मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में राजकीय बालिका संरक्षण गृह में 57 लड़कियों (संवासिनियों) में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही संरक्षण गृह में रह रही 7 नाबालिग लड़कियां गर्भवती मिली हैं, जिनमें से 5 कोरोना पॉजिटिव पायी गयी हैं. सभी संक्रमित बालिकाओं को इलाज के लिए रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. विपक्षी दल भी सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. बालिका गृह में नाबालिग किशोरियों के गर्भवती होने के मामले पर ईटीवी भारत ने यूपी बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता से खास बातचीत की.
बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने कहा कि कई जिलों से लड़कियां कानपुर राजकीय बालिका संरक्षण गृह आती हैं. कानपुर बालिका संरक्षण गृह में 100 बलिकाओं को रखने की ही जगह है, लेकिन वहां पर 173 लड़कियां रह रही थीं. इनमें से सात लड़कियां गर्भवती पाई गई हैं, जिसमें से 2 की जांच चल रही थी. 57 लड़कियां कोरोना संक्रमित हैं. सभी लड़कियों का पूरा रिकॉर्ड बालिका गृह के पास मौजूद है और जिस समय इन्हें बालिका गृह में लाया गया था, उस वक्त इनके गर्भवती होने की जानकारी थी. विशेष गुप्ता ने दावा किया कि पॉस्को एक्ट के मामलों में ट्रायल जारी है और यौन उत्पीड़न के मुकदमे इन लड़कियों ने स्थानीय थानों में दर्ज कराये हैं.
लड़कियां यौन उत्पीड़न का शिकार
विशेष गुप्ता ने बताया कि ये मामला दिसंबर के हैं. लड़कियों के गर्भवती होने की जानकारी संस्थान को पहले ही थी. मामले संबंधित थानों में दर्ज होने के साथ ही बाल कल्याण समिति में भी दर्ज है. बालिका गृह में मौजूद गर्भवती नाबालिग किशोरियां चाइल्ड हेल्पलाइन के जरिये आस-पास के जनपदों से लाई गई थीं और उनका पूरा रिकॉर्ड मौजूद है. पॉस्को एक्ट में इन लड़कियों द्वारा दर्ज मुकदमें भी रिकार्ड में हैं, लेकिन इनके नाबालिग होने और यौन उत्पीड़न का शिकार होने के चलते नाम सार्वजनिक करना कानून के खिलाफ है. लोगों को संवेदनशील होना चाहिए. बिना तथ्य के इन बातों को प्रकाशित करना पॉक्सो एक्ट का उल्लंघन है.
विपक्षी दल कर रहे राजनीति
विपक्षी राजनीतिक दल इस मामले में राजनीति कर रहे हैं. प्रदेश पहले ही कोरोना से जूझ रहा है. ऐसे में नाबालिग बच्चियां, जिनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ उनके बार में असंवेदनशील बातें करना हर तरह से गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है. बच्चियों की पहचान उजागर करना सरासर गलत है. ऐसे मामलों में संस्थान पूरी जिम्मेदारी के साथ लड़कियों की जांच कराता है और इलाज भी कराया जाता है. राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने दावा किया कि लड़कियों के बारे में प्रकाशित हो रही सभी बातें गलत हैं.
लड़कियों को घर भेजने की तैयारी
विशेष गुप्ता ने कहा कि बालिका गृह में 100 की क्षमता के मुकाबले कानपुर में 173 लड़कियों को रखा गया है. लिहाजा अब ऐसी लड़कियां जो अपने घर जाना चाहती है, उन्हें घर भेजने की योजना बनाई गई है. विशेष गुप्ता ने कहा कि नाबालिग यौन उत्पीड़न की शिकार लड़कियों के सहारे विपक्ष संवेदनहीनता का परिचय दे रहा है. इस मामले में जल्द ही सरकार को सभी तथ्यों से अवगत कराया जाएगा. विशेष गुप्ता के मुताबिक यौन उत्पीड़न की शिकार लड़कियों पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी कानूनी दायरे में आती हैं और इसका अध्ययन किया जा रहा है.
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व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के आदेश
कानपुर की घटना के बाद प्रदेश के सभी बालिका गृहों में स्थानीय प्रशासन को व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के आदेश दिए गए है. बाल संरक्षण आयोग की एक टीम कल कानपुर जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेगी और सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी.