प्रतापगढ़: नौ साल बाद हॉरर किलिंग की शिकार हुई युवती शमा परवीन को न्याय मिला है. कोर्ट ने हॉरर किलिंग के मामले में चार को आजीवन कारावास की सजा दी है. यह फैसला फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम अपर जिला जज मधु डोंगरा ने सुनाया है. कोर्ट ने आजीवन कारावास के साथ ही 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
जानें पूरा मामला
मामला 13 सितंबर साल 2011 का है, जहां लालगंज कोतवाली के सुंदरपुर प्राथमिक विद्यालय के पास की नहर में एक युवती का धड़ मिला था, लेकिन उसका सिर गायब था. पुलिस ने धड़ को कब्जे में लेकर जांच शुरू की थी. इसके बाद नगर कोतवाली के गोड़े गांव में युवती का सिर मिला.
लड़की ने किया था विजातीय विवाह
काफी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि शव गोड़े गांव के नवाब उर्फ नब्बू की बेटी का है. पुलिस ने नवाब से पूछताछ शुरू की. नवाब के बयान के आधार पर पता चला कि लालगंज कोतवाली इलाके के घरौरा के रहने वाले पांच रिश्तेदार इस घटना में शामिल थे, जिस दौरान दो हत्या की गई थीं. युवक का शव रायबरेली जिले में फेंका गया था, जो वहां की पुलिस ने बरामद किया था. मिली जानकारी के मुताबिक लड़की ने विजातीय विवाह कर लिया था, जिसके चलते खुद की बेटी और उसके पति को भी मौत के घाट उतार दिया गया. वहीं हत्या का राज छिपाने की खातिर लड़के का शव रायबरेली और युवती का शव प्रतापगढ़ जिले में दो टुकड़ों में कर फेंक दिया गया था.
इस मामले युवती के पिता नवाब उर्फ नब्बू, सुग्गन, समीर, नफीस को आजीवन कारावास और पच्चीस हजार का जुर्माना, जबकि अन्य धारा में दो साल की सजा और एक हजार का जुर्माना लगाया गया है. इस हत्या के आरोप में हबीब की सीमित भूमिका के चलते तीन साल की सजा और पांच हजार का जुर्माना लगाया गया है.