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पीलीभीत: डीएम ने किसानों को बताई ऐसी तकनीकि, जिससे मिलेगा प्रदूषण से निजात

प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने प्रदेश सरकार पर करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया है. जिसके बाद सरकार के आदेश पर पीलीभीत में जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने किसानों के खेतों में पहुंचकर पराली से खाद बनाने की तकनीकी बताई.

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खाद्य बनाने की विधि बताते डीएम
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Published : Dec 4, 2019, 3:24 PM IST

पीलीभीत: पूरे प्रदेश में पराली जलाने के कारण बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. पीलीभीत में पराली जलाने की समस्या को लेकर जिलाधिकारी ने किसानों के खेतों में पहुंचकर पराली से खाद बनाने की तकनीकी साझा की. जिससे प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके.

जानकारी देते डीएम.
  • प्रदेश में पराली न जलाने को लेकर सरकार लगातार कदम उठा रही है.
  • पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव माधोटांडा रोड पर स्थित जमुनिया ग्राम खासपुर पहुंचकर किसानों को पराली से खाद बनाने की तकनीकी बताई.
  • किसानों को 20रूपये में दिए जाने वाले कैप्सूल के बारे में जानकारी दी.
  • पराली के अवशेषों को 15 दिन के अंदर खाद के रूप में परिवर्तित करके खेती में उपयोग लाया जा सकता है.
  • कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में तैयार किया गया है.
  • जिसको सरकार के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाएगा.

पराली जलाने से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसके चलते शासन स्तर से सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. जिसको लेकर पराली न जलाएं इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा. साथ ही किसानों की पराली को खाद के रूप में पर तैयार करने की एक विधि बताई गई. जिसमें डी कंपोस्ट प्रक्रिया के तहत पराली को 15 दिन के अंदर खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है. इस तरह से किसान अपनी पराली न जलाकर अपनी पराली से खाद बना लेंगे और इससे हम अपने वातावरण को साफ रख सकेंगे.

वैभव श्रीवास्तव, जिलाधिकारी

पीलीभीत: पूरे प्रदेश में पराली जलाने के कारण बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. पीलीभीत में पराली जलाने की समस्या को लेकर जिलाधिकारी ने किसानों के खेतों में पहुंचकर पराली से खाद बनाने की तकनीकी साझा की. जिससे प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके.

जानकारी देते डीएम.
  • प्रदेश में पराली न जलाने को लेकर सरकार लगातार कदम उठा रही है.
  • पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव माधोटांडा रोड पर स्थित जमुनिया ग्राम खासपुर पहुंचकर किसानों को पराली से खाद बनाने की तकनीकी बताई.
  • किसानों को 20रूपये में दिए जाने वाले कैप्सूल के बारे में जानकारी दी.
  • पराली के अवशेषों को 15 दिन के अंदर खाद के रूप में परिवर्तित करके खेती में उपयोग लाया जा सकता है.
  • कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में तैयार किया गया है.
  • जिसको सरकार के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाएगा.

पराली जलाने से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसके चलते शासन स्तर से सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. जिसको लेकर पराली न जलाएं इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा. साथ ही किसानों की पराली को खाद के रूप में पर तैयार करने की एक विधि बताई गई. जिसमें डी कंपोस्ट प्रक्रिया के तहत पराली को 15 दिन के अंदर खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है. इस तरह से किसान अपनी पराली न जलाकर अपनी पराली से खाद बना लेंगे और इससे हम अपने वातावरण को साफ रख सकेंगे.

वैभव श्रीवास्तव, जिलाधिकारी

Intro:पूरे प्रदेश में पराली जलाने को लेकर बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाहाकार मचा हुआ है जिसके चलते एनजीटी ने प्रदेश सरकार पर करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया साथ ही कई जनपदों को नोटिस भी भेजा गया जिसके चलते पीलीभीत में पराली जलाने की समस्या को लेकर जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने किसानों के खेतों में पहुंचकर पराली से खाद बनाने की तकनीकी साझा की जिससे प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकेBody:पराली जलना प्रदेश की सबसे बड़ी प्रदूषण बढ़ने का कारण बन चुकी है जिसको लेकर प्रदेश सरकार लगातार कदम उठा रही है जिसको लेकर पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने खेतों में पहुंचकर किसानों को पराली से खाद बनाने की तकनीकी किसानों के बीच साझा की, माधोटांडा रोड पर स्थित जमुनिया ग्राम खासपुर में पराली की उचित प्रबंधन हेतु किसानों को वेस्ट डी कंपोजर एवं कैप्सूल का प्रयोग कर फसल अवशेष को कंपोस्ट खाद के रूप में परिवर्तित करने के संबंध में प्रयोगात्मक जानकारी दी गई, डीएम ने किसानों को ₹20 में दिए जाने वाले कैप्सूल के बारे में बताया जिसके माध्यम से पराली के अवशेषों को 15 दिन के अंदर खाद के रूप में परिवर्तित करके खेती में उपयोग लाया जा सकता है यह कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में तैयार किया गया है जिसको सरकार के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाएगा इसी के प्रशिक्षण में जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने संगोष्ठी कर किसानों से पराली न जलाने की अपील करते हुए धान के अवशेषों को खाद में परिवर्तित करने की अपील की उन्होंने किसानों को बताया कि मनरेगा के तहत पिट तैयार करवा कर खेती के अवशेषों को उस में डालकर डी कंपोस्ट तैयार किया जाएगी जिला कृषि अधिकारी द्वारा जैविक कंपोस्ट खाद तैयार करने के संबंध में अवगत कराया गया कि सफल अवशेष को गड्ढे में डालकर पानी छिड़काव करने के उपरांत वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव तीन स्तर में करने के बाद ढक दिया जाएगा जिसके बाद 15 दिन बाद फसल अभिषेक जैविक खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएंगे जिसका उपयोग खेतों में खाद के रूप में किया जा सकेगा इस विधि का उपयोग कर एक एकल की पराली को 15 दिन में जैविक खाद के रूप में उपयोग की जा सकती हैConclusion:जानकारी देते हुए जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि पराली जलाने से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है जिसके चलते शासन स्तर से सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जिसको लेकर पराली ना जलाएं इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा साथ ही किसानों की पराली को खाद के रूप में पर तैयार करने की एक विधि बताई गई जिसमें डी कंपोस्ट प्रक्रिया के तहत पराली को 15 दिन के अंदर खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है और यह खाद किसानों को अपने खेतों में फिर से जरूरत पड़ती है डी कंपोस्ट की प्रक्रिया ₹20 के कैप्सूल से जो कि भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में तैयार किया गया है इस तरह से किसान अपनी पराली न जलाकर अपनी पराली से खाद बना लेंगे और इससे हम अपने वातावरण को साफ रख सकेंगे

बाइट- जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव
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