ETV Bharat / state

High court news: पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकरण पर रोक के मामले में हस्तक्षेप से इनकार

author img

By

Published : May 22, 2023, 10:04 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.

etv bharat
etv bharat

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से संपत्ति बेचने को वैध करार दिया है. ऐसे में इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने तहसील बार एसोसिएशन गांधीनगर गाजियाबाद व सोसायटी फॉर वायस ऑफ ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है. कोर्ट ने गाजियाबाद में पावर ऑफ अटॉर्नी से फर्जी ट्रांजेक्शन कर प्रदेश के बाहर की संपत्तियां बेचकर सरकार को स्टाम्प शुल्क का नुकसान पहुंचाने की जांच कर रही एसआईटी को चार माह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि याचिका जनहित को लेकर दाखिल नहीं की गई है. कोई भी पीड़ित व्यक्ति न्यायालय नहीं आया है. प्रदेश के महानिदेशक पंजीकरण ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रदेश में कुल 92,520 पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत हुई हैं. इनमें 53,013 पावर ऑफ अटॉर्नी गाजियाबाद व 10,374 गौतमबुद्ध नगर की हैं. सदर तहसील गाजियाबाद की 29,425 पावर ऑफ अटॉर्नी से दूसरे प्रदेशों की संपत्तियां बेची गई हैं.

इससे राज्य को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है और विवाद उत्पन्न हैं. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्वयं कहा है कि पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने पर रोक नहीं है. बोगस ट्रांजेक्शन पर नियंत्रण के लिए एसआईटी जांच कर रही है.

ये भी पढ़ेंः बाराबंकी में नहर से निकालकर सरयू में छोड़ी गई डॉल्फिन, 40 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से संपत्ति बेचने को वैध करार दिया है. ऐसे में इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती.

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने तहसील बार एसोसिएशन गांधीनगर गाजियाबाद व सोसायटी फॉर वायस ऑफ ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है. कोर्ट ने गाजियाबाद में पावर ऑफ अटॉर्नी से फर्जी ट्रांजेक्शन कर प्रदेश के बाहर की संपत्तियां बेचकर सरकार को स्टाम्प शुल्क का नुकसान पहुंचाने की जांच कर रही एसआईटी को चार माह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि याचिका जनहित को लेकर दाखिल नहीं की गई है. कोई भी पीड़ित व्यक्ति न्यायालय नहीं आया है. प्रदेश के महानिदेशक पंजीकरण ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रदेश में कुल 92,520 पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत हुई हैं. इनमें 53,013 पावर ऑफ अटॉर्नी गाजियाबाद व 10,374 गौतमबुद्ध नगर की हैं. सदर तहसील गाजियाबाद की 29,425 पावर ऑफ अटॉर्नी से दूसरे प्रदेशों की संपत्तियां बेची गई हैं.

इससे राज्य को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है और विवाद उत्पन्न हैं. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्वयं कहा है कि पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने पर रोक नहीं है. बोगस ट्रांजेक्शन पर नियंत्रण के लिए एसआईटी जांच कर रही है.

ये भी पढ़ेंः बाराबंकी में नहर से निकालकर सरयू में छोड़ी गई डॉल्फिन, 40 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.