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8 साल से जेल में बंद दुष्कर्म आरोपी की जमानत हाईकोर्ट ने की मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 साल से जेल में बंद दुष्कर्म आरोपी की जमानत याचिका मंजूर(Bail petition of rape accused approved) करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 10:30 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में पिछले 8 सालों से जेल में बंद नवाबगंज प्रयागराज के जावेद की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. कोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश जावेद की द्वितीय जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति डॉक्टर गौतम चौधरी ने दिया है.

याची का पक्ष रख रही है अधिवक्ता सरस्वती यादव का कहना था कि याची पिछले 8 वर्षों से जेल में बंद है. उसके खिलाफ प्रयागराज के नवाबगंज थाने में दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है. यह उसका दूसरा जमानत प्रार्थना पत्र है. जबकि इससे पूर्व 25 अक्टूबर 2021 को उसका जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जा चुका है. अधिवक्ता का कहना था कि इस मामले के सभी प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं.

इस स्थिति में तत्वों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की कोई गुंजाइश नहीं बची है. याची पिछले 8 वर्षों से जेल में बंद है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी विचाराधीन कैदी को लंबे समय तक जेल में बंद रखना, उसके मौलिक अधिकार का हनन है. सरकारी वकील ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध किया. कोर्ट ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याची को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में पिछले 8 सालों से जेल में बंद नवाबगंज प्रयागराज के जावेद की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. कोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश जावेद की द्वितीय जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति डॉक्टर गौतम चौधरी ने दिया है.

याची का पक्ष रख रही है अधिवक्ता सरस्वती यादव का कहना था कि याची पिछले 8 वर्षों से जेल में बंद है. उसके खिलाफ प्रयागराज के नवाबगंज थाने में दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है. यह उसका दूसरा जमानत प्रार्थना पत्र है. जबकि इससे पूर्व 25 अक्टूबर 2021 को उसका जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जा चुका है. अधिवक्ता का कहना था कि इस मामले के सभी प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं.

इस स्थिति में तत्वों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की कोई गुंजाइश नहीं बची है. याची पिछले 8 वर्षों से जेल में बंद है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी विचाराधीन कैदी को लंबे समय तक जेल में बंद रखना, उसके मौलिक अधिकार का हनन है. सरकारी वकील ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध किया. कोर्ट ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याची को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

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