ETV Bharat / state

कोरोना संकट में ढूंढ़ा नया विकल्प, छत पर ही उगा दी सब्जियां

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एक परिवार के द्वारा की गई अनोखी खेती चर्चा का विषय बनी हुई है. कोरोना काल में जहां जीवन ठप सा हो गया था, वहीं इस परिवार ने समाज में यह संदेश दिया है कि सब्जी उगाने के लिए खेत की नहीं, बल्कि इच्छा शक्ति की जरूरत होती है. देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट...

unique way to grow vegetables on the terrace
कोरोना संकट में ढूंढा नया विकल्प, छत पर ही उगा दिया सब्जियां
author img

By

Published : Sep 27, 2020, 9:21 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 11:48 PM IST

प्रतापगढ़: जिले में एक अनोखी खेती इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब सारी दुकानें बंद थीं, लोग सब्जियों के लिए तरस गए थे, तब एक इंसान ने अपने छत को ही खेत बना डाला. अपने तीन मंजिला घर की छत पर उसने कई तरीकें की सब्जियां उगा डाली. वो भी बिना किसी रसायनिक खाद और दवा के.

जैविक खाद से उगाई सब्जियां, देखने दूर-दूर से आते हैं लोग
जैविक खाद से उगाई गई इन सब्जियों को देखने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और इस तरीके को अपने घरों में प्रयोग करने की बात भी कह रहे हैं. नगर के चिलबिला में इस तरह का नजारा देखने को मिला. छत पर फैली हरियाली देखकर अब ऐसा लगने लगा है कि देश मे लोग आत्मनिर्भरता को लेकर गंभीर हैं.

आज कल प्रदेश में रासायनिक खाद, कीटनाशकों से भरपूर सुंदर और आकर्षक सब्जियां मंडियों और बाजारों में देखने को मिलती हैं. ऐसे में घर में जैविक खाद में उगाई गयी सब्जियां स्वास्थ्य वर्धक होती हैं. कोरोना संकट काल में पूरे देश मे लॉकडाउन था. इसी दौरान शहर के चिलबिला के रहने वाले प्रदेश के जलशक्ति मंत्री के प्रतिनिधि दिनेश शर्मा के मन में ख्याल आया कि क्यों न घर की छत पर ही सब्जियां उगाई जाए. इसमें उनका साथ दिया-उनकी पत्नी सभासद सुमन शर्मा ने. मामले में दिलचस्पी बढ़ी तो उनकी दो बेटियां भी इस काम में लग गईं.

खाली समय का किया उपयोग
लॉकडाउन के दौरान खाली समय का उपभोग करते हुए छत पर किचन गार्डन का निर्माण शुरू कर दिया गया. दिनेश शर्मा की दोनों बेटियां BCA की छात्रा खुशबू और एमए की छात्रा राधा शर्मा ने छत पर सब्जी उगाने की पहल और मेहनत करना शुरू किया. पहले तो छत में पक्की दीवार से क्यारी तैयार की गई. फिर किचन गार्डन में पालक, बैगन, गोभी, मिर्च, कद्दू, लौकी और मूली समेत तमाम सब्जी बोकर उगाई गईं.

मेहमानों को गिफ्ट में दी जाती हैं सब्जियां
जैविक युक्त सब्जियों का सेवन आज पूरा परिवार करता है. सब्जियां अधिक होने पर घर आने वाले अतिथियों को गिफ्ट के रूप में भी दिया जाता है. पर्यावरण के लिहाज से भी छत हरा-भरा है. लॉकडाउन के दौरान का समय भी जैविक सब्जियों की देख-रेख में कट गया. बाजार की केमिकल युक्त सब्जियों से भी निजात मिल रही हैं. एमए की छात्रा राधा शर्मा का कहना है कि कोरोना काल में यह आइडिया बैठे -बैठे दिमाग में आया. खेत के बिना भी सब्जियां आप अपने खाने के लिए बड़े आसानी से उगा सकते हैं. इसके लिए हम दो बहनें, भाई और मां सुबह शाम दो घंटे छत की बगवानी को देते थे. वहीं अपने घर पर सब्जी की हरियाली देखकर खुशबू भी काफी उत्साहित हैं.

