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तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका पर 10 हजार का हर्जाना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका 10 हजार हर्जाने के साथ किया खारिज. कोर्ट ने कहा तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका पर कोई राहत नहीं दी जा सकती.

तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका पर 10 हजार का हर्जाना
तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका पर 10 हजार का हर्जाना
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Published : Dec 10, 2021, 10:18 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका 10 हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने गोरखपुर के राम जतन सहित 83 अन्य की याचिका पर दिया है. नगर निगम गोरखपुर की तरफ से अधिवक्ता विभु राय ने प्रतिवाद किया.

याचिका में कहा गया था कि याचियों की जमीन बिना अधिग्रहीत किए जबरन ली जा रही है. नगर निगम उनकी जमीन पर सालिड बेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाना चाहता है. याचियों को जमीन बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है. कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए जिलाधिकारी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था.

जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्लांट सुथनी गांव के 108 किसानों की जमीन पर बन रहा है. सभी ने अपनी मर्जी से जमीन बेची है और पैसा इनके खाते में जमा कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि समझ से परे है कि जबरन जमीन लिया जा रहा है और याचिका में इसका जिक्र नहीं कि बैनामा हो चुका है.

इसे भी पढें- स्वास्थ्य कर्मियों की पिटाईः कानपुर देहात पुलिस की बर्बरता पर विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर

कोर्ट ने कहा कि साफ हृदय से कोर्ट आने वाले को ही राहत दी जा सकती है. तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका पर कोई राहत नहीं दी जा सकती. संरक्षण नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने हर्जाना राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर में जमा करने का निर्देश दिया है.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका 10 हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने गोरखपुर के राम जतन सहित 83 अन्य की याचिका पर दिया है. नगर निगम गोरखपुर की तरफ से अधिवक्ता विभु राय ने प्रतिवाद किया.

याचिका में कहा गया था कि याचियों की जमीन बिना अधिग्रहीत किए जबरन ली जा रही है. नगर निगम उनकी जमीन पर सालिड बेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाना चाहता है. याचियों को जमीन बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है. कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए जिलाधिकारी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था.

जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्लांट सुथनी गांव के 108 किसानों की जमीन पर बन रहा है. सभी ने अपनी मर्जी से जमीन बेची है और पैसा इनके खाते में जमा कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि समझ से परे है कि जबरन जमीन लिया जा रहा है और याचिका में इसका जिक्र नहीं कि बैनामा हो चुका है.

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कोर्ट ने कहा कि साफ हृदय से कोर्ट आने वाले को ही राहत दी जा सकती है. तथ्य छिपाकर दाखिल याचिका पर कोई राहत नहीं दी जा सकती. संरक्षण नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने हर्जाना राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर में जमा करने का निर्देश दिया है.

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