प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 साल की सेवा के बाद 31 दिसंबर 1993 को सेवानिवृत्त मुख्य खाद्य निरीक्षक को पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभो और याची को पारिवारिक पेंशन न देने के अधिकारियों के ब्यूरोक्रेटिक रवैए की तीखी आलोचना की है. एटा और अलीगढ़ की सेवा पंजिका गायब होने के कारण भुगतान नहीं किया गया.
कोर्ट ने फर्रुखाबाद से सेवानिवृत्त याची के पति के भुगतान की स्थिति की जानकारी के साथ फर्रुखाबाद, एटा और अलीगढ़ के जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से तीन दिन में व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और पूछा है कि सेवा पंजिका मिले या न मिले, तो भी किस तरीके से परिलाभों का भुगतान किया जाएगा. हलफनामे दाखिल न किए जाने की दशा में कोर्ट ने 6 अधिकारियों को 10 जून को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सरस्वती देवी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
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मालूम हो कि याची के पति 31 दिसंबर 93 को सेवानिवृत्त हुए और 14 दिसंबर 1995 को उनकी मौत हो गई. याची ने सेवानिवृत्ति परिलाभो सहित पारिवारिक पेंशन की मांग को लेकर याचिका दायर की. याची का कहना है कि जनवरी 94 से ही कोई भुगतान नहीं किया गया. सीएमओ फर्रुखाबाद ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा. कहा सेवा पंजिका उपलब्ध न होने के कारण पेंशन आदि का भुगतान नहीं किया जा सका. अलीगढ़ और एटा में तैनाती के दौरान के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. तीनों जिलों के जिलाधिकारी और सीएमओ चुप्पी साधे बैठे रहे. इसपर कोर्ट ने तीनों जिलों के जिलाधिकारी व सीएमओ से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. सुनवाई 10 जून को होगी.
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