प्रयागराजः रेलवे की प्रशासनिक सेवा की ज्यादातर भर्तियों में आवेदन के लिए इंजीनियरिंग की डिग्री को अनिवार्य कर दिया गया है. जिसके विरोध में सोमवार को इलाहाबद विश्वविद्यालय के छात्रों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों का आरोप है कि यह रेल मंत्रालय की साजिश है. जिसके तहत यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा के जरिये होने वाली भर्ती में इंजीनियरिंग को अनिवार्य कर उन सीटों से अन्य विषयों के छात्रों को दूर कर दिया गया है. छात्रों का आरोप है की कला, विज्ञान, कामर्स, कृषि और विधि के छात्रों को इन पदों से दूर करने के लिए साजिश के तहत यह बदलाव किया गया है.
रेल मंत्रालय और रेल मंत्री को लेकर इलाहाबद विश्वविद्यालय के छात्रों ने कही ये बातें.. इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) के प्रतियोगी छात्रों ने जुलूस निकालकर रेल मंत्रालय और रेल मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्रों का कहना है कि संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जरिये रेलवे में आईआरएस (IRS) की भर्तियां होती रही हैं. लेकिन रेलवे ने अब इन्हीं पदों के लिए अलग से परीक्षा करवाकर इन पदों पर सिर्फ इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों के लिए ही रिजर्व कर दिया है. जिससे कला और विज्ञान के साथ ही कॉमर्स ,कृषि और लॉ के छात्र भी इस परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे. इस तरह से रेल मंत्री ने लाखों छात्रोंं का रेलवे में अफसर बनने का मौका ही छीन लिया है. अभी तक संघ लोक सेवा आयोग ही पूरे देश में समूह ए (Group A) के पदों के लिए परीक्षा आयोजित करवाता था. जिसके जरिये आईएफएस (IFS),आईएएस IAS),आईपीएस (IPS),आईआरएस (IRS) समेत सभी ए क्लास की भर्ती होती रही है. यूपीएससी की इस परीक्षा में देश भर के हर विषय वर्ग के छात्र आवेदन कर सकते थे. लेकिन अब रेल सेवा के पद केवल इंजीनियरिंग के छात्र हेतु आरक्षित की जा चुकी है. जिससे कला विज्ञान समेत अन्य वर्ग के अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सकेंगे.
गरीब छात्रों के खिलाफ बताया साजिश रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आरोप है कि गरीब छात्रों को रेलवे में अफसर बनने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है. जिससे बड़े बड़े प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज (Private Engineering College) में लाखों की फीस देने वाले अमीर छात्रों को रेलवे में अफसर के रूप में नौकरी दी जा सके.जबकि मेहनत और काबिलियत के दम पर यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास करने वाला गरीब परिवार का छात्र रेलवे में अफसर न बन सके. साथ ही छात्रों ने यह भी सवाल उठाया कि अभी तक रेलवे ने इंजीनियरिंग की बाध्यता क्यों नहीं की थी. जबकि इंजीनियरों की भर्ती के लिए अलग से परीक्षाएं होती हैं. उसके बावजूद लिया गया रेलवे का यह फैसला तानाशाही वाला कदम है. जिसके विरोध में छात्र अब आरपार की लड़ाई लड़ने की योजना बना चुके हैं. जब तक रेल मंत्रालय और सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती है. तब तक छात्र आंदोलन को जारी रखेंगे. इस मौके पर प्रतियोगी छात्र दीपक सिंह और एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम छात्र नेता मौजूद रहे.
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