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हाईकोर्ट का आदेश, RTI में नहीं मांग सकते मुकदमों के लिस्टिंग की जानकारी - इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अधिवक्ता द्वारा दाखिल याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरटीआई में मुकदमों के लिस्टिंग की जानकारी नहीं मांग सकते हैं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 6, 2022, 10:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि हाईकोर्ट में दाखिल व लंबित मुकदमों की लिस्टिंग से संबंधित जानकारी आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) में नहीं मांगी जा सकती है. क्योंकि मुकदमों के दाखिले, सुनवाई और सूचीबद्ध होने की पूरी प्रक्रिया हाई कोर्ट रूल्स में दी गई है. लिस्टिंग से संबंधित सूचनाएं हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है.

हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता अरुण मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि याची जो कि स्वयं अधिवक्ता है ने हाई कोर्ट रूल्स की जानकारी करने के बजाय आरटीआई दाखिल करना ज्यादा आसान समझा. कोर्ट ने कहा कि यह सभी अधिवक्ताओं के लिए जरूरी है कि वह मुकदमों के दाखिले और लिस्टिंग से संबंधित नियमों की जानकारी रखें. याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सुनवाई की.

अधिवक्ता अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्रीय सूचना आयुक्त के आदेश को चुनौती दी थी. आयुक्त ने अपने आदेश में हाईकोर्ट द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मुकदमों की लिस्टिंग की जानकारी नहीं देने को सही करार दिया था.याची अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में वर्ष 2017 और 2019 में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की. याचिकाएं फ्रेश कैटेगरी में सूचीबद्ध हुई और सुनवाई के बाद इन पर तारीख नियत की कर दी गई. इसके बाद मुकदमों के सूचीबद्ध होने की कोई जानकारी न मिलने पर अधिवक्ता ने हाईकोर्ट से सूचना का अधिकार के तहत हाईकोर्ट में मुकदमों की लिस्टिंग की प्रक्रिया से संबंधित जानकारी मांगी.

हाईकोर्ट के जन सूचना अधिकारी ने इसके जवाब में कहा कि मांगी गई जानकारी सूचना के दायरे में नहीं आती है. हाईकोर्ट की वेबसाइट पर मुकदमों की लिस्टिंग से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध है. याची ने इसके खिलाफ केंद्रीय सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल की. केंद्रीय सूचना आयुक्त ने हाईकोर्ट के जवाब को सही मानते हुए अपील खारिज कर दी.इसे याचिका में चुनौती दी गई थी.

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमों की लिस्टिंग से संबंधित सभी नियम हाईकोर्ट रूल्स में दिए गए हैं. याची जो कि स्वयं अधिवक्ता है उसने इन रूल्स को नहीं पढ़ा तो इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा कि याची ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत केस के स्टेटस की जानकारी प्राप्त करने का भी कोई प्रयास नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले हर अधिवक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह मुकदमों के प्रस्तुत करने, उनके सूचीबद्ध होने और सुनवाई की प्रक्रिया से संबंधित नियमों की जानकारी रखें.

यह भी पढ़ें: जमानत के लिए अभियुक्त का भौतिक अभिरक्षा में होना जरूरी नहीं: हाई कोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि हाईकोर्ट में दाखिल व लंबित मुकदमों की लिस्टिंग से संबंधित जानकारी आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) में नहीं मांगी जा सकती है. क्योंकि मुकदमों के दाखिले, सुनवाई और सूचीबद्ध होने की पूरी प्रक्रिया हाई कोर्ट रूल्स में दी गई है. लिस्टिंग से संबंधित सूचनाएं हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है.

हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता अरुण मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि याची जो कि स्वयं अधिवक्ता है ने हाई कोर्ट रूल्स की जानकारी करने के बजाय आरटीआई दाखिल करना ज्यादा आसान समझा. कोर्ट ने कहा कि यह सभी अधिवक्ताओं के लिए जरूरी है कि वह मुकदमों के दाखिले और लिस्टिंग से संबंधित नियमों की जानकारी रखें. याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सुनवाई की.

अधिवक्ता अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्रीय सूचना आयुक्त के आदेश को चुनौती दी थी. आयुक्त ने अपने आदेश में हाईकोर्ट द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मुकदमों की लिस्टिंग की जानकारी नहीं देने को सही करार दिया था.याची अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में वर्ष 2017 और 2019 में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की. याचिकाएं फ्रेश कैटेगरी में सूचीबद्ध हुई और सुनवाई के बाद इन पर तारीख नियत की कर दी गई. इसके बाद मुकदमों के सूचीबद्ध होने की कोई जानकारी न मिलने पर अधिवक्ता ने हाईकोर्ट से सूचना का अधिकार के तहत हाईकोर्ट में मुकदमों की लिस्टिंग की प्रक्रिया से संबंधित जानकारी मांगी.

हाईकोर्ट के जन सूचना अधिकारी ने इसके जवाब में कहा कि मांगी गई जानकारी सूचना के दायरे में नहीं आती है. हाईकोर्ट की वेबसाइट पर मुकदमों की लिस्टिंग से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध है. याची ने इसके खिलाफ केंद्रीय सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल की. केंद्रीय सूचना आयुक्त ने हाईकोर्ट के जवाब को सही मानते हुए अपील खारिज कर दी.इसे याचिका में चुनौती दी गई थी.

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमों की लिस्टिंग से संबंधित सभी नियम हाईकोर्ट रूल्स में दिए गए हैं. याची जो कि स्वयं अधिवक्ता है उसने इन रूल्स को नहीं पढ़ा तो इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा कि याची ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत केस के स्टेटस की जानकारी प्राप्त करने का भी कोई प्रयास नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले हर अधिवक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह मुकदमों के प्रस्तुत करने, उनके सूचीबद्ध होने और सुनवाई की प्रक्रिया से संबंधित नियमों की जानकारी रखें.

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