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आरोपी अस्पतालों के खिलाफ पूरक हलफनामा दाखिल करने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया दो सप्ताह का समय - corona news

साथ ही याचिका की सुनवाई की तिथि 16 जुलाई नियत की है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने आगरा के समाजसेवी गजेंद्र शर्मा की जनहित याचिका पर दिया है.

आरोपी अस्पतालों के खिलाफ पूरक हलफनामा दाखिल करने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया दो सप्ताह का समय
आरोपी अस्पतालों के खिलाफ पूरक हलफनामा दाखिल करने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया दो सप्ताह का समय
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Published : Jul 3, 2021, 2:40 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में मरीजों का आर्थिक शोषण करने वाले अस्पतालों के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

साथ ही याचिका की सुनवाई की तिथि 16 जुलाई नियत की है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने आगरा के समाजसेवी गजेंद्र शर्मा की जनहित याचिका पर दिया है.

यह भी पढ़ें : बुलंद हौसलेः सात वर्षीय बच्चे ने 16 मिनट में पार किया यमुना नदी

याचिका में कहा गया कि सरकारी नियम-कानून की अनदेखी, मरीजों के आर्थिक शोषण, अतिरिक्त बिल, अमानवीयता और संवेदनहीनता को आधार बनाया गया है. याचिका में यूपी सरकार के साथ ही राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कोविड उपचार से जुड़ी अथॉरिटी को विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में कहा गया कि मामले में किसी भी स्तर पर पारदर्शिता नहीं बरती गई. कहीं मृत मरीजों के नाम पर तो कहीं ऑक्सीजन की आड़ में लाखों की वसूली की गई. ‘लुटेरे’ अस्पतालों के शिकार लोगों की शिकायत जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे के सक्षम अधिकारियों तक भी पहुंची लेकिन उन आरोपी अस्पतालों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में मरीजों का आर्थिक शोषण करने वाले अस्पतालों के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

साथ ही याचिका की सुनवाई की तिथि 16 जुलाई नियत की है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने आगरा के समाजसेवी गजेंद्र शर्मा की जनहित याचिका पर दिया है.

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याचिका में कहा गया कि सरकारी नियम-कानून की अनदेखी, मरीजों के आर्थिक शोषण, अतिरिक्त बिल, अमानवीयता और संवेदनहीनता को आधार बनाया गया है. याचिका में यूपी सरकार के साथ ही राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कोविड उपचार से जुड़ी अथॉरिटी को विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में कहा गया कि मामले में किसी भी स्तर पर पारदर्शिता नहीं बरती गई. कहीं मृत मरीजों के नाम पर तो कहीं ऑक्सीजन की आड़ में लाखों की वसूली की गई. ‘लुटेरे’ अस्पतालों के शिकार लोगों की शिकायत जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे के सक्षम अधिकारियों तक भी पहुंची लेकिन उन आरोपी अस्पतालों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई.

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