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मुरादाबाद: कृषि बिल पास होने के बाद आढ़तियों और व्यापारियों में मायूसी, किसान असमंजस में

राज्यसभा और लोकसभा में कृषि बिल पास होने के बाद आढ़तियों और व्यापारियों में मायूसी है तो वहीं किसान असमंजस में हैं. ईटीवी भारत ने मुरादाबाद जिले के किसानों, व्यापारियों और आढ़तियों से बातचीत की और कृषि बिल पर उनकी राय जानी. देखिए यह रिपोर्ट...

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Published : Sep 24, 2020, 5:00 PM IST

reactions of farmers and traders on farm bill 2020
मुरादाबाद में कृषि बिल पर किसानों और व्यापारियों की राय.

मुरादाबाद: केंद्र सरकार द्वारा किसान बिल लाए जाने के बाद जहां विपक्ष लगातार प्रदर्शन कर रहा है वहीं मंडियों में भी कामकाज प्रभावित हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा बिल को किसानों के हित में बताया गया है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष बिल को किसान विरोधी करार दे रहा है. मुरादाबाद स्थित मंडी में काम कर रहे आढ़तियों के मुताबिक नया बिल जहां कारोबार को प्रभावित करेगा, वहीं किसानों को भी इससे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

कृषि बिल पर किसानों, व्यापारियों और आढ़तियों की राय.

मंडियों से सामान खरीदने वाले फुटकर व्यापारियों के मुताबिक, किसान अगर मंडियों की जगह खुद ही सब्जियां, फल और अनाज बेचना शुरू करेंगे तो व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो सकता है. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल को लेकर जहां विपक्ष हमलावर है, वहीं मंडियों में भी इसको लेकर अलग-अलग राय है. मुरादाबाद जनपद के मझोला मंडी में ईटीवी भारत द्वारा आढ़तियों, किसानों और व्यापारियों से बिल को लेकर उनकी राय जानने की कोशिश की गई, जिसमें लोगों ने अपनी राय रखी.

... कामकाज हो सकता है ठप
आढ़तियों के मुताबिक नए बिल से जहां आढ़तियों को काफी नुकसान होगा, वहीं मंडी में किसान की फसल न पहुंचने से कामकाज ठप हो सकता है. किसान जहां बिल को लेकर खुश हैं, वहीं उनके सामने सबसे बड़ी समस्या भुगतान को लेकर है. किसानों के मुताबिक, आढ़तियों से भुगतान की कोई समस्या नहीं होती है और कई बार जरूरत के मुताबिक आढ़ती मदद भी करते हैं, लेकिन कहीं और फसल भेजने से उनके भुगतान को लेकर समस्या खड़ी हो सकती है.

कृषि बिल से खुश नहीं आढ़तिए
मंडी समिति में पिछले कई सालों से आढ़ती कृष्ण कुमार सैनी सरकार द्वारा लाये गए कृषि बिल से खुश नजर नहीं आते. कृष्ण कुमार के मुताबिक, किसानों के हित में लाया गया बिल दरअसल किसानों की मुश्किलों को बढ़ाएगा. आढ़तियों के कामकाज पर बिल से काफी असर पड़ेगा, लेकिन किसान को अपनी फसल का सही दाम ओर समय पर भुगतान मिलने में परेशानी होगी. मंडी में ही आढ़ती प्रमोद कुमार के मुताबिक, किसान अपनी फसल को लेकर आढ़तियों के पास पहुंचते हैं और हाथों हाथ फसल का भुगतान प्राप्त करते है. ऐसे में जरूरत के वक्त किसान आढ़तियों से एडवांस भी पैसे ले लेते हैं, लेकिन नई व्यवस्था में यह संभव नहीं होगा.

क्या कहना है व्यापारियों का
मंडी से सब्जियां, फल खरीदकर फुटकर में बेचने वाले व्यापारी भी नए बिल को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. फुटकर व्यापारियों के मुताबिक, यदि किसान अपनी फसल को खुद बेचना शुरू कर दें तो कीमतें कम होने के चलते इसका असर व्यापारियों पर पड़ेगा. मंडी गेट पर फलों की दुकान लगा रही कुंता देवी के मुताबिक, किसान अगर ताजे फल कम कीमत में खुद ही बेचना शुरू कर देगा तो इसका असर व्यापार पर पड़ेगा और ग्राहक सीधे किसान से फल खरीदने में रुचि दिखाएगा.

कृषि बिल को लेकर असमंजस में किसान
कृषि बिल को लेकर किसान भी असमंजस में नजर आते हैं. किसानों के मुताबिक, अभी तक तैयार फसल को लेकर वह सीधे मंडी पहुंचते हैं, लेकिन अगर निजी कम्पनियां कॉन्ट्रैक्ट करती हैं तो इससे नुकसान की आशंका रहेगी. कम्पनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से भुगतान करेगी और बाजार भाव ज्यादा होने पर किसान को नुकसान होगा. वहीं कीमत कम हुई तो कम्पनियां किसान से फसल खरीदने के बजाय बाजार से खरीद करेंगी, जिससे किसानों को नुकसान होगा. किसान अजहर तुर्क के मुताबिक, कम्पनियों की मनमानी से किसान को बचाने का इंतजाम नहीं है, दूसरा भुगतान को लेकर किसान को परेशान होना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: मुरादाबाद: स्पेशल ट्रेनों के संचालन में रेलवे ने खर्च किए 40 लाख, झोली में आए 4 हजार

कृषि बिल के जरिए जहां सरकार किसानों को आजादी देने का दावा कर रही है, वहीं आढ़तियों और व्यापारियों की मुश्किलें इस बिल से बढ़ गई हैं. किसानों को बिल से फायदे हैं, लेकिन आढ़तियों और मंडियों से सालों से चला आ रहा भरोसे का रिश्ता कैसे तोड़ा जाय, इसको लेकर मुश्किलें हैं.

