मुरादाबाद: दो साल लंबे प्रतिबंध के बाद ईरान ने भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों के लिए हाल ही में बाजार खोला था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते पीतल कारोबारियों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. यहां से हर साल पांच सौ करोड़ रुपये के पीतल उत्पाद ईरान भेजे जाते हैं, लेकिन पहले प्रतिबंध और अब कोरोना वायरस के चलते निर्यात ठप हो गया है.
पीतल निर्यातकों के तैयार सामान से लदे कंटेनर बंदरगाहों पर अटक गए हैं, जिस वजह से कारोबारियों को आर्थिक संकट का सामान करना पड़ रहा है. पीतल कारोबारी संकट से निपटने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
ईरान में होती है भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की ज्यादा खपत
ईरान भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों के सबसे बड़े बाजार के रूप में जाना जाता है और पीतल उत्पादों के सबसे बड़े बाजार के रूप में ईरान की अपनी अलग पहचान है. दो साल पहले परमाणु प्रसार कार्यक्रम के चलते अमेरिका ने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिसके बाद ईरान ने भारत के 1300 से ज्यादा उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी. कुछ समय पहले ही ईरान सरकार ने पीतल उत्पादों से प्रतिबंध हटाया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात शुरू किया गया.
कोरोना की वजह से पीतल उत्पादों का निर्यात ठप
कोरोना वायरस के चलते अब दोबारा ईरान से पीतल उत्पादों का निर्यात ठप हो गया है, जिसके चलते कारोबारी मुश्किल में आ गए हैं. ईरान के बायरों के तैयार ऑर्डर बंदरगाहों पर रोक दिए गए हैं और कारोबारी ईरान नहीं जा पा रहे.
बंदरगाहों पर अटके भारतीय व्यापारियों के उत्पाद
ईरान से कारोबार शुरू होने के बाद स्थानीय कारोबारियों ने बड़े पैमाने पर पीतल उत्पाद तैयार करने शुरू कर दिए थे. साथ ही ईरान से पहले मिले ऑर्डरों को भेज दिया गया था. चीन के अलावा ईरान सहित अन्य देशों में में फैले कोरोना वायरस के खौफ से ईरान सरकार ने निर्यातकों के कंटेनर रोक दिए हैं. ईरान सरकार के इस फैसले के बाद कारोबारी अब भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
विदेशी बायर नहीं कर रहे भुगतान
कारोबारियों के मुताबिक ऑर्डर नहीं पहुंचने की स्थिति में विदेशी बायर भुगतान नहीं करेंगे, जिसके चलते कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो सकता है. ईरान को पीतल के बने शुद्ध उत्पाद निर्यात किये जाते हैं और हर साल लाखों कारीगरों की रोजी-रोटी का जरिया ईरान का निर्यात ही हैं. ऐसे में अगर कोरोना वायरस का कहर जल्द नहीं थमा तो पीतल उद्योग को हजारों करोड़ रुपये की चपत लगना तय है.