'जैविक खेती सेहत के लिए फायदेमंद'
फिलहाल शहर में सुमन शर्मा के परिवार द्वारा किचन गार्डन के निर्माण के बाद सहायक उद्यान अधिकारी राकेश कुमार का कहना है कि इस पहल से इनके पूरे परिवार और आसपास के लोगों को ताजी सब्जियां तो मिलेंगी ही. साथ में रासायनिक खाद युक्त सब्जी के सेवन से भी मुक्ति मिलेगी. ये सेहत के लिए आगे बहुत ही फायदेमंद साबित होगा. उद्यान विभाग की तरफ से समय-समय पर इस तरह की खेती के लिए जानकारी देते हुए उनको जागरूक किया जाता है.

ये भी पढ़ें: यहां डर के साए में जिंदगी जी रहे लोग, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

लोग कर रहे सराहना
फिलहाल सभासद सुमन शर्मा का परिवार और उनकी बेटियों की पहल शहर में खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. हर कोई व्यक्ति यह जैविक खेती देख दंग हैं और इसकी सराहना कर रहे हैं. कोरोना काल में जहां जीवन ठप सा हो गया था, वहीं इस परिवार ने दो फ्लोर ऊपर सब्जी उगा कर यह संदेश समाज में दिया कि सब्जी उगाने के लिए खेत की नहीं, बल्कि इच्छा शक्ति की जरूरत होती है. आज यह परिवार शाम को थाली में ताजे सलाद और सब्जियों का लुफ्त उठा रहा है.

लोगों के नजरिए में आया परिवर्तन
कोरोना काल ने बहुत कुछ बदला है. लोगों की सोच और समझ में अंतर देखने को मिल रहा है. खेती बाड़ी को लेकर लोगों के नजरिये में खासा परिवर्तन आया है. लोग अब मुसीबत में खुद ही नए रास्ते तय करने लगे हैं. अगर यह कोरोना काल न होता तो इस तरह की सब्जियों के प्रयोग का तरीका भी नहीं मिलता. उम्मीद भी है कि लोग इस प्रयोग को अपनाएंगे और खुद आत्मनिर्भर बनेंगे.

प्रतापगढ़: जिले में एक अनोखी खेती इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब सारी दुकानें बंद थीं, लोग सब्जियों के लिए तरस गए थे, तब एक इंसान ने अपने छत को ही खेत बना डाला. अपने तीन मंजिला घर की छत पर उसने कई तरीकें की सब्जियां उगा डाली. वो भी बिना किसी रसायनिक खाद और दवा के.

जैविक खाद से उगाई सब्जियां, देखने दूर-दूर से आते हैं लोग
जैविक खाद से उगाई गई इन सब्जियों को देखने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और इस तरीके को अपने घरों में प्रयोग करने की बात भी कह रहे हैं. नगर के चिलबिला में इस तरह का नजारा देखने को मिला. छत पर फैली हरियाली देखकर अब ऐसा लगने लगा है कि देश मे लोग आत्मनिर्भरता को लेकर गंभीर हैं.

आज कल प्रदेश में रासायनिक खाद, कीटनाशकों से भरपूर सुंदर और आकर्षक सब्जियां मंडियों और बाजारों में देखने को मिलती हैं. ऐसे में घर में जैविक खाद में उगाई गयी सब्जियां स्वास्थ्य वर्धक होती हैं. कोरोना संकट काल में पूरे देश मे लॉकडाउन था. इसी दौरान शहर के चिलबिला के रहने वाले प्रदेश के जलशक्ति मंत्री के प्रतिनिधि दिनेश शर्मा के मन में ख्याल आया कि क्यों न घर की छत पर ही सब्जियां उगाई जाए. इसमें उनका साथ दिया-उनकी पत्नी सभासद सुमन शर्मा ने. मामले में दिलचस्पी बढ़ी तो उनकी दो बेटियां भी इस काम में लग गईं.

