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काशी विश्वेवर नाथ मंदिर मस्जिद मामले की सुनवाई जारी, 15 जुलाई को होगी अगली सुनवाई - काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट

वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के सर्वे कराने के आदेश को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) ने चुनौती दी  है.

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काशी विश्वेवर नाथ मंदिर मस्जिद
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Published : Jul 13, 2022, 6:24 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद की सुनवाई जारी है. इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी. कोर्ट पहले ही पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराने के अधीनस्थ अदालत के आदेश पर लगी रोक 31 जुलाई तक बढ़ा रखी है.

वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के सर्वे कराने के आदेश को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने चुनौती दी है. इस याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया (Justice Prakash Padia) कर रहे हैं. मंदिर की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने तर्क दिया कि औरंगजेब के फरमान से आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाईं गई है.

भूमि का स्वामित्व मंदिर का ही रहा है. ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं हैं, जिससे कहा जा सके कि वक्फ गठित किया गया था. औरंगजेब ने कभी भी भूमि का मालिकाना हक नहीं लिया. मंदिर परिसर की बाउंड्री वॉल हजारों साल पुरानी है. मस्जिद के ढांचे से पुरानी है.

इसे भी पढ़ेंः काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद विवाद : बुधवार को नहीं हुई कोर्ट में सुनवाई, 13 जुलाई की मिली तारीख

उन्होंने कहा कि आम मुसलमानों को मस्जिद में नमाज अदा करने का अधिकार नहीं है. 1936 में दीन मोहम्मद और अन्य ने बनारस सिविल कोर्ट में दावा दाखिल किया. जिसमें राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट ने 1942 में वादियों को ही जुमा की नमाज अदा करने की इजाजत दी है.

पूरा परिसर ज्ञानवापी मंदिर का है. अकबर ने भी इलाहाबाद किला बनाने के लिए जमीन खरीदी थी. औरंगजेब ने भी दक्षिण भारत में जमीन खरीदकर मस्जिद का निर्माण कराया. उन्होंने कहा कि राजा भूमि का मालिक नहीं होता. वह टैक्स वसूली करता है. अधिवक्ता ने कहा कि ब्रिटिश सरकार में लार्ड कर्जन ने छत्ता द्वार पर लार्ड विश्वेश्वर नाथ नौबत खाना बनाया था.

मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए नौबतखाना नहीं बनता. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983 का हवाला दिया, जिसमें विश्वनाथ मंदिर की स्थिति स्पष्ट की है. रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा की लंबे समय से इस्तेमाल करने की अवधारणा मात्र से पारंपरिक अधिकार नहीं मिल जाता. वक्फ कब कैसे गठित किया गया, इसका कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. राम जन्मभूमि मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमीन का स्वामित्व मूर्ति को दिया है. इसलिए ज्ञानवापी परिसर विश्वेश्वर नाथ मंदिर का है. मसाजिद पक्ष की बहस 15 जुलाई को होगी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद की सुनवाई जारी है. इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी. कोर्ट पहले ही पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराने के अधीनस्थ अदालत के आदेश पर लगी रोक 31 जुलाई तक बढ़ा रखी है.

वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के सर्वे कराने के आदेश को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने चुनौती दी है. इस याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया (Justice Prakash Padia) कर रहे हैं. मंदिर की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने तर्क दिया कि औरंगजेब के फरमान से आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाईं गई है.

भूमि का स्वामित्व मंदिर का ही रहा है. ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं हैं, जिससे कहा जा सके कि वक्फ गठित किया गया था. औरंगजेब ने कभी भी भूमि का मालिकाना हक नहीं लिया. मंदिर परिसर की बाउंड्री वॉल हजारों साल पुरानी है. मस्जिद के ढांचे से पुरानी है.

इसे भी पढ़ेंः काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद विवाद : बुधवार को नहीं हुई कोर्ट में सुनवाई, 13 जुलाई की मिली तारीख

उन्होंने कहा कि आम मुसलमानों को मस्जिद में नमाज अदा करने का अधिकार नहीं है. 1936 में दीन मोहम्मद और अन्य ने बनारस सिविल कोर्ट में दावा दाखिल किया. जिसमें राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट ने 1942 में वादियों को ही जुमा की नमाज अदा करने की इजाजत दी है.

पूरा परिसर ज्ञानवापी मंदिर का है. अकबर ने भी इलाहाबाद किला बनाने के लिए जमीन खरीदी थी. औरंगजेब ने भी दक्षिण भारत में जमीन खरीदकर मस्जिद का निर्माण कराया. उन्होंने कहा कि राजा भूमि का मालिक नहीं होता. वह टैक्स वसूली करता है. अधिवक्ता ने कहा कि ब्रिटिश सरकार में लार्ड कर्जन ने छत्ता द्वार पर लार्ड विश्वेश्वर नाथ नौबत खाना बनाया था.

मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए नौबतखाना नहीं बनता. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983 का हवाला दिया, जिसमें विश्वनाथ मंदिर की स्थिति स्पष्ट की है. रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा की लंबे समय से इस्तेमाल करने की अवधारणा मात्र से पारंपरिक अधिकार नहीं मिल जाता. वक्फ कब कैसे गठित किया गया, इसका कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. राम जन्मभूमि मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमीन का स्वामित्व मूर्ति को दिया है. इसलिए ज्ञानवापी परिसर विश्वेश्वर नाथ मंदिर का है. मसाजिद पक्ष की बहस 15 जुलाई को होगी.

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