प्रयागराज: जिले में वायु अब जहरीली होने लगी है. अनलॉक के बाद मौसम में हुए परिवर्तन के चलते वायु प्रदूषण मानक से तीन गुना अधिक है. प्रदूषण मानक को अगर देखे तो यह प्रयागराज के लिए चिंताजनक है. अब अगर जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो यहां की हवा भी दिल्ली की तरह ही प्रदूषित होने में देर नहीं लगेगी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के आंकड़ों के साथ जंक्शन पर वायु प्रदूषण मापन के बोर्ड पर दर्शाई गई प्रदूषण की स्थिति चौंकाने वाली है. यहां सर्वाधिक प्रदूषित इलाके कटरा और अलोपीबाग हैं. वहीं औसतन पीएम (पार्टिक्यूलेट मैटर) 350 के आसपास है.
रविवार सुबह हवा में मौजूद आद्रता के चलते तैरते कणों से लोगों में सांस फूलने जैसी शिकायत आ रही है. प्रयागराज में जिस तरह से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, अगर उसके कारणों पर नजर डाले तो माना जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में प्रयागराज में वाहनों की बढ़ती संख्या, व्यावसायिक और आवासीय भवनों के निर्माण और हुए विकास कार्यों के चलते हरियाली गुम सी हो गई है. विशेषज्ञों की मानें तो यदि अभी नहीं चेते, तो यहां के हालात भी दिल्ली जैसे हो जाएंगे. इसके लिए सरकारी तंत्र से अलग अब खुद को जागरूक होना पड़ेगा.
पांच जगहों पर लगे प्रदूषण मापक यंत्र
शहर में प्रदूषण मापने के लिए अलोपीबाग में सीवेज पंपिंग स्टेशन, जॉनसेनगंज में कारपोरेटिव बैंक, रामबाग में पराग डेयरी, कटरा में लक्ष्मी टाकीज और अशोक नगर में भारत यंत्र निगम लिमिटेड में यंत्र लगे हुए हैं.
जानिए क्या है वायु गुणवत्ता का मानक
- 0 से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक - अच्छा
- 51 से 100 वायु गुणवत्ता सूचकांक - संतोषजनक
- 101 से 200 वायु गुणवत्ता सूचकांक - मध्यम
- 201 से 300 वायु गुणवत्ता सूचकांक - खराब
- 301 से 400 वायु गुणवत्ता सूचकांक - बेहद खराब
- 401 से ऊपर वायु गुणवत्ता सूचकांक - गंभीर
बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरे पर पर्यावरणविद डॉ. एचपी पांडेय बताते हैं कि एयर क्वालिटी इंडेक्स तीन गुना हो गए. इसका परिणाम यह है कि लॉकडाउन के दौरान सारी इंडस्ट्रीज बंद थीं. एग्रीकल्चरल वर्क्स बंद थे. सारी चीजें बंद थीं, तो उसके जो अपमार्जक पदार्थ से वह भी बाहर नहीं निकल पा रहे थे. सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे थे, जिसके चलते टेंपरेचर कम हुआ.
उन्होंने कहा, साथ ही दूसरी बात यह हुई कि इससे आर्द्रता भी कम हुई है. इसके कम होने से जो पर्यावरण है या जो हमारा वायुमंडल है, उस वायुमंडल में सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की अधिकता हो गई है. यह सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर एयर क्वालिटी इंडेक्स को गड़बड़ कर रहे हैं. साथ ही एग्रीकल्चर पार्टिकल को जलाए जाने से भी पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.