खाली समय का किया उपयोग
लॉकडाउन के दौरान खाली समय का उपभोग करते हुए छत पर किचन गार्डन का निर्माण शुरू कर दिया गया. दिनेश शर्मा की दोनों बेटियां BCA की छात्रा खुशबू और एमए की छात्रा राधा शर्मा ने छत पर सब्जी उगाने की पहल और मेहनत करना शुरू किया. पहले तो छत में पक्की दीवार से क्यारी तैयार की गई. फिर किचन गार्डन में पालक, बैगन, गोभी, मिर्च, कद्दू, लौकी और मूली समेत तमाम सब्जी बोकर उगाई गईं.

मेहमानों को गिफ्ट में दी जाती हैं सब्जियां
जैविक युक्त सब्जियों का सेवन आज पूरा परिवार करता है. सब्जियां अधिक होने पर घर आने वाले अतिथियों को गिफ्ट के रूप में भी दिया जाता है. पर्यावरण के लिहाज से भी छत हरा-भरा है. लॉकडाउन के दौरान का समय भी जैविक सब्जियों की देख-रेख में कट गया. बाजार की केमिकल युक्त सब्जियों से भी निजात मिल रही हैं. एमए की छात्रा राधा शर्मा का कहना है कि कोरोना काल में यह आइडिया बैठे -बैठे दिमाग में आया. खेत के बिना भी सब्जियां आप अपने खाने के लिए बड़े आसानी से उगा सकते हैं. इसके लिए हम दो बहनें, भाई और मां सुबह शाम दो घंटे छत की बगवानी को देते थे. वहीं अपने घर पर सब्जी की हरियाली देखकर खुशबू भी काफी उत्साहित हैं.

'जैविक खेती सेहत के लिए फायदेमंद'
फिलहाल शहर में सुमन शर्मा के परिवार द्वारा किचन गार्डन के निर्माण के बाद सहायक उद्यान अधिकारी राकेश कुमार का कहना है कि इस पहल से इनके पूरे परिवार और आसपास के लोगों को ताजी सब्जियां तो मिलेंगी ही. साथ में रासायनिक खाद युक्त सब्जी के सेवन से भी मुक्ति मिलेगी. ये सेहत के लिए आगे बहुत ही फायदेमंद साबित होगा. उद्यान विभाग की तरफ से समय-समय पर इस तरह की खेती के लिए जानकारी देते हुए उनको जागरूक किया जाता है.

ये भी पढ़ें: यहां डर के साए में जिंदगी जी रहे लोग, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

लोग कर रहे सराहना
फिलहाल सभासद सुमन शर्मा का परिवार और उनकी बेटियों की पहल शहर में खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. हर कोई व्यक्ति यह जैविक खेती देख दंग हैं और इसकी सराहना कर रहे हैं. कोरोना काल में जहां जीवन ठप सा हो गया था, वहीं इस परिवार ने दो फ्लोर ऊपर सब्जी उगा कर यह संदेश समाज में दिया कि सब्जी उगाने के लिए खेत की नहीं, बल्कि इच्छा शक्ति की जरूरत होती है. आज यह परिवार शाम को थाली में ताजे सलाद और सब्जियों का लुफ्त उठा रहा है.

लोगों के नजरिए में आया परिवर्तन
कोरोना काल ने बहुत कुछ बदला है. लोगों की सोच और समझ में अंतर देखने को मिल रहा है. खेती बाड़ी को लेकर लोगों के नजरिये में खासा परिवर्तन आया है. लोग अब मुसीबत में खुद ही नए रास्ते तय करने लगे हैं. अगर यह कोरोना काल न होता तो इस तरह की सब्जियों के प्रयोग का तरीका भी नहीं मिलता. उम्मीद भी है कि लोग इस प्रयोग को अपनाएंगे और खुद आत्मनिर्भर बनेंगे.

Last Updated : Sep 27, 2020, 11:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.