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शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से भी नहीं हो सकेगा तलाक: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि शादी के एक साल के बाद ही तलाक हो सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : May 7, 2019, 3:16 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से भी तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता. धारा 13 बी के तहत एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है.

यह फैसला न्यायमूर्ति एसके गुप्ता और न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग और आयुषी जायसवाल के बीच तलाक से इंकार करने के परिवार न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज करते हुए दिया है.

क्या था मामला

  • अर्पित गर्ग और आयुषी जायसवाल की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई.
  • 12 अक्टूबर 2018 से दोनों अलग रहने लगे और 20 दिसम्बर 2018 को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया.
  • परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए निर्धारित एक साल की अवधि से पहले दाखिल मुकदमे को समय पूर्व मानते हुए वापस कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी.

क्या है पक्ष

  • अपीलार्थी का कहना था कि दोनों का एक साथ रहना सम्भव नहीं है.
  • वह अलग रहना चाहते हैं, इसलिए दोनों ही तलाक के लिए राजी हैं.
  • उनकी अर्जी थी कि एक साल की वैधानिक अड़चन दूर की जाए.

क्या है कोर्ट का फैसला

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट वैधानिक व्यवस्था को माफ नहीं कर सकती.
  • तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से भी तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता. धारा 13 बी के तहत एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है.

यह फैसला न्यायमूर्ति एसके गुप्ता और न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग और आयुषी जायसवाल के बीच तलाक से इंकार करने के परिवार न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज करते हुए दिया है.

क्या था मामला

  • अर्पित गर्ग और आयुषी जायसवाल की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई.
  • 12 अक्टूबर 2018 से दोनों अलग रहने लगे और 20 दिसम्बर 2018 को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया.
  • परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए निर्धारित एक साल की अवधि से पहले दाखिल मुकदमे को समय पूर्व मानते हुए वापस कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी.

क्या है पक्ष

  • अपीलार्थी का कहना था कि दोनों का एक साथ रहना सम्भव नहीं है.
  • वह अलग रहना चाहते हैं, इसलिए दोनों ही तलाक के लिए राजी हैं.
  • उनकी अर्जी थी कि एक साल की वैधानिक अड़चन दूर की जाए.

क्या है कोर्ट का फैसला

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट वैधानिक व्यवस्था को माफ नहीं कर सकती.
  • तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है.
प्रयागराज 6 मई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नही किया जा सकता।धारा13 बी के तहत एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है।
यह फैसला न्यायमूर्ति एस के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पी के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग व् आयुषी जायसवाल के बीच तलाक से इंकार करने के परिवार न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को ख़ारिज करते हुए दिया है।
दोनों की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई।12 अक्टूबर 18 को अलग रहने लगे और 20 दिसम्बर 18 को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया गया।परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए निर्धारित एक साल की अवधि से पहले दाखिल मुकदमे को समय पूर्व मानते हुए वापस कर दिया।जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी।
अपीलार्थी का कहना था कि दोनों का एक साथ रहना सम्भव नही है।वे अलग रहना चाहते है।इसलिए दोनों ही तलाक के लिए राजी है । एक साल की वैधानिक अड़चन दूर की जाय।कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट वैधानिक व्यवस्था को माफ़ नही कर सकती ।तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है।
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