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योगी से भी टूट गई टांडा की आस, सड़क नहीं तो कैसा पहुंचेगा विकास - योगी पहुंचे टांडा फाल गो आश्रय स्थल

मिर्जापुर के टांडा फाल के पास के कई गांवों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. लोगों को उम्मीद थी कि अब जब योगी टांडा फॉल के गो आश्रय स्थल आ रहे हैं तो शायद सड़क की भी घोषणा करें, लेकिन योगी आए और चले गए. गांव वालों की उम्मीद पूरी नहीं हुई.

मिर्जापुर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है.
मिर्जापुर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है.
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Published : Nov 23, 2020, 1:21 PM IST

मिर्जापुर: देश को आजाद हुए भले ही सात दशक बीत चुके हों. मगर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर के टांडा फाल के गांवों की, जहां से कभी पक्की सड़क नहीं गुजरी. लिहाजा विकास भी नहीं पहुंचा. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे हैं तो अब सड़क भी बन जाएगी, लेकिन यह आस भी टूट गई. योगी आए और चले गए, सड़क की सूरत जैसी थी वैसी ही रह गई.

टूट गई ग्रामीणों की उम्मीद
मिर्जापुर मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है. इन गांवों में रहने वाले लोग दशकों से बिना पक्की सड़क ही सफर कर रहे हैं. दरअसल यहां कभी पक्की सड़क बनने की बात ही नहीं हुई. उबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से इन गांवों के लोग आजादी के पहले से सफर कर रहे हैं. उनका यह सफर आज भी ऐसे ही चल रहा है. अब जब सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोपाष्टमी के दिन टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे थे तो गांव वालों को उम्मीद जगी कि रास्ते का हाल देख योगी सड़क बनाने की घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.

मिर्जापुर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है.
ग्रामीणों ने बतायी परेशानी
टांडा फाल, रामपुर मड़वा, रामपुर दयाल, किरहा, तेंदुआ, इस्लामपुर, गुलालपुर, तूरकहा, चितांग, पगार जैसे दर्जनों गांवों में हजारों लोग रहते हैं. गांव में कभी पक्की सड़क नहीं रही. इसकी वजह से यहां दूसरी सुविधाएं भी नहीं पहुंच सकीं. बिमारी की हालत में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाना बड़ी समस्या है. तुरंत इलाज की जरूरत होती है, लेकिन घंटों लग जाते हैं. प्रसव पीड़ा के समय अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती होती है. 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर मिर्जापुर जाना पड़ता है. बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन पैदल या फिर अपने साधन से. बदहाल सड़क की वजह से यहां कोई वाहन नहीं आता. सड़क पर गड्ढों में गिरकर या पत्थरों से टकराकर चोटिल होना इस रास्ते की नियति है. लोग कहते हैं इस सड़क के लिए कई बार अधिकारियों और मंत्रियों से मुलाकात की गई, लेकिन सुनवाई कभी हुई नहीं. चुनाव के समय तो नेता पहाड़ चढ़कर इन गांवों तक आ जाते हैं, वादे भी करते हैं. चुनाव के बाद किसी को न यहां आने की जरूरत होती है और न ही अपना वादा याद रहता है.
टांडा पर्यटन स्थल फिर भी सड़क पर नहीं ध्यान
टांडा फाल पर्यटन स्थल है. बरसात में तो यह इसके कहने ही क्या.. हजारों की संख्या में सैलानी अपने वाहनों से यहां आते हैं. रास्ते पर बोल्डरों से टकराकर या गड्ढों में गिरकर घायल होते रहते हैं. जनप्रतिनिधि और अधिकारी मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर हफ्तों से टांडा फाल गो आश्रय स्थल पर इसी रास्ते से लग्जरी वाहनों से आ-जा रहे थे. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब सड़क बन जाएगी. मगर ऐसा नहीं हुआ, जिससे यह मायूस दिख रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि जब हम लोग अधिकारी और जनप्रतिनिधि से बात करते हैं तो कहा जाता है कि वन विभाग की जमीन है. इसलिए नहीं बन पा रही है. कोशिश की जा रही है.

मिर्जापुर: देश को आजाद हुए भले ही सात दशक बीत चुके हों. मगर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर के टांडा फाल के गांवों की, जहां से कभी पक्की सड़क नहीं गुजरी. लिहाजा विकास भी नहीं पहुंचा. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे हैं तो अब सड़क भी बन जाएगी, लेकिन यह आस भी टूट गई. योगी आए और चले गए, सड़क की सूरत जैसी थी वैसी ही रह गई.

टूट गई ग्रामीणों की उम्मीद
मिर्जापुर मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है. इन गांवों में रहने वाले लोग दशकों से बिना पक्की सड़क ही सफर कर रहे हैं. दरअसल यहां कभी पक्की सड़क बनने की बात ही नहीं हुई. उबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से इन गांवों के लोग आजादी के पहले से सफर कर रहे हैं. उनका यह सफर आज भी ऐसे ही चल रहा है. अब जब सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोपाष्टमी के दिन टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे थे तो गांव वालों को उम्मीद जगी कि रास्ते का हाल देख योगी सड़क बनाने की घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.

मिर्जापुर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है.
ग्रामीणों ने बतायी परेशानी
टांडा फाल, रामपुर मड़वा, रामपुर दयाल, किरहा, तेंदुआ, इस्लामपुर, गुलालपुर, तूरकहा, चितांग, पगार जैसे दर्जनों गांवों में हजारों लोग रहते हैं. गांव में कभी पक्की सड़क नहीं रही. इसकी वजह से यहां दूसरी सुविधाएं भी नहीं पहुंच सकीं. बिमारी की हालत में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाना बड़ी समस्या है. तुरंत इलाज की जरूरत होती है, लेकिन घंटों लग जाते हैं. प्रसव पीड़ा के समय अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती होती है. 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर मिर्जापुर जाना पड़ता है. बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन पैदल या फिर अपने साधन से. बदहाल सड़क की वजह से यहां कोई वाहन नहीं आता. सड़क पर गड्ढों में गिरकर या पत्थरों से टकराकर चोटिल होना इस रास्ते की नियति है. लोग कहते हैं इस सड़क के लिए कई बार अधिकारियों और मंत्रियों से मुलाकात की गई, लेकिन सुनवाई कभी हुई नहीं. चुनाव के समय तो नेता पहाड़ चढ़कर इन गांवों तक आ जाते हैं, वादे भी करते हैं. चुनाव के बाद किसी को न यहां आने की जरूरत होती है और न ही अपना वादा याद रहता है.
टांडा पर्यटन स्थल फिर भी सड़क पर नहीं ध्यान
टांडा फाल पर्यटन स्थल है. बरसात में तो यह इसके कहने ही क्या.. हजारों की संख्या में सैलानी अपने वाहनों से यहां आते हैं. रास्ते पर बोल्डरों से टकराकर या गड्ढों में गिरकर घायल होते रहते हैं. जनप्रतिनिधि और अधिकारी मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर हफ्तों से टांडा फाल गो आश्रय स्थल पर इसी रास्ते से लग्जरी वाहनों से आ-जा रहे थे. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब सड़क बन जाएगी. मगर ऐसा नहीं हुआ, जिससे यह मायूस दिख रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि जब हम लोग अधिकारी और जनप्रतिनिधि से बात करते हैं तो कहा जाता है कि वन विभाग की जमीन है. इसलिए नहीं बन पा रही है. कोशिश की जा रही है.
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