पीलीभीत : उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां सियासी संग्राम को तेज कर चुकी हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज एक दिवसीय दौरे पर पीलीभीत पहुंचे. यहां पर वो सपा द्वारा आयोजित जनादेश यात्रा का शुभारंभ करेंगे. वहीं जिले में राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज के आगमन पर कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया गया.
जिले के पूरनपुर में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए इंद्रजीत सरोज ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा. इंद्रजीत सरोज ने कृषि कानून, भ्रष्टाचार व महंगाई जैसे तमाम मुद्दों पर सरकार को आड़े हाथों लिया. इंद्रजीत सरोज ने कहा- प्रदेश की जनता इतनी परेशान हो चुकी है कि आगामी विधानसभा चुनाव में योगी सरकार को उखाड़ फेंकेगी और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाएगी.
'ब्राह्मणों को भाजपा से खतरा'
जनसभा को संबोधित करते हुए इंद्रजीत सरोज ने सभा में मौजूद ब्राह्मणों को जताते हुए कहा- बीजेपी सरकार में जितने एनकाउंटर ब्राह्मणों के हुए हैं, किसी के नहीं हुए हैं. ऐसे में ब्राह्मणों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. इसके साथ ही इंद्रजीत सरोज ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगर टॉप-10 बदमाशों के नाम की सूची जारी करेंगे, तो कम से कम 8 लोग उनकी बिरादरी के ही होंगे.
योगी सरकार पर कसा व्यंग
इंद्रजीत सरोज ने बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर योगी सरकार पर व्यंग भी कसा. खेतों में घूम रहे आवारा पशुओं की समस्याओं को लेकर सरकार पर व्यंग कसते हुए कहा- उत्तर प्रदेश की सरकार ने युवाओं समेत तमाम लोगों को नौकरी देने का काम किया है. इस नौकरी के तहत फ्री में ग्रामीण अपने खेतों की रखवाली करते हैं, वरना खेत को गोवंश उजाड़ देंगे.
मायावती ने की थी 15 लाख रुपये की डिमांड
आप को बता दें, इंद्रजीत सरोज सपा में शामिल होने से पहले बसपा सरकार के कद्दावर नेता हुआ करते थे. ऐसे में जनसभा को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती पर आरोप लगाते हुए इंद्रजीत सरोज ने कहा कि तमाम दिग्गज नेताओं को बुलाकर मायावती ने बैठक के दौरान कहा था कि नसीमुद्दीन सिद्धकी उनका पैसा लेकर भाग गए हैं और नेताओं से 15 लाख रुपये की डिमांड की थीं. ऐसे में तमाम साथियों ने बसपा को छोड़कर सपा का दामन थामा.
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'भाजपा ने भी भेजा बुलावा'
इंद्रजीत सरोज ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा- जब उन्होंने बसपा छोड़ी थी, तब उनके जनपद से आने वाले डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने उन तक संदेशा भिजवाया था, कि वह भाजपा ज्वाइन कर लें. भाजपा सरकार उन्हें राज्यसभा या विधान परिषद भेज देगी, लेकिन उन्होंने संघर्ष के रास्ते को चुनते हुए अखिलेश यादव की पार्टी में जाने का निर्णय लिया.