प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभागीय जांच अनावश्यक रूप से लंबे समय तक लटकाये रखने पर जिलाधिकारी एटा को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने पूछा है कि किस वजह से कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच 2017 से अब तक लंबित रखी गई है. यह आदेश न्यायाधीश अजय भनोट ने जिलाधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक महेश यादव की याचिका पर दिया है.
याची के अधिवक्ता सुनील यादव ने तर्क दिया कि लंबे समय तक अनावश्यक रूप से विभागीय कार्यवाही को लंबित रखना, कर्मचारी को मानसिक प्रताड़ना देने के समान है. किसी भी सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध शुरू की गई विभागीय कार्यवाही छह माह में निस्तारित की जानी चाहिए. अपवाद की दशा में यह समय सीमा ज्यादा से ज्यादा 12 माह तक हो सकती है.
वर्तमान मामले में कर्मचारी महेश यादव को 2017 में निलंबित करने के बाद दो बार एक समान आधार और कथित आरोपों में आरोप पत्र दिया गया, जिसका साक्ष्य समेत विस्तृत जवाब भी दे दिया गया. फिर भी विभागीय कार्यवाही चार साल बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं की जा सकी. कोर्ट ने कहा कि यदि स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो अगली तारीख पर जिलाधिकारी एटा को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में तलब किया जाएगा.