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High court news: आईटीआई छात्रों के प्रवेश मामले में प्रिंसिपल व कॉलेज मैनेजर तलब - हाईकोर्ट की न्यूज हिंदी में

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईटीआई छात्रों के प्रवेश मामले में प्रिंसिपल व कॉलेज मैनेजर को तलब किया है.

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Published : May 15, 2023, 9:40 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईटीआई छात्रों के प्रवेश दस्तावेज एससीवीटी की वेबसाइट पर अपलोड करने व उनके प्रवेश को वैधता देने की मांग में दाखिल याचिका पर भोगांव आईटीआई कॉलेज परतापपुर मैनपुरी के मैनेजर और प्रिंसिपल को 23 मई को तलब किया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने छात्र सुखवीर और 59 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने आईटीआई कॉलेज को मान्यता/ संबद्धता संबंधी प्रक्रिया एवं उसकी शर्तों, आईटीआई कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए निर्धारित फीस व उसके मानक, कॉलेज के कार्यों के निरीक्षण संबंधी नियम, गलती करने पर कॉलेज के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही संबंधी नियम, कॉलेज के खिलाफ इस लापरवाही पर केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अब तक की कार्यवाही और निर्धारित तिथियों में वेबसाइट के सर्वर की स्थिति पर केंद्र सरकार (डीजीटी) एवं राज्य सरकार (एससीवीटी) से हलफनामा मांगा है.

भोगांव आईटीआई कॉलेज के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वेबसाइट काम न करने के कारण डाटा अपलोड नहीं हो पाया क्योंकि केवल एक ही दिन अतिरिक्त दिया गया था. इस पर कोर्ट ने सर्वर की स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने याचियों के अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी से भी इस बात का शपथपत्र दाखिल करने को कहा कि किस विद्यार्थी का किस दिन एडमिशन हुआ और उसकी तालिका व कितनी फीस जमा की गई है. याचिका में आईटीआई प्रतापपुर भोगांव जिला मैनपुरी पर प्रवेश प्रक्रिया में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है.

इसी मामले में विभिन्न कॉलेजों के लगभग 150 से अधिक विद्यार्थियों की ओर से याचिकाएं की गई हैं, जिन पर एक साथ सुनवाई हो रही है. याचियों का कहना है कि उन्होंने कॉलेज में 30 अक्टूबर 2022 कट ऑफ डेट के पहले प्रवेश ले लिया था लेकिन उनके दस्तावेज को डीजीटी की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया. इससे उनका प्रवेश अवैध मान लिया गया है. याचिका में डीजीटी की वेबसाइट खोलने की भी मांग की गई है ताकि याचियों के प्रवेश को वैधता प्रदान की जा सके. साथ ही 25 जनवरी 2023 के वेबसाइट न खोलने के महानिदेशक डीजीटी के आदेश को निरस्त करने की मांग भी की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसे ही अन्य संस्थान हैं, जिन्होंने अपने छात्रों के दस्तावेज अपलोड नहीं किए हैं.

ये भी पढ़ेंः प्रयागराज से प्रतापगढ़ तक अमेठी की युवती से चलती कार में गैंगरेप, सड़क किनारे फेंक कर युवक फरार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईटीआई छात्रों के प्रवेश दस्तावेज एससीवीटी की वेबसाइट पर अपलोड करने व उनके प्रवेश को वैधता देने की मांग में दाखिल याचिका पर भोगांव आईटीआई कॉलेज परतापपुर मैनपुरी के मैनेजर और प्रिंसिपल को 23 मई को तलब किया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने छात्र सुखवीर और 59 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने आईटीआई कॉलेज को मान्यता/ संबद्धता संबंधी प्रक्रिया एवं उसकी शर्तों, आईटीआई कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए निर्धारित फीस व उसके मानक, कॉलेज के कार्यों के निरीक्षण संबंधी नियम, गलती करने पर कॉलेज के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही संबंधी नियम, कॉलेज के खिलाफ इस लापरवाही पर केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अब तक की कार्यवाही और निर्धारित तिथियों में वेबसाइट के सर्वर की स्थिति पर केंद्र सरकार (डीजीटी) एवं राज्य सरकार (एससीवीटी) से हलफनामा मांगा है.

भोगांव आईटीआई कॉलेज के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वेबसाइट काम न करने के कारण डाटा अपलोड नहीं हो पाया क्योंकि केवल एक ही दिन अतिरिक्त दिया गया था. इस पर कोर्ट ने सर्वर की स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने याचियों के अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी से भी इस बात का शपथपत्र दाखिल करने को कहा कि किस विद्यार्थी का किस दिन एडमिशन हुआ और उसकी तालिका व कितनी फीस जमा की गई है. याचिका में आईटीआई प्रतापपुर भोगांव जिला मैनपुरी पर प्रवेश प्रक्रिया में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है.

इसी मामले में विभिन्न कॉलेजों के लगभग 150 से अधिक विद्यार्थियों की ओर से याचिकाएं की गई हैं, जिन पर एक साथ सुनवाई हो रही है. याचियों का कहना है कि उन्होंने कॉलेज में 30 अक्टूबर 2022 कट ऑफ डेट के पहले प्रवेश ले लिया था लेकिन उनके दस्तावेज को डीजीटी की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया. इससे उनका प्रवेश अवैध मान लिया गया है. याचिका में डीजीटी की वेबसाइट खोलने की भी मांग की गई है ताकि याचियों के प्रवेश को वैधता प्रदान की जा सके. साथ ही 25 जनवरी 2023 के वेबसाइट न खोलने के महानिदेशक डीजीटी के आदेश को निरस्त करने की मांग भी की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसे ही अन्य संस्थान हैं, जिन्होंने अपने छात्रों के दस्तावेज अपलोड नहीं किए हैं.

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