 8 लाख 60 हजार 182 मामले प्रधानपीठ में लंबित है और 2 लाख 21 हजार 501 मुकदमे लंबित हैं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jun 6, 2022, 1:30 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हाईकोर्ट माना जाता है और न्याय के इस मंदिर में इस समय सबसे ज्यादा मुकदमे भी लंबित हैं. हाईकोर्ट की प्रधान पीठ और लखनऊ बेंच में 1 जून तक कुल 10,27,483 मुकदमें पेंडिंग हैं. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का तर्क है कि इतना बड़ा हाईकोर्ट है, उसी वजह से लंबित मुकदमों की संख्या भी अधिक है. इसके अलावा यहां जजों की कमी भी है, इसलिए काफी मुकदमे यहां पेंडिंग में है.

मिली जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1 जून 2022 तक 10 लाख 27 हजार 483 मुकदमे लंबित हैं, जिसमें से 8 लाख 60 हजार 182 मामले प्रधानपीठ में लंबित है और 2 लाख 21 हजार 501 मुकदमे लखनऊ बेंच में लंबित हैं. इतनी बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित होने की वजह से इंसाफ की आस में इलाहाबाद हाईकोर्ट आने वाले वादकारियों को सालों से इंतजार करना पड़ रहा है.

जजों की कमी है वजह: इलाहाबाद हाईकोर्ट में दस लाख से अधिक मामले पेंडिंग होने का कारण न्यायाधीशों की कमी है. इस वक्त इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोर्ट रूम के मुताबिक 160 जजों की जरूरत है और इतने पद स्वीकृत भी हैं. लेकिन, जजों की नियुक्ति न होने पाने की वजह से हाईकोर्ट में मुकदमे लंबित होने का भी रिकॉर्ड बन रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा का कहना है कि हाईकोर्ट सबसे बड़ा है, इसी वजह से मुकदमों के लंबित होने की संख्या भी सबसे ज्यादा है. कोर्ट में वकीलों की संख्या तो पर्याप्त है. लेकिन, जजों की संख्या काफी कम है, जो मुकदमे लंबित होने के पीछे की मुख्य वजह है.

हाईकोर्ट बार एसोशिएशन ने पेंडिंग केसों पर दी जानकारी

जजों की नियुक्ति से होगा समाधान: हाईकोर्ट बार एशोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा और पूर्व अध्यक्ष राकेश पांडेय दोनों ही लोग केस पेंडिंग होने के पीछे की मुख्य वजह जजों की कमी को ही मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार जरूरत के मुताबिक जजों की तैनाती कर दे, तो मामलों की सुनवाई और फैसले जल्द से जल्द हो पाएगी. इसके साथ ही सालों से लटके हुए मामलों की संख्या, जो दस लाख को पार कर गयी है. उसमें भी कमी लायी जा सकेगी. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष ने बताया कि आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 160 जजों की जरूरत है, जिसमें से काम करने के लिए मात्र 92 जज ही तैनात किए गए हैं. कोर्ट में जजों के 60 फीसदी तक पद भी भरे नहीं है. इस वजह से हाईकोर्ट में लगातार लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है.

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन के खिलाफ याचिका पर हंडिया विधायक को जारी किया नोटिस


एसोसिएशन ने की नियुक्ति की मांग: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने सरकार से मांग की है कि हाईकोर्ट में जल्द से जल्द न्यायधीशों की नियुक्ति की जाए. साथ ही, उन्होंने दूसरे अन्य प्रान्तों के न्यायधीश नियुक्त किये जाने को लेकर सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि बाहरी प्रदेश के जज तैनात किए जाने से भी मुकदमों के निस्तारण में देर होती है.

