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शस्त्र लाइसेंस दिलाने का मामला : मुख्तार अंसारी के अदालत में डिस्चार्ज अर्जी देने पर दो माह में तय करने का निर्देश - इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराधियों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने के आरोप में पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर चल रहे केस में एक माह में डिस्चार्ज अर्जी देने के निर्देश दिया है.

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Published : Jun 8, 2022, 10:39 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराधियों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने के आरोप में पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर चल रहे केस में एक माह में डिस्चार्ज अर्जी देने के निर्देश दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने केस को दो माह में नियमानुसार तय करने का निर्देश दिया है. इस केस में अंसारी की जमानत पहले ही मंजूर हो चुकी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मुख्तार अंसारी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की. याचिका में कहा गया कि याची सदर मऊ से 1996 से मार्च 2022 तक विधायक रहा है. वर्ष 2001 में याची ने सह अभियुक्तों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने की संस्तुति की, उन्हें लाइसेंस दिया गया. जिन लोगों को लाइसेंस दिया गया, उनके अपराध में संलिप्त होने पर एसएचओ दक्षिण टोला ने FIR दर्ज कराई थी.

एफआईआर में तत्कालीन एसएचओ व लेखपाल सहित 4 आरोपियों को आरोपित बनाया गया था. अपने बयान में याची ने भी संलिप्त होने का खुलासा किया है. पुलिस ने याची व कैलाश सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. याची अधिवक्ता का कहना था कि शस्त्र लाइसेंस जिलाधिकारी द्वारा दिया जाता है. यह सत्यापन के बाद दिया जाता है. इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है, याचिका में चार्जशीट पुनरीक्षण अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.

इसे पढ़ें- साइबर अपराध से निपटने को क्या कदम उठा रही पुलिस, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजीपी से मांगा हलफनामा

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराधियों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने के आरोप में पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर चल रहे केस में एक माह में डिस्चार्ज अर्जी देने के निर्देश दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने केस को दो माह में नियमानुसार तय करने का निर्देश दिया है. इस केस में अंसारी की जमानत पहले ही मंजूर हो चुकी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मुख्तार अंसारी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की. याचिका में कहा गया कि याची सदर मऊ से 1996 से मार्च 2022 तक विधायक रहा है. वर्ष 2001 में याची ने सह अभियुक्तों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने की संस्तुति की, उन्हें लाइसेंस दिया गया. जिन लोगों को लाइसेंस दिया गया, उनके अपराध में संलिप्त होने पर एसएचओ दक्षिण टोला ने FIR दर्ज कराई थी.

एफआईआर में तत्कालीन एसएचओ व लेखपाल सहित 4 आरोपियों को आरोपित बनाया गया था. अपने बयान में याची ने भी संलिप्त होने का खुलासा किया है. पुलिस ने याची व कैलाश सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. याची अधिवक्ता का कहना था कि शस्त्र लाइसेंस जिलाधिकारी द्वारा दिया जाता है. यह सत्यापन के बाद दिया जाता है. इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है, याचिका में चार्जशीट पुनरीक्षण अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.

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