मुजफ्फरनगर: केंद्र सरकार के कृषि बिल का विरोध के चलते दिल्ली बॉर्डर पर किसान पिछले दो महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांगों को दरकिनार कर रही है. इसी परीपेक्ष में विपक्ष की राजनैतिक पार्टिया भी अपने मतभेद भूलकर केंद्र सरकार के विरोध में एक मंच पर दिखाई दे रही हैं.
कांग्रेसी नेता एवं पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने बताया कि गन्ना मूल्य नहीं बढ़ने से किसानों को आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए. जो सरकार 200 किसानों की शहादत पर एक शब्द न बोली हो. उससे गन्ना मूल्य की उम्मीद नहीं होनी चाहिए. बीजेपी से उम्मीद करना रेगिस्तान में पानी तलाशने जैसा है. किसानों को अब इनकी सरकारों के जाने का इंतजार करना चाहिए.
किसान विरोधी है सरकार
सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने बताया कि बीजेपी भाजपा सरकार ने बिजली, खाद, डीजल के दाम बढ़ाकर किसानों की कमर तोड़ दी है. गन्ने के रेट को मिल मालिकों से साठगांठ कर तीसरे साल भी स्थिर रखकर किसानों को बर्बाद करने का काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने के बयान पर भी देश के किसानों से झूठ बोल रहे हैं. स्वामीनाथन रिपोर्ट में ही गन्ना रेट प्रत्येक वर्ष 10 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश है.
रालोद के राष्ट्रीय सचिव राजपाल बालियान का कहना है कि गन्ने का समर्थन न बढ़ाना प्रदेश की योगी सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को उजागर करता है. पिछले कई साल से समर्थन मूल्य न बढ़ाकर किसान को गर्त में उतारने का काम किया गया है. किसानों ने जिस उम्मीद और वादों पर यकीन कर इस सरकार को बनाया था. वो सभी जुमले साबित हुए हैं. इस सरकार में किसान की हालत बद से बदतर हुई है.
बीजेपी ने किया किसानों से धोखा
बसपा नेता जियाउर्रहमान का कहना है कि प्रदेश की राजनीति के इतिहास में जितना अधिक गन्ना मूल्य बसपा सरकार में बढ़ा उतना तो किसी सरकार में नहीं बढ़ा है. मायावती की सरकार में गन्ना मूल्य भी बढ़ा और भुगतान भी समय से हुआ. बीजेपी ने किसानों को सिर्फ धोखा देने को काम किया है.
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