मुरादाबाद: केंद्र सरकार द्वारा किसान बिल लाए जाने के बाद जहां विपक्ष लगातार प्रदर्शन कर रहा है वहीं मंडियों में भी कामकाज प्रभावित हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा बिल को किसानों के हित में बताया गया है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष बिल को किसान विरोधी करार दे रहा है. मुरादाबाद स्थित मंडी में काम कर रहे आढ़तियों के मुताबिक नया बिल जहां कारोबार को प्रभावित करेगा, वहीं किसानों को भी इससे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

कृषि बिल पर किसानों, व्यापारियों और आढ़तियों की राय.

मंडियों से सामान खरीदने वाले फुटकर व्यापारियों के मुताबिक, किसान अगर मंडियों की जगह खुद ही सब्जियां, फल और अनाज बेचना शुरू करेंगे तो व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो सकता है. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल को लेकर जहां विपक्ष हमलावर है, वहीं मंडियों में भी इसको लेकर अलग-अलग राय है. मुरादाबाद जनपद के मझोला मंडी में ईटीवी भारत द्वारा आढ़तियों, किसानों और व्यापारियों से बिल को लेकर उनकी राय जानने की कोशिश की गई, जिसमें लोगों ने अपनी राय रखी.

... कामकाज हो सकता है ठप
आढ़तियों के मुताबिक नए बिल से जहां आढ़तियों को काफी नुकसान होगा, वहीं मंडी में किसान की फसल न पहुंचने से कामकाज ठप हो सकता है. किसान जहां बिल को लेकर खुश हैं, वहीं उनके सामने सबसे बड़ी समस्या भुगतान को लेकर है. किसानों के मुताबिक, आढ़तियों से भुगतान की कोई समस्या नहीं होती है और कई बार जरूरत के मुताबिक आढ़ती मदद भी करते हैं, लेकिन कहीं और फसल भेजने से उनके भुगतान को लेकर समस्या खड़ी हो सकती है.

कृषि बिल से खुश नहीं आढ़तिए
मंडी समिति में पिछले कई सालों से आढ़ती कृष्ण कुमार सैनी सरकार द्वारा लाये गए कृषि बिल से खुश नजर नहीं आते. कृष्ण कुमार के मुताबिक, किसानों के हित में लाया गया बिल दरअसल किसानों की मुश्किलों को बढ़ाएगा. आढ़तियों के कामकाज पर बिल से काफी असर पड़ेगा, लेकिन किसान को अपनी फसल का सही दाम ओर समय पर भुगतान मिलने में परेशानी होगी. मंडी में ही आढ़ती प्रमोद कुमार के मुताबिक, किसान अपनी फसल को लेकर आढ़तियों के पास पहुंचते हैं और हाथों हाथ फसल का भुगतान प्राप्त करते है. ऐसे में जरूरत के वक्त किसान आढ़तियों से एडवांस भी पैसे ले लेते हैं, लेकिन नई व्यवस्था में यह संभव नहीं होगा.

क्या कहना है व्यापारियों का
मंडी से सब्जियां, फल खरीदकर फुटकर में बेचने वाले व्यापारी भी नए बिल को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. फुटकर व्यापारियों के मुताबिक, यदि किसान अपनी फसल को खुद बेचना शुरू कर दें तो कीमतें कम होने के चलते इसका असर व्यापारियों पर पड़ेगा. मंडी गेट पर फलों की दुकान लगा रही कुंता देवी के मुताबिक, किसान अगर ताजे फल कम कीमत में खुद ही बेचना शुरू कर देगा तो इसका असर व्यापार पर पड़ेगा और ग्राहक सीधे किसान से फल खरीदने में रुचि दिखाएगा.

कृषि बिल को लेकर असमंजस में किसान
कृषि बिल को लेकर किसान भी असमंजस में नजर आते हैं. किसानों के मुताबिक, अभी तक तैयार फसल को लेकर वह सीधे मंडी पहुंचते हैं, लेकिन अगर निजी कम्पनियां कॉन्ट्रैक्ट करती हैं तो इससे नुकसान की आशंका रहेगी. कम्पनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से भुगतान करेगी और बाजार भाव ज्यादा होने पर किसान को नुकसान होगा. वहीं कीमत कम हुई तो कम्पनियां किसान से फसल खरीदने के बजाय बाजार से खरीद करेंगी, जिससे किसानों को नुकसान होगा. किसान अजहर तुर्क के मुताबिक, कम्पनियों की मनमानी से किसान को बचाने का इंतजाम नहीं है, दूसरा भुगतान को लेकर किसान को परेशान होना पड़ेगा.

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कृषि बिल के जरिए जहां सरकार किसानों को आजादी देने का दावा कर रही है, वहीं आढ़तियों और व्यापारियों की मुश्किलें इस बिल से बढ़ गई हैं. किसानों को बिल से फायदे हैं, लेकिन आढ़तियों और मंडियों से सालों से चला आ रहा भरोसे का रिश्ता कैसे तोड़ा जाय, इसको लेकर मुश्किलें हैं.

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