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इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का आवेदन रद्द नहीं कर सकता बेसिक शिक्षा परिषद - इलाहाबाद हाईकोर्ट

सहायक अध्यापिका के अंतर्जनपदीय तबादले (Teacher inter district transfer case) के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की. कोर्ट ने नए सिरे से स्थानांतरण पर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं.

प्रयागराज
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 13, 2023, 10:42 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन में यदि मानक के अनुरूप जानकारियां नहीं दी गईं हैं, तब भी बेसिक शिक्षा परिषद आवेदन को निरस्त नहीं कर सकता है. बल्कि वह आवेदन को उसी क्लाज के लिए दिए गए वेटेज मार्क्स के विकल्प को समाप्त करके आवेदन को अग्रतर कार्रवाई के लिए अग्रसारित करेगा. सहायक अध्यापिका के अंतर्जनपदीय आवेदन को निरस्त करने की कार्रवाई को हाईकोर्ट ने मनमाना और अविवेकपूर्ण करार दिया. कोर्ट ने राज्य स्तरीय कमेटी के 5 सितंबर 2023 के आदेश को नजरअंदाज करते हुए नए सिरे से स्थानांतरण पर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं.

दो जून को जारी हुआ था शासनादेश : सहायक अध्यापिका अर्चना की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने दिए. याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 2 जून 2023 को शासनादेश जारी कर सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय तबादले के लिए आवेदन मांगे. शासनादेश में कहा गया था कि जिन अध्यापकों के पति अथवा पत्नी सैन्य बलों अथवा केंद्र सरकार में कार्यरत हैं, उनको आवेदन पर इसके लिए 10 अंक दिए जाएंगे.

तबादले के बाद नहीं किया रिलीव : याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन बागपत में कार्यरत हैं, यह भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय का एक अंग है. याची ने अपने ऑनलाइन आवेदन में इस आधार पर अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की. इसे स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बलरामपुर से बुलंदशहर कर दिया गया. मगर बाद में उसे बलरामपुर से रिलीव नहीं किया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर बेसिक शिक्षा परिषद की अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि परिषद की पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय कमेटी ने याची के प्रकरण पर विचार किया और पाया कि याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन में कार्यरत हैं जो की ऑटोनॉमस बॉडी है. इसलिए याची 10 अंक पाने के लिए पात्र नहीं है. अपने आवेदन में झूठी सूचना देने के आधार पर उसका आवेदन निरस्त किया गया है.

कोर्ट ने मांगा था स्पष्टीकरण : कोर्ट ने इस मामले में निदेशक बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया था. उन दोनों की ओर से दाखिल किए गए स्पष्टीकरण में भी यही बात दोहराई गई कि याची ने अपने आवेदन में अपनी पति की नौकरी के संबंध में गलत जानकारी दी है, इसलिए उसका आवेदन निरस्त कर दिया गया. कोर्ट का कहना था कि याची ने झूठी सूचना नहीं दी है बल्कि उसने नेहरु युवा केंद्र द्वारा जारी प्रमाण पत्र अपने आवेदन के साथ संलग्न किया है. उसने अपनी समझ से सही जानकारी दी है और यदि अधिकारियों को लगता है कि उसके पति की सेवा निर्धारित मानदंड के तहत नहीं आती है तो वह इसे नजरअंदाज कर सकते थे, मगर गलत सूचना देने के आधार पर आवेदन खारिज नहीं किया जा सकता है.

आदेश के बावजूद अधिकारियों ने नहीं सुधारी गलती : कोर्ट का यह भी कहना था कि यदि याची के प्रमाण पत्र को नहीं भी स्वीकार किया जाता तब भी उसे अन्य योग्यता के आधार पर जो अंक मिले हैं, वह अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए पर्याप्त है. यांची को 27 अंक मिले हैं जबकि 24 अंक तक पाने वाले अभ्यर्थियों का स्थानांतरण किया गया है. कोर्ट ने कहा कि 16 जून 23 के सर्कुलर के क्लाज 6 में स्पष्ट है कि यदि अभ्यर्थी वेटेज मार्क्स के योग्य नहीं है तो संबंधित अधिकारी उसे अंक नहीं देंगे. कोर्ट का कहना था कि अदालत द्वारा विस्तृत आदेश देने और गलती सुधारने का मौका देने के बावजूद अधिकारियों ने कुछ करने के बजाय अपने मनमाने कार्य का बचाव करने का प्रयास किया है. याची का आवेदन पूरी तरह से सही है, इसलिए राज्य स्तरीय कमेटी के आदेश को नजरअंदाज कर नए सिरे से आदेश पारित किया जाए.

