मुरादाबाद: लॉकडाउन के चलते जहां शहरों में प्रशासन द्वारा दैनिक जरूरत की वस्तुओं को घर-घर पहुंचाया जा रहा है, वहीं गांवों में स्थानीय लोग अपनी जरूरतों को अपने तरीके से पूरा कर रहे हैं. मुरादाबाद जनपद के देहात क्षेत्रों में इन दिनों कमल ककड़ी की मांग काफी बढ़ गयी है. स्थानीय तालाबों में होने वाली कमल ककड़ी को सब्जी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. लॉकडाउन के चलते ग्रामीण युवा दिन भर तालाबों में कमल ककड़ी को तलाश कर सब्जी की जरूरत पूरा कर रहे हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक गांवों में सब्जी की आपूर्ति कम होने और आर्थिक तंगी के चलते लोग तालाबों से कमल ककड़ी तलाश कर रहे हैं. बता दें कि कमल ककड़ी तालाबों में गहराई में होती है और इसे तलाश करने में काफी समय लगता है.
युवा तालाबों से ढूंढ रहे कमल ककड़ी
मुरादाबाद- हरिद्वार रोड से सटे देहात क्षेत्र में स्थित पानी के तालाब में युवा परिवार के लिए सब्जियों की व्यवस्था करने में जुटे हैं. मुरादाबाद और उसके आस-पास के क्षेत्रों में तालाबों में कमल ककड़ी काफी मात्रा में होती है, लिहाजा लॉकडाउन के दौरान स्थानीय युवा हर रोज कमल ककड़ी की तलाश में तालाबों की खाक छान रहे हैं. विटामिन और खनिज से भरपूर कमल ककड़ी जहां स्थानीय लोगों की सब्जी की जरूरत पूरा कर रही है, वहीं इससे लोगों को रोगों से लड़ने में भी मदद मिल रही है. इसे कमल मूल के नाम से भी कई जगह पहचाना जाता है. तालाब में यह काफी गहराई में होती है, जिसके चलते बहुत मुश्किल से इसे तलाशा जाता है. बाजार में कमल ककड़ी की कीमत अस्सी से सौ रुपये प्रति किलो तक होती है.
सब्जी की जरूरत को आसानी से पूरा करती कमल ककड़ी
लॉकडाउन के चलते बाजार बंद होने और वाहनों की आवाजाही न होने से तालाबों में कमल ककड़ी काफी मात्रा में मौजूद है. ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी की आपूर्ति लोगों की संख्या के मुकाबले कम होने और लोगों के पास पैसों की किल्लत के चलते कमल ककड़ी तलाशना बढ़िया विकल्प है. ग्रामीण युवाओं के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कमल ककड़ी से उनके परिवार की सब्जी की जरूरत आसानी से पूरी हो जाती है और यह काफी पौष्टिक भी होता है. रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ पलायन करने वाले युवा भी लॉकडाउन के दौरान तालाबों से सब्जी तलाशने को सुखद बताते हैं.
फिर से डिमांड में
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर होने वाली सब्जियों को हमेशा से ही वरीयता दी जाती रही है. लॉकडाउन के चलते एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में कमल ककड़ी जैसी सब्जियां डिमांड में हैं. तालाबों से निकली ये सब्जियां ताजी और शुद्ध होने के साथ फायदेमंद तो है ही साथ में गांवों के पुराने दिनों की भी याद दिला रही हैं.