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वकीलों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने का मामला, हाईकोर्ट ने सीबीआई को 5 और मुकदमों की जांच के दिए निर्देश - न्यायमूर्ति गौतम चौधरी

सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से किया अनुरोध, हमें सिर्फ गंभीर मामलों की ही जांच दी जाए. हमारे पास अधिकारियों की कमी है.

Allahabad High Court
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Published : Feb 16, 2023, 9:46 PM IST

प्रयागराज: वकीलों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर ब्लैकमेल किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को 5 और ऐसे मुकदमों की प्रारंभिक जांच का निर्देश दिया है. जबकि सीबीआई ने पूर्व में कोर्ट के निर्देश पर 47 मुकदमों की जांच कर चुकी है. इसके बाद अदालत ने 60 मुकदमों की जांच के लिए कहा था. सीबीआई के पास जांच अधिकारियों की कमी को देखते हुए उसने कोर्ट से अनुरोध किया है कि उसे सिर्फ गंभीर अपराधों की जांच की जिम्मेदारी ही दी जाए. जबकि लघु अपराधों की जांच यूपी पुलिस की एसआईटी से कराई जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिसे मंजूर करते हुए सीबीआई को 5 नए मुकदमों की जांच सौंपी है, जबकि यूपी एसआईटी को 8 मुकदमे जांच के लिए सौंपे हैं. यह सभी मुकदमे अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज कराए गए हैं. निक्की देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कोर्ट द्वारा पारित 20 अक्टूबर 2022 के आदेश के परिपेक्ष में 47 मुकदमों की आरंभिक जांच रिपोर्ट पेश कर बताया गया कि इनमें से 12 मुकदमों के रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किए गए हैं. जिसमें 12 मुकदमों में से 5 मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है. जबकि 7 मुकदमों में ट्रायल चल रहा है.

इसी प्रकार से सीबीआई ने बताया कि कोर्ट ने 60 और मुकदमों की जांच के लिए कहा था. मगर विभाग में जांच अधिकारियों की कमी के कारण सीबीआई को सिर्फ हत्या, दुष्कर्म और एससी एसटी जैसे गंभीर मुकदमों की जांच ही दी जाए. लघु अपराधों की जांच एसआईटी से करा दी जाए. सीबीआई ने कोर्ट से 10 जांच अधिकारियों जो कि डिप्टी एसपी या इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के न हों की एक टीम यूपी पुलिस से दिलाए जाने का अनुरोध किया है.

साथ ही सीबीआई का यह भी कहना था कि जिलाधिकारी प्रयागराज को निर्देश दिया जाए कि वह सीबीआई को कार्यालय तथा अधिकारियों के आवास जैसी सुविधाएं मुहैया कराएं. ताकि समय से जांच पूरी की जा सके. कोर्ट ने सीबीआई की कुछ मांगों को मंजूर करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि सीबीआई को 6 जांच अधिकारी मुहैया कराए जाए. कोर्ट ने कुछ गंभीर मुकदमों को छोड़कर अन्य मुकदमों की जांच एसआईटी से कराने का निर्देश दिया है.

उल्लेखनीय है कि, निक्की देवी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया किस जिले में एक हाई प्रोफाइल गैंग काम कर रहा है. जिन लोगों को दुष्कर्म जैसे फर्जी मुकदमों में फंसा कर ब्लैकमेल करता है. बड़ी संख्या में अधिवक्ता भी इस गैंग का शिकार पाए गए. निक्की देवी वाले मामले में अधिवक्ता भूपेंद्र पांडे ने कोर्ट के सामने एक लंबी लिस्ट पेश की. जिसमें वकीलों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए जाने के मामले बताए गए. इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने सीबीआई को इसकी जांच का निर्देश दिया था. सीबीआई ने अधिकांश मुकदमों की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है. साथ ही रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. कोर्ट द्वारा इस प्रकरण पर संज्ञान लिए जाने के बाद बड़ी संख्या में अधिवक्ता अर्जियां दाखिल कर अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की भी जांच सीबीआई से कराने की मांग कोर्ट से कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- Chiktrakoot Jail Case: कोर्ट ने अब्बास अंसारी की पत्नी और ड्राइवर को पुलिस रिमांड पर भेजा

