मिर्जापुर: देश को आजाद हुए भले ही सात दशक बीत चुके हों. मगर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर के टांडा फाल के गांवों की, जहां से कभी पक्की सड़क नहीं गुजरी. लिहाजा विकास भी नहीं पहुंचा. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे हैं तो अब सड़क भी बन जाएगी, लेकिन यह आस भी टूट गई. योगी आए और चले गए, सड़क की सूरत जैसी थी वैसी ही रह गई.
टूट गई ग्रामीणों की उम्मीद
मिर्जापुर मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है. इन गांवों में रहने वाले लोग दशकों से बिना पक्की सड़क ही सफर कर रहे हैं. दरअसल यहां कभी पक्की सड़क बनने की बात ही नहीं हुई. उबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से इन गांवों के लोग आजादी के पहले से सफर कर रहे हैं. उनका यह सफर आज भी ऐसे ही चल रहा है. अब जब सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोपाष्टमी के दिन टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे थे तो गांव वालों को उम्मीद जगी कि रास्ते का हाल देख योगी सड़क बनाने की घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.
योगी से भी टूट गई टांडा की आस, सड़क नहीं तो कैसा पहुंचेगा विकास - योगी पहुंचे टांडा फाल गो आश्रय स्थल
मिर्जापुर के टांडा फाल के पास के कई गांवों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. लोगों को उम्मीद थी कि अब जब योगी टांडा फॉल के गो आश्रय स्थल आ रहे हैं तो शायद सड़क की भी घोषणा करें, लेकिन योगी आए और चले गए. गांव वालों की उम्मीद पूरी नहीं हुई.
![योगी से भी टूट गई टांडा की आस, सड़क नहीं तो कैसा पहुंचेगा विकास मिर्जापुर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-9633221-235-9633221-1606116067617.jpg?imwidth=3840)
मिर्जापुर: देश को आजाद हुए भले ही सात दशक बीत चुके हों. मगर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर के टांडा फाल के गांवों की, जहां से कभी पक्की सड़क नहीं गुजरी. लिहाजा विकास भी नहीं पहुंचा. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे हैं तो अब सड़क भी बन जाएगी, लेकिन यह आस भी टूट गई. योगी आए और चले गए, सड़क की सूरत जैसी थी वैसी ही रह गई.
टूट गई ग्रामीणों की उम्मीद
मिर्जापुर मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर टांडा फाल क्षेत्र के पहाड़ के ऊपर के गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है. इन गांवों में रहने वाले लोग दशकों से बिना पक्की सड़क ही सफर कर रहे हैं. दरअसल यहां कभी पक्की सड़क बनने की बात ही नहीं हुई. उबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से इन गांवों के लोग आजादी के पहले से सफर कर रहे हैं. उनका यह सफर आज भी ऐसे ही चल रहा है. अब जब सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोपाष्टमी के दिन टांडा फाल गो आश्रय स्थल आ रहे थे तो गांव वालों को उम्मीद जगी कि रास्ते का हाल देख योगी सड़क बनाने की घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.