प्रयागराज: जिले में करबला के शहीदों की याद में वर्षों से जुलूसे अमारी निकाला जाता है. शिया समुदाय के लोगों ने कर्बला के शहीदों की याद में दरियाबाद स्थित अजाखाना सैयद नजर अब्बास नकवी से ऐतिहासिक जुलूसे अमारी निकाला. इसमें शहर के शिया समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. कर्बला शहीदों की याद में निकाला गए जुलूस में कई प्रदेशों की अंजुमनों ने भी शिरकत की. जुलूस में देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से आए हुए अंजुमनों ने भी शिरकत की. अल्ला को याद करने के साथ ही कर्बला शहीदों को भी याद किया.
जुलूस में या हुसैन या अली की सदाएं बुलंद होती रहीं
जुलूस में बज रही नौहों को सुनने के लिए आसपास के जिले के लोग भी खास तौर पर मौजूद रहे. जुलूसे अमारी की सबसे खास बात यह है कि इस दौरान देश के अलावा विदेशों की अंजुमनों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. ईरान के बुशेरी कस्बे से आई अंजुमन ने एक खास अंदाज में मातम किया, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा. इस दौरान या हुसैन या अली की सदाएं बुलंद होती रहीं. देश के अलग-अलग हिस्सों से आई अंजुमनों ने भी महफिले अजा कमेटी की ओर से निकाले गए जुलूस में पूरे जोश और जज्बे के साथ शहीदों को याद किया गया.
इस दौरान शिया धर्म गुरुओं ने करबला के शहीदों की जिंदगी पर रोशनी डाली और कहा कि हुसैन किसी खास कायनात के न होकर सारी दुनिया के थे. इसलिए उनको याद करते हुए हर साल की तरह इस साल भी कर्बला शहीदों के लिए जुलूस निकालकर लोगों के बीच जाने का काम किया है.
1962 से यह जुलूसे अमारी स्थानीय लेबल पर उठाया जाता है, लेकिन बाकर अब्बास नकवी में 1975 से पूरे देशों के अंजुमनों के साथ यह जुलूसे अमारी का जुलूस निकाला जाता है. प्रायगराज महफिले अजा कमेठी द्वारा हर साल कर्बला के शहीदों को याद करके यह जुलूस निकाला जाता है. इस जुलूस का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रयागराज की जो मिली-जुली संस्कृति है उसको बढ़ावा मिले. इसलिए यह जुलूस निकाला जाता है. इसके साथ जुलूसे अमारी इमाम हुसैन की सहादत के लिए जुलूस निकालकर उनको याद किया जाता है.
-सैयद अजादार हुसैन, उपाध्यक्ष, महफिले अजा कमेटी