प्रयागराज: 8 जनवरी का दिन इलाहाबाद के इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है. इसी दिन कंपनी बाग में स्थित राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी में यूपी विधानसभा की पहली बैठक हुई थी. यूपी विधानसभा की पहली बैठक की 134वीं वर्षगांठ के मौके पर एक बार फिर से इस गौरवशाली इतिहास को याद किया जाएगा.
इस मौके पर राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी में 8 जनवरी 2021 को सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा. सम्मान समारोह में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इतिहास के ऐतिहासिक पल को पुनर्जीवित करते हुए यादगार बनाएंगे. राजकीय लाइब्रेरी के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉक्टर गोपाल मोहन शुक्ला बताया कि वर्तमान में पुस्तकालय के अध्ययन कक्ष में विधानसभा सत्र की पहली बैठक संपन्न हुई. यह इलाहाबाद का ऐतिहासिक पल है.
8 जनवरी 1887 को हुई थी पहली बैठक
संगम नगरी की ऐतिहासिक पहचान राजकीय पुस्तकालय जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इलाहाबाद उत्तर प्रदेश की पहली विधान मंडल सत्र की नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज एंड अवध लेजिस्लेटिव कौंसिल की पहली बैठक 8 जनवरी 1887 को हुई थी. यह बैठक इलाहाबाद के चंदशेखर आजाद पार्क कंपनी बाग के निकट पब्लिक लाइब्रेरी के अंदर थार्नहिल मेन मेमोरियल हाल में हुई थी.
पहली बैठक में 9 लोग शामिल
उत्तर प्रदेश राज्य को पहले नार्थ वेस्टर्न प्राविसेज एण्ड अवध के नाम से जाना जाता था. इंडियन कौंसिल ऐक्ट -1861 के प्रावधानों के अनुसार 5 जनवरी 1887 को उत्तर प्रदेश विधान मंडल सदन लेजिस्लेटिव कौंसिल फार द नार्थ वेस्टर्न प्रावन्सैिज अवध की बैठक शनिवार 8 जनवरी थार्नहिल मेन मेमोरियल हाल में हुई. सन 1900 ई. तक सदन की सभी बैठक इसी हॉल में हुई. इस बैठक का उद्घाटन तत्कालिन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर अल्फ्रेड लायल ने किया था. विधान मंडल की पहली बैठक में 5 अंग्रेज और 4 भारतीय सहित 9 लोग शामिल हुए थे.
राजकीय लाइब्रेरी के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉक्टर गोपाल मोहन शुक्ला ने बताया कि बहुत कम ही लोगों को ही मालूम होगा कि देश की आजादी के पहले यूपी विधानसभा की पहली बैठक इलाहाबाद में हुई थी. कंपनी बाग में स्थित राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी की बिल्डिंग में आठ जनवरी 1887 को यूपी विधानसभा की पहली बैठक हुई थी. उन दिनों उत्तर प्रदेश को नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज एंड अवध के नाम से जाना जाता था. नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज एंड अवध की पहली लेजिस्लेटिव काउंसिल अल्फ्रेड लायल की अध्यक्षता में हुई थी.
विधानसभा की बैठक में ये हुए थे शामिल
बैठक में 5 अंग्रेज और 4 भारतीय शामिल हुए थे. पहली लेजिस्लेटिव कौंसिल में कई प्रस्ताव पास किए गए थे. बैठक में 5 अंग्रेज सदस्य जे डब्लू क्विंटन, टी कानलन, जे.बुडबर्न, एम ए मैकांगी और जीई नाक्स शामिल रहे. जबकि 4 भारतीयों में पंडित अयोध्या नाथ पाठक , मौलवी सर सैयद अहमद खां, राजा प्रताप नारायण सिंह और राज बहादुर दुर्गा प्रसाद शामिल थे. 9 लोगों की बैठक में अवध की रूपरेखा के संबंध में कई विषयों पर चर्चा हुई.
स्थापत्य कला शैली
जहां यह बैठक हुई थी उस पुस्ताकालय की भी अपनी विशेषता है. 1868 में इस पुस्तकालय की स्थापना के जनक बोर्ड आफ रेवेन्यू के सदस्य सीबी थार्नहिल के मित्र फरासिस आवटे मायने ने मित्र की याद में थार्नहिल मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की. 1871 में लेफ्टिनेंट गवर्नर विलियम म्योर ने शिलान्यास किया. इसके अगले साल ही मायने की हैजा से मृत्यु हो गई . इस घटना को समाहित करते हुए थार्नहिल मायने मेमोरियल का निर्माण चुनार के पत्थरों से गोथिक स्थापत्य शैली में 1878 में हुआ.
प्रतियोगी छात्रा ने दी जानकारी
ईटीवी भारत की टीम ने वहां मौजूद पुस्तकालय कक्ष में प्रतियोगी छात्रा आंचल मिश्रा से बातचीत में बताया कि सजाने और संवारने काम चल रहा था पुस्तकालय को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था जो आज से पहले हमने कभी नहीं देखा वही से मुझे इसकी जानकारी मिली पब्लिक लाइब्रेरी में 1887 में हुई विधानमंडल की बैठक की सालगिरह मनाने की तैयारी की जा रही है जिसमें यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आएंगे.
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