चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए सरकार ने देश को लॉगडाउन कर दिया है. 21 दिन के लॉकडाउन के चलते कल-कारखाने, फैक्ट्रियां सब बंद हो गईं. ऐसे में उत्तर भारत के लोग भुखमरी के मुहाने पर आ गए. ऐसे में इन लोगों ने अपने घर जाना ही मुनासिब समझा, लेकिन लॉकडाउन के चलते परिवहन के सभी साधन बंद हो थे, तो लोग पैदल ही राजधानी दिल्ली से अपने घरों को निकल लिए.
हालांकि सड़कों पर उमड़े जनसैलाब और उनकी तकलीफों को देखकर राज्य की सरकारों ने सैकड़ों बसों को चलाया. ऐसे ही हालातों से लड़ते हुए चन्दौली पहुंचे कामगारों के एक ग्रुप से ईटीवी भारत ने जब हाल जानने का प्रयास किया तो सरकारी दावों की कलई खुल गई.
दिल्ली से घरों की ओर पलायन कर रहे कामगार
यह तस्वीर उन कामगारों की है जो काम की तलाश में राजधानी दिल्ली गए थे. अचानक घोषित हुए लॉकडाउन के चलते इन लोगों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई. ऐसे में लोगों ने घर जाना ही मुनासिब समझा. राजधानी दिल्ली से पलायन कर ये लोग पैदल ही अपने घरों को चल दिये, जिसमें युवा कामगारों के साथ बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चियां भी शामिल हैं, इनकी मुसीबतों को देखते हुए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की सरकारों ने बसों के जरिए उन्हें उनके घरों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया. लेकिन उनका यह प्रयास आधी हकीकत आधा फंसाना ही साबित हुआ.
सरकारी बसों ने कामगारों को आधे रास्ते में छोड़ा
बिहार जा रहे इन लोगों ने बताया कि हरियाणा सरकार ने आनंद विहार आईएसबीटी से बसों के जरिए लोगों को उनके घरों तक छोड़ने के लिए अपने बसों के बेड़े में शामिल बसों को लगा दिया, लेकिन वह भी इन मजबूरों के साथ छलावा ही साबित हुआ. राजधानी दिल्ली से चलकर हजारों की संख्या में कामगारों को बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जाना था, लेकिन हरियाणा सरकार की यह बसें इन लोगों को लखनऊ में ही छोड़कर वापस चली गईं, जिसके बाद हजारों की संख्या में लोग एक बार फिर से सड़कों पर आ गए और पैदल ही अपने सफर पर निकल गए. इनमें से किसी के सर पर सामानों का बोझ था तो किसी की गोद में मासूम बच्चे.
पैदल चलते-चलते पैरों में पड़े छाले
ईटीवी से बात करते हुए लोगों ने बताया कि करीब एक हजार किलोमीटर की दूरी तय करने के दौरान वह कभी पैदल चलते तो कभी एसेंसियल सर्विसेज के लिए चल रही ट्रकों और अन्य मालवाहक गाड़ियों की छतों पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करते. फिर पैदल चलते ताकि किसी तरह अपने घर पहुंच सकें. इस दौरान पैदल चलते-चलते उनके पैरों में छाले पड़ गए, एड़िया घिस गई, पैर सूज गए, लेकिन बावजूद इसके बिना रुके यह लोग 800 किलोमीटर की दूरी तय करके चंदौली पहुंचे. यहां से इन्हें बिहार जाना है, लेकिन आगे जाने के लिए न तो उनके पास कोई साधन है, ना ही कोई माध्यम.
इन वैश्विक महामारी के इस दौर में केंद्र की सरकार ने संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन कर दिया. जो सोशल सेफ्टी के तौर पर जरूरी भी था, लेकिन जिस तरह इन कामगारों को बीच मझदार में सड़कों पर छोड़ दिया, वह इनकी मदद के प्रयासों और दावों की पोल खोलती नजर आ रही है.