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मुरादाबाद: रासायनिक खादों के प्रयोग से बंजर हो रही जमीन, खत्म हो रहा कार्बन जीवाश्म - मुरादाबाद खबर

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रासायनिक खादों के प्रयोग से जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है. जमीन में पोषक तत्वों की कमी से पैदावार कम हो रही है. वहीं कृषि विभाग का कहना है कि रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल से इस स्थिति को कुछ हद तक रोका जा सकता है.

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रासायनिक खादों के प्रयोग से बंजर हो रही जमीन.
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Published : Dec 8, 2019, 12:22 PM IST

मुरादाबाद: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन को रासायनिक खादों की नजर लग गई है. गन्ना बेल्ट के लिए मशहूर यह उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है. जमीन में पोषक तत्वों की कमी से जहां पैदावार कम हो रही है वहीं किसानों की आमदनी पर भी इसका असर दिखने लगा है.

रासायनिक खादों के प्रयोग से बंजर हो रही जमीन.

सरकार द्वारा मृदा परीक्षण कर किसानों से जमीन की उपजाऊ क्षमता को बचाने की अपील की जा रही है, लेकिन परीक्षण में आए नतीजे हैरान करने वाले हैं. फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के साथ जमीन में कार्बन जीवाश्म न्यून स्तर पर पहुंच गया है. कृषि विभाग इसके लिए रासायनिक खादों के साथ एक ही फसल उगाने को जिम्मेदार ठहरा रहा है.

रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बंजर हो रही जमीन
पूरी दुनिया में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. दुनिया की अरबों की आबादी को जिंदा रहने के लिए उपजाऊ मिट्टी का ही सहारा है. दुनिया में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना अपने आप में चुनौती है और मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखना समय की जरूरत बनती जा रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन सालों से लोगों की भोजन और अन्य जरूरतें पूरी करती आई है, लेकिन बदलते वक्त में जमीन में खनिज और दूसरे पोषक तत्व लगातार घटते जा रहें है जिसके चलते उत्पादन घटा है. कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी इसके लिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल और एक ही फसल पर आश्रित होने को जिम्मेदार मानते हैं.

इसे भी पढ़ें- कांग्रेस और गांधी परिवार ने हमेशा से रेपिस्टों को संरक्षण देने का काम किया: साध्वी गीता प्रधान

जमीन में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से कम
जिले में किसानों की जमीन की उर्वरता मापने के लिए परीक्षण केंद्र बना है, जिसके नतीजे भविष्य के हालात बयां करते हैं. परीक्षण के विभिन्न चरणों में मुरादाबाद और उसके आस-पास के जनपदों की जमीन में खनिज तत्व कम मात्रा में पाए गए हैं. साथ ही जमीन के लिए महत्वपूर्ण कार्बन जीवाश्म भी लगातार कम हो रहा है. परीक्षण केंद्र में कार्यरत अधिकारियों के मुताबिक इस साल लगभग चार हजार से ज्यादा मिट्टी के नमूने जांचे गए हैं. जिनमें ज्यादातर नमूनों में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से कम है. रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल के जरिये इस स्थिति को कुछ हद तक रोका जा सकता है.

प्राकृतिक खादों का बढ़ाया जाए प्रयोग
पश्चिमी यूपी में लगातार गन्ने की फसल और उसमें यूरिया के इस्तेमाल से किसानों की उपजाऊ जमीन खराब हो रही है. मिट्टी के पोषक तत्वों पर प्रदूषण और बढ़ती शहरी आबादी का दबाव भी नजर आता है. ऐसे में आवश्यक है कि खेती के पारंपरिक तरीकों के साथ प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल बढ़ाया जाए, जिससे भविष्य में बढ़ती आबादी को भरपेट भोजन मिलता रहें.

मुरादाबाद: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन को रासायनिक खादों की नजर लग गई है. गन्ना बेल्ट के लिए मशहूर यह उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है. जमीन में पोषक तत्वों की कमी से जहां पैदावार कम हो रही है वहीं किसानों की आमदनी पर भी इसका असर दिखने लगा है.

रासायनिक खादों के प्रयोग से बंजर हो रही जमीन.

सरकार द्वारा मृदा परीक्षण कर किसानों से जमीन की उपजाऊ क्षमता को बचाने की अपील की जा रही है, लेकिन परीक्षण में आए नतीजे हैरान करने वाले हैं. फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के साथ जमीन में कार्बन जीवाश्म न्यून स्तर पर पहुंच गया है. कृषि विभाग इसके लिए रासायनिक खादों के साथ एक ही फसल उगाने को जिम्मेदार ठहरा रहा है.

रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बंजर हो रही जमीन
पूरी दुनिया में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. दुनिया की अरबों की आबादी को जिंदा रहने के लिए उपजाऊ मिट्टी का ही सहारा है. दुनिया में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना अपने आप में चुनौती है और मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखना समय की जरूरत बनती जा रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन सालों से लोगों की भोजन और अन्य जरूरतें पूरी करती आई है, लेकिन बदलते वक्त में जमीन में खनिज और दूसरे पोषक तत्व लगातार घटते जा रहें है जिसके चलते उत्पादन घटा है. कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी इसके लिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल और एक ही फसल पर आश्रित होने को जिम्मेदार मानते हैं.

इसे भी पढ़ें- कांग्रेस और गांधी परिवार ने हमेशा से रेपिस्टों को संरक्षण देने का काम किया: साध्वी गीता प्रधान

जमीन में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से कम
जिले में किसानों की जमीन की उर्वरता मापने के लिए परीक्षण केंद्र बना है, जिसके नतीजे भविष्य के हालात बयां करते हैं. परीक्षण के विभिन्न चरणों में मुरादाबाद और उसके आस-पास के जनपदों की जमीन में खनिज तत्व कम मात्रा में पाए गए हैं. साथ ही जमीन के लिए महत्वपूर्ण कार्बन जीवाश्म भी लगातार कम हो रहा है. परीक्षण केंद्र में कार्यरत अधिकारियों के मुताबिक इस साल लगभग चार हजार से ज्यादा मिट्टी के नमूने जांचे गए हैं. जिनमें ज्यादातर नमूनों में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से कम है. रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल के जरिये इस स्थिति को कुछ हद तक रोका जा सकता है.

प्राकृतिक खादों का बढ़ाया जाए प्रयोग
पश्चिमी यूपी में लगातार गन्ने की फसल और उसमें यूरिया के इस्तेमाल से किसानों की उपजाऊ जमीन खराब हो रही है. मिट्टी के पोषक तत्वों पर प्रदूषण और बढ़ती शहरी आबादी का दबाव भी नजर आता है. ऐसे में आवश्यक है कि खेती के पारंपरिक तरीकों के साथ प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल बढ़ाया जाए, जिससे भविष्य में बढ़ती आबादी को भरपेट भोजन मिलता रहें.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन को रासायनिक खादों की नजर लग गयी है. गन्ना बेल्ट के लिए मशहूर यह उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है. जमीन में पोषक तत्वों की कमी से जहां पैदावार कम हो रहीं है वहीं किसानों की आमदनी पर भी इसका असर दिखने लगा है. सरकार द्वारा मृदा परीक्षण कर किसानों से जमीन की उपजाऊ क्षमता को बचाने की अपील की जा रही है लेकिन परीक्षण में आये नतीजे हैरान करने वाले है. फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के साथ जमीन में कार्बन जीवाश्म न्यून स्तर पर पहुंच गया है. कृषि विभाग इसके लिए रासायनिक खादों के साथ एक ही फसल उगाने को जिम्मेदार ठहरा रहा है.


Body:वीओ वन: पूरी दुनिया में आज विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है. दुनिया की अरबों की आबादी को जिंदा रहने के लिए उपजाऊ मिट्टी का ही सहारा है. दुनिया में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना अपने आप में चुनौती है और मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखना समय की जरूरत बनती जा रहीं है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन सालों से लोगों की भोजन और अन्य जरूरतें पूरी करती आई है लेकिन बदलते वक्त में जमीन में खनिज और दूसरे पोषक तत्व लगातार घटते जा रहें है जिसके चलते उत्पादन घटा है. कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी इसके लिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल और एक ही फसल पर आश्रित होने को जिम्मेदार मानते है.
बाईट: सीएल गुप्ता: उप निदेशक कृषि
वीओ टू: मुरादाबाद जनपद में किसानों की जमीन की उर्वरता मापने के लिए परीक्षण केंद्र बना है जिसके नतीजे भविष्य के हालात बयां करते है. परीक्षण के विभिन्न चरणों में मुरादाबाद और उसके आस-पास के जनपदों की जमीन में खनिज तत्व न्यून मात्रा में पाए गए है साथ ही जमीन के लिए महत्वपूर्ण कार्बन जीवाश्म भी लगातार कम हो रहा है. परीक्षण केंद्र में कार्यरत अधिकारियों के मुताबिक इस साल लगभग चार हजार से ज्यादा मिट्टी के नमूने जांचे गए है जिनमें ज्यादातर नमूनों में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से कम है. रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल के जरिये इस स्थिति को कुछ हद तक रोका जा सकता है.
बाईट: नौभार सिंहः: सीनियर पटल प्रभारी


Conclusion:वीओ तीन: पश्चिमी यूपी में लगातार गन्ने की फसल और उसमें यूरिया के इस्तेमाल से किसानों की उपजाऊ जमीन खराब हो रहीं है. मिट्टी के पोषक तत्वों पर प्रदूषण और बढ़ती शहरी आबादी का दबाव भी नजर आता है. ऐसे में आवश्यक है कि खेती के पारंपरिक तरीकों के साथ प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल बढ़ाया जाए जिससे भविष्य में बढ़ती आबादी को भरपेट भोजन मिलता रहें.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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