प्रयागराज: वकीलों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर ब्लैकमेल किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को 5 और ऐसे मुकदमों की प्रारंभिक जांच का निर्देश दिया है. जबकि सीबीआई ने पूर्व में कोर्ट के निर्देश पर 47 मुकदमों की जांच कर चुकी है. इसके बाद अदालत ने 60 मुकदमों की जांच के लिए कहा था. सीबीआई के पास जांच अधिकारियों की कमी को देखते हुए उसने कोर्ट से अनुरोध किया है कि उसे सिर्फ गंभीर अपराधों की जांच की जिम्मेदारी ही दी जाए. जबकि लघु अपराधों की जांच यूपी पुलिस की एसआईटी से कराई जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिसे मंजूर करते हुए सीबीआई को 5 नए मुकदमों की जांच सौंपी है, जबकि यूपी एसआईटी को 8 मुकदमे जांच के लिए सौंपे हैं. यह सभी मुकदमे अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज कराए गए हैं. निक्की देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कोर्ट द्वारा पारित 20 अक्टूबर 2022 के आदेश के परिपेक्ष में 47 मुकदमों की आरंभिक जांच रिपोर्ट पेश कर बताया गया कि इनमें से 12 मुकदमों के रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किए गए हैं. जिसमें 12 मुकदमों में से 5 मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है. जबकि 7 मुकदमों में ट्रायल चल रहा है.

इसी प्रकार से सीबीआई ने बताया कि कोर्ट ने 60 और मुकदमों की जांच के लिए कहा था. मगर विभाग में जांच अधिकारियों की कमी के कारण सीबीआई को सिर्फ हत्या, दुष्कर्म और एससी एसटी जैसे गंभीर मुकदमों की जांच ही दी जाए. लघु अपराधों की जांच एसआईटी से करा दी जाए. सीबीआई ने कोर्ट से 10 जांच अधिकारियों जो कि डिप्टी एसपी या इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के न हों की एक टीम यूपी पुलिस से दिलाए जाने का अनुरोध किया है.

साथ ही सीबीआई का यह भी कहना था कि जिलाधिकारी प्रयागराज को निर्देश दिया जाए कि वह सीबीआई को कार्यालय तथा अधिकारियों के आवास जैसी सुविधाएं मुहैया कराएं. ताकि समय से जांच पूरी की जा सके. कोर्ट ने सीबीआई की कुछ मांगों को मंजूर करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि सीबीआई को 6 जांच अधिकारी मुहैया कराए जाए. कोर्ट ने कुछ गंभीर मुकदमों को छोड़कर अन्य मुकदमों की जांच एसआईटी से कराने का निर्देश दिया है.

उल्लेखनीय है कि, निक्की देवी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया किस जिले में एक हाई प्रोफाइल गैंग काम कर रहा है. जिन लोगों को दुष्कर्म जैसे फर्जी मुकदमों में फंसा कर ब्लैकमेल करता है. बड़ी संख्या में अधिवक्ता भी इस गैंग का शिकार पाए गए. निक्की देवी वाले मामले में अधिवक्ता भूपेंद्र पांडे ने कोर्ट के सामने एक लंबी लिस्ट पेश की. जिसमें वकीलों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए जाने के मामले बताए गए. इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने सीबीआई को इसकी जांच का निर्देश दिया था. सीबीआई ने अधिकांश मुकदमों की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है. साथ ही रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. कोर्ट द्वारा इस प्रकरण पर संज्ञान लिए जाने के बाद बड़ी संख्या में अधिवक्ता अर्जियां दाखिल कर अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की भी जांच सीबीआई से कराने की मांग कोर्ट से कर रहे हैं.

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