पेंडिंग केसों में ज्यादातर केस सरकारी: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राकेश पांडेय का कहना है कि लाखों मुकदमे पेंडिंग होना इस बात का भी संकेत है कि लोग अपने अधिकार और न्याय पाने के हक को लेकर कितने जागरूक हैं. पेंडिंग केसों में ज्यादातर केस सरकारी या उससे जुड़ें हुए विभागों के हैं. कई बार सरकार की तरफ से भी छोटे-छोटे मामलों को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक घसीटा जाता है. सरकार को चाहिए कि न्यायधीशों की नियुक्ति की जाए. कानून के एक्सपर्ट और अनुभवी लोगों को न्यायाधीश की जिम्मेदारी देकर हाईकोर्ट में भेजें, जिससे वो वादकारियों को जल्द से जल्द न्याय दे सकें.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हाईकोर्ट माना जाता है और न्याय के इस मंदिर में इस समय सबसे ज्यादा मुकदमे भी लंबित हैं. हाईकोर्ट की प्रधान पीठ और लखनऊ बेंच में 1 जून तक कुल 10,27,483 मुकदमें पेंडिंग हैं. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का तर्क है कि इतना बड़ा हाईकोर्ट है, उसी वजह से लंबित मुकदमों की संख्या भी अधिक है. इसके अलावा यहां जजों की कमी भी है, इसलिए काफी मुकदमे यहां पेंडिंग में है.

मिली जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1 जून 2022 तक 10 लाख 27 हजार 483 मुकदमे लंबित हैं, जिसमें से 8 लाख 60 हजार 182 मामले प्रधानपीठ में लंबित है और 2 लाख 21 हजार 501 मुकदमे लखनऊ बेंच में लंबित हैं. इतनी बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित होने की वजह से इंसाफ की आस में इलाहाबाद हाईकोर्ट आने वाले वादकारियों को सालों से इंतजार करना पड़ रहा है.

जजों की कमी है वजह: इलाहाबाद हाईकोर्ट में दस लाख से अधिक मामले पेंडिंग होने का कारण न्यायाधीशों की कमी है. इस वक्त इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोर्ट रूम के मुताबिक 160 जजों की जरूरत है और इतने पद स्वीकृत भी हैं. लेकिन, जजों की नियुक्ति न होने पाने की वजह से हाईकोर्ट में मुकदमे लंबित होने का भी रिकॉर्ड बन रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा का कहना है कि हाईकोर्ट सबसे बड़ा है, इसी वजह से मुकदमों के लंबित होने की संख्या भी सबसे ज्यादा है. कोर्ट में वकीलों की संख्या तो पर्याप्त है. लेकिन, जजों की संख्या काफी कम है, जो मुकदमे लंबित होने के पीछे की मुख्य वजह है.

हाईकोर्ट बार एसोशिएशन ने पेंडिंग केसों पर दी जानकारी

जजों की नियुक्ति से होगा समाधान: हाईकोर्ट बार एशोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा और पूर्व अध्यक्ष राकेश पांडेय दोनों ही लोग केस पेंडिंग होने के पीछे की मुख्य वजह जजों की कमी को ही मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार जरूरत के मुताबिक जजों की तैनाती कर दे, तो मामलों की सुनवाई और फैसले जल्द से जल्द हो पाएगी. इसके साथ ही सालों से लटके हुए मामलों की संख्या, जो दस लाख को पार कर गयी है. उसमें भी कमी लायी जा सकेगी. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष ने बताया कि आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 160 जजों की जरूरत है, जिसमें से काम करने के लिए मात्र 92 जज ही तैनात किए गए हैं. कोर्ट में जजों के 60 फीसदी तक पद भी भरे नहीं है. इस वजह से हाईकोर्ट में लगातार लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है.

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एसोसिएशन ने की नियुक्ति की मांग: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने सरकार से मांग की है कि हाईकोर्ट में जल्द से जल्द न्यायधीशों की नियुक्ति की जाए. साथ ही, उन्होंने दूसरे अन्य प्रान्तों के न्यायधीश नियुक्त किये जाने को लेकर सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि बाहरी प्रदेश के जज तैनात किए जाने से भी मुकदमों के निस्तारण में देर होती है.

पेंडिंग केसों में ज्यादातर केस सरकारी: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राकेश पांडेय का कहना है कि लाखों मुकदमे पेंडिंग होना इस बात का भी संकेत है कि लोग अपने अधिकार और न्याय पाने के हक को लेकर कितने जागरूक हैं. पेंडिंग केसों में ज्यादातर केस सरकारी या उससे जुड़ें हुए विभागों के हैं. कई बार सरकार की तरफ से भी छोटे-छोटे मामलों को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक घसीटा जाता है. सरकार को चाहिए कि न्यायधीशों की नियुक्ति की जाए. कानून के एक्सपर्ट और अनुभवी लोगों को न्यायाधीश की जिम्मेदारी देकर हाईकोर्ट में भेजें, जिससे वो वादकारियों को जल्द से जल्द न्याय दे सकें.

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