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा- सप्तपदी हिंदू विवाह का अनिवार्य अंग, रीति-रिवाजों का पालन जरूरी

शिक्षिका का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण आवेदन रद्द करने पर हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक से मांगा जवाब

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन में यदि मानक के अनुरूप जानकारियां नहीं दी गईं हैं, तब भी बेसिक शिक्षा परिषद आवेदन को निरस्त नहीं कर सकता है. बल्कि वह आवेदन को उसी क्लाज के लिए दिए गए वेटेज मार्क्स के विकल्प को समाप्त करके आवेदन को अग्रतर कार्रवाई के लिए अग्रसारित करेगा. सहायक अध्यापिका के अंतर्जनपदीय आवेदन को निरस्त करने की कार्रवाई को हाईकोर्ट ने मनमाना और अविवेकपूर्ण करार दिया. कोर्ट ने राज्य स्तरीय कमेटी के 5 सितंबर 2023 के आदेश को नजरअंदाज करते हुए नए सिरे से स्थानांतरण पर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं.

दो जून को जारी हुआ था शासनादेश : सहायक अध्यापिका अर्चना की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने दिए. याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 2 जून 2023 को शासनादेश जारी कर सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय तबादले के लिए आवेदन मांगे. शासनादेश में कहा गया था कि जिन अध्यापकों के पति अथवा पत्नी सैन्य बलों अथवा केंद्र सरकार में कार्यरत हैं, उनको आवेदन पर इसके लिए 10 अंक दिए जाएंगे.

तबादले के बाद नहीं किया रिलीव : याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन बागपत में कार्यरत हैं, यह भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय का एक अंग है. याची ने अपने ऑनलाइन आवेदन में इस आधार पर अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की. इसे स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बलरामपुर से बुलंदशहर कर दिया गया. मगर बाद में उसे बलरामपुर से रिलीव नहीं किया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर बेसिक शिक्षा परिषद की अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि परिषद की पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय कमेटी ने याची के प्रकरण पर विचार किया और पाया कि याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन में कार्यरत हैं जो की ऑटोनॉमस बॉडी है. इसलिए याची 10 अंक पाने के लिए पात्र नहीं है. अपने आवेदन में झूठी सूचना देने के आधार पर उसका आवेदन निरस्त किया गया है.

कोर्ट ने मांगा था स्पष्टीकरण : कोर्ट ने इस मामले में निदेशक बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया था. उन दोनों की ओर से दाखिल किए गए स्पष्टीकरण में भी यही बात दोहराई गई कि याची ने अपने आवेदन में अपनी पति की नौकरी के संबंध में गलत जानकारी दी है, इसलिए उसका आवेदन निरस्त कर दिया गया. कोर्ट का कहना था कि याची ने झूठी सूचना नहीं दी है बल्कि उसने नेहरु युवा केंद्र द्वारा जारी प्रमाण पत्र अपने आवेदन के साथ संलग्न किया है. उसने अपनी समझ से सही जानकारी दी है और यदि अधिकारियों को लगता है कि उसके पति की सेवा निर्धारित मानदंड के तहत नहीं आती है तो वह इसे नजरअंदाज कर सकते थे, मगर गलत सूचना देने के आधार पर आवेदन खारिज नहीं किया जा सकता है.

आदेश के बावजूद अधिकारियों ने नहीं सुधारी गलती : कोर्ट का यह भी कहना था कि यदि याची के प्रमाण पत्र को नहीं भी स्वीकार किया जाता तब भी उसे अन्य योग्यता के आधार पर जो अंक मिले हैं, वह अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए पर्याप्त है. यांची को 27 अंक मिले हैं जबकि 24 अंक तक पाने वाले अभ्यर्थियों का स्थानांतरण किया गया है. कोर्ट ने कहा कि 16 जून 23 के सर्कुलर के क्लाज 6 में स्पष्ट है कि यदि अभ्यर्थी वेटेज मार्क्स के योग्य नहीं है तो संबंधित अधिकारी उसे अंक नहीं देंगे. कोर्ट का कहना था कि अदालत द्वारा विस्तृत आदेश देने और गलती सुधारने का मौका देने के बावजूद अधिकारियों ने कुछ करने के बजाय अपने मनमाने कार्य का बचाव करने का प्रयास किया है. याची का आवेदन पूरी तरह से सही है, इसलिए राज्य स्तरीय कमेटी के आदेश को नजरअंदाज कर नए सिरे से आदेश पारित किया